सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला: विजय माल्या को 4 महीने की सजा, 2 हजार रुपए जुर्माना

चार सप्ताह के अंदर ब्याज के साथ 40 मिलियन डालर जमा करने का आदेश

TISMedia@NewDelhi सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या पर 4 महीने की जेल की सजा और 2000 रुपए का जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में विजय माल्या को अवमानना ​​और अदालत से जानकारी छुपाने के लिए दोषी पाया गया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को चार सप्ताह के अंदर ब्याज के साथ 40 मिलियन डालर जमा करने के लिए कहा है। ऐसा न करने पर उनकी संपत्तियों को कुर्क करने के आदेश दिए हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यू यू ललित की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच सजा का ऐलान किया। कोर्ट ने इस मामले में 10 मार्च को सुनवाई के दौरान माल्या की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा था। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) ने विजय माल्या के खिलाफ कोर्ट के आदेश के बावजूद बकाया न चुकाने की अर्जी दी थी।

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अदालत ने सजा सुनाते हुए कहा कि माल्या ने अपने आचरण के लिए कोई पछतावा नहीं दिखाया और सजा की सुनवाई के दौरान उसके सामने पेश नहीं हुआ। अदालत ने कहा कि कानून की महिमा को बनाए रखने के लिए उस पर पर्याप्त सजा दी जानी चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए जाने चाहिए कि विवाद में राशि आदेशों के निष्पादन के लिए उपलब्ध है। इसलिए कोर्ट ने माल्या को 4 हफ्ते के अंदर 8 फीसदी ब्याज के साथ 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर जमा करने का निर्देश दिया है, ऐसा नहीं करने पर उनकी संपत्तियों के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

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जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने 10 मार्च को सजा पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। माल्या की अनुपस्थिति में सुनवाई आगे बढ़ी, जो यूनाइटेड किंगडम से फरार हो गया है। भारत संघ ने पहले अदालत को सूचित किया था कि हालांकि यूनाइटेड किंगडम से माल्या के प्रत्यर्पण की अनुमति दी गई है, लेकिन उसके खिलाफ लंबित कुछ “गुप्त” कार्यवाही के मद्देनजर उसे भारत नहीं लाया जा सकता है, जिसका विवरण भारत सरकार को ज्ञात नहीं है।

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अदालत ने माल्या को पेश होने का मौका देने के लिए सजा को कुछ बार टाल दिया, लेकिन अंतत: उसने पेश होने से इनकार करने के मद्देनजर उसकी अनुपस्थिति में आगे बढ़ने का फैसला किया। अनुपस्थिति में सुनवाई में अदालत की सहायता के लिए सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता को मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया था।

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अपनी बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण चूक मामले में आरोपी माल्या यूनाइटेड किंगडम में है। शीर्ष अदालत का 2017 का आदेश स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ की याचिका पर आया था, जिसमें कहा गया था कि माल्या ने कथित तौर पर ब्रिटिश फर्म डियाजियो से प्राप्त 40 मिलियन अमरीकी डालर को अपने बच्चों को देना विभिन्न न्यायिक आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह ऋण देने वाले बैंकों की अवमानना कार्रवाई और माल्या को क्रमशः अपतटीय फर्म डियाजियो से प्राप्त 40 मिलियन अमरीकी डालर जमा करने का निर्देश देने की याचिका से निपट रहा था। बैंकों ने आरोप लगाया था कि माल्या ने तथ्यों को छुपाया और कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों के घोर उल्लंघन में उनके बेटे सिद्धार्थ माल्या और बेटियों लीना माल्या और तान्या माल्या को पैसे दिए।

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