श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है: संतोष गंगवार
TISMedia@नई दिल्ली. श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने महामारी के दौरान श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों के कल्याण के उपायों की विस्तृत जानकारी वाली पुस्तिका जारी की। श्रम और रोजगार मंत्री श्री संतोष गंगवार ने कहा कि सरकार श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। कोरोना महामारी के दौरान श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों के कल्याण के लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय की ओर से उनके हित में उठाए कदमों की विस्तृत जानकारी देने के लिए तैयार की गई पुस्तिका जारी करते हुए यह बात कही। इस अवसर पर केन्द्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि सुविधाएं उन लोगों तक हर हाल में पहुंचे, जिनके लिए इन्हें तैयार किया गया हैं। मंत्री ने आगे कहा कि महामारी के चलते पैदा हुए हालातों के बारे में सरकार को पूरी जानकारी है। इसीलिए उनके हित में कोई भी फैसला लेने से नहीं चूक रही। इस चुनौतीपूर्ण समय में जरूरत होने पर मंत्रालय श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और जीवन की रक्षा करने और उन्हें कठिनाइयों से बचाने के लिए लचीले और उत्तरदायी तरीके से अतिरिक्त उपाय करना जारी रखेगा।
संतोष गंगवार ने आगे कहा कि मंत्रालय ने नियोक्ताओं पर बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय दायित्व के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभों को व्यापक और विस्तृत करने के साथ आगे बढ़ाया है। ईएसआईसी और ईपीएफओ योजनाओं के तहत सामाजिक सुरक्षा के प्रावधानों में अब और अधिक ढील दी गई है और इसका उद्देश्य कोविड-19 महामारी के बढ़ते संक्रमण और मृत्यु के चलते अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य व जीवन के बारे में श्रमिकों के भय और चिंता को दूर करना है।
ईपीएफओ की कर्मचारी जमा सहबद्ध बीमा योजना (ईडीएलआई) के तहत इसके सदस्यों के परिवार के सभी जीवित आश्रित सदस्य, बीमित सदस्य की मृत्यु होने पर ईडीएलआई का लाभ लेने के पात्र हैं। वर्तमान में, इस योजना के तहत कर्मचारी की मौत के मामले में दिए गए लाभों का विस्तार किया गया है। अब ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए न्यूनतम सेवा की जरूरत नहीं है, पारिवारिक पेंशन का भुगतान ईपीएफ और एमपी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार किया जा रहा है, कर्मचारी के बीमार होने और कार्यालय न आने की स्थिति में साल में 91 दिनों के लिए बीमारी लाभ के रूप में कुल मजदूरी का 70 फीसदी का भुगतान किया जाता है।
मंत्रालय की ओर से जारी एक हालिया अधिसूचना में निम्नलिखित संशोधन भी शामिल किए हैं:
मृतक कर्मचारी के परिजनों को मिलने वाली अधिकतम लाभ राशि को 6 लाख से बढ़ाकर 7 लाख कर दिया गया है।
मृतक कर्मचारियों के पात्र परिवार के सदस्यों को 2.5 लाख रुपये का न्यूनतम आश्वासन लाभ, जो अपनी मौत से पहले एक या अधिक प्रतिष्ठानों में 12 महीने की निरंतर अवधि के लिए सदस्य था। मौजूदा प्रावधान में एक प्रतिष्ठान में 12 महीने तक लगातार रोजगार का प्रावधान है। इससे अनुबंधित/अनौपचारिक मजदूरों को लाभ होगा जो एक प्रतिष्ठान में लगातार एक वर्ष तक काम करने की स्थिति के कारण लाभ से वंचित थे।
15 फरवरी 2020 से पहले के प्रावधान के मुताबिक न्यूनतम 2.5 लाख रुपये मुआवजे के प्रावधान की बहाली।
आगामी 3 वर्षों में, एक्चुअरी ने अनुमान लगाया है कि पात्र परिवार के सदस्यों को वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक ईडीएलआई फंड से 2185 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
योजना के तहत मृत्यु के कारण होने वाले दावों की संख्या प्रति वर्ष लगभग 50,000 परिवार होने का अनुमान लगाया गया है। इसमें लगभग 10,000 श्रमिकों की अनुमानित मौत को भी शामिल किया गया है, जो कोविड के कारण हो सकती है।
इसके अतिरिक्त, ईएसआईसी के तहत बीमित व्यक्तियों (आईपी) के लिए, मौत या काम की वजह से चोट के कारण बीमित व्यक्ति की अक्षमता के बाद श्रमिक की औसत दैनिक मजदूरी के 90 फीसदी के बराबर पेंशन पति या पत्नी और विधवा मां को जीवनभर के लिए और बच्चों के लिए 25 वर्ष की उम्र होने तक के लिए उपलब्ध है। वहीं, बच्ची (लड़की) के लिए यह उनकी शादी होने तक के लिए है।
ईएसआईसी योजना के तहत बीमित व्यक्तियों (आईपी) के परिवारों की सहायता करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि आईपी के परिवार के सभी आश्रित सदस्य जो ईएसआईसी के ऑनलाइन पोर्टल में कोविड बीमारी के निदान और इस रोग के कारण बाद में मौत से पहले पंजीकृत हैं, उन्हें भी काम के दौरान मरने वाले बीमित व्यक्तियों के आश्रितों को प्राप्त होने वाले लाभ और इसे समान स्तर पर ही हासिल करने के हकदार होंगे। यह निम्नलिखित पात्रता शर्तों के अधीन होगा :
आईपी को ईएसआईसी ऑनलाइन पोर्टल पर कोविड रोग के निदान और इसके चलते होने वाली मौत से कम से कम तीन महीने पहले पंजीकृत होना चाहिए।
बीमित व्यक्ति निश्चित तौर पर वेतन के लिए नियोजित होना चाहिए और मृतक बीमित व्यक्ति के संदर्भ में कोविड रोग का पता चलने, जिससे मौत हुई हो, ठीक पूर्ववर्ती एक साल के दौरान कम से कम 78 दिन का अशंदान होना चाहिए।
बीमित व्यक्ति, जो पात्रता की शर्तों को पूरा करते हैं और कोविड बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई है, उनके आश्रित अपने जीवन के दौरान बीमित व्यक्ति के औसत दैनिक वेतन का 90 फीसदी मासिक भुगतान प्राप्त करने के हकदार होंगे। मृतक श्रमिक की पत्नी भी प्रति वर्ष 120 रुपये के मामूली योगदान पर चिकित्सा देखभाल के लिए पात्र है। यह योजना कोविड-19 से ठीक होने के बाद 30 दिनों के भीतर होने वाली कोविड-19 से संबंधित मौतों को भी कवर करती है। यह योजना 24 मार्च, 2020 से दो वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होगी।
संतोष गंगवार ने कहा कि ईएसआईसी के लिए 15 दिनों के भीतर और ईपीएफओ के लिए 7 दिनों से कम समय में शिकायतों का समाधान किया जाएगा।
शिकायतों के निवारण के बारे में विवरण पाया जा सकता है –
ईएसआईसी के लिए निम्नलिखित लिंक पर:
ईपीएफओ के लिए निम्नलिखित लिंक पर:
https://www.epfindia.gov.in/site_docs/PDFs/Downloads_PDFs/WhatsApp_Helpline।pdf
इस अवसर पर श्रम सचिव अपूर्व चंद्रा, वरिष्ठ श्रम और रोजगार सलहकार डी. पी. एस. नेगी, संयुक्त सचिव (श्रम व रोजगार) आर के गुप्ता और विशेषकार्याधिकारी पीके गुप्ता भी मौजूद थे।