ये है सीबीआई का एसपी, दसवीं पास करके ही बन गया आईपीएस
पाली. इनसे मिलिए, यह हैं सीबीआई के एसपी साहब। अब सुनिए इनका कमाल। यह सिर्फ दसवीं पास हैं, लेकिन फिर भी आईपीएस बन गए। अरे ! मजाक मत समझिए, इनके पास वर्दी भी है और बंदूक भी। फिर भी यकीन नहीं आए तो आईडी कार्ड देख लो। बस यह मत पूछना किस बैच के अफसर हैं, क्योंकि ट्रेनिंग तो इन्होंने ली ही नहीं। लेते भी तो कैसे, आईपीएस बनते ही एसपी लग गए और जुट गए सीधे लोगों को ठगने में। इसीलिए ट्रेनिंग लेने और एग्जाम देने की फुर्सत ही नहीं मिली।
ऐसे खुली पोल
खुद को सीबीआई का एसपी बताने वाले इन साहब का नाम है, फुसाराम वाल्मीकि। रहने वाले तो पाली के ही सर्वोदय नगर के हैं, लेकिन अब नया ठिकाना है पाली जेल। क्योंकि, पाली के एसपी साहब कालूराम रावत की नजर इनकी मंहगी कारों, आलीशान घर और एश-ओ-आराम पर पड़ गई। उन्होंने फुसाराम की कुंडली निकलवाई तो पता चला कि ये आईपीएस साहब “कागजी” हैं। यानि फुल फर्जी।
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असल धंधा है ठगी
एसपी कालूराम रावत ने बताया कि फुसाराम रावत का असल धंधा है ठगी। फुसाराम के पिता होमगार्ड में कार्यरत हैं। पढ़ाई लिखाई तो कर नहीं सका, लेकिन ख्वाब अफसरी का ही देखा। नतीजन, पुलिस महकमे के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी के आधार पर अफसरों जैसी वर्दी सिलवाई, एयर गन सर्विस रिवॉल्वर बनाई, फिर एक आईडी कार्ड छपवाया और बन गए आईपीएस राजवीर शर्मा। आईपीएस भी छोटे-मोटे नहीं सीधे एसपी वो भी सीबीआई के। बात यहीं खत्म नहीं हुई। फुसाराम इसके बाद जुट गया ताबड़तोड़ ठगी करने में। पाली के दर्जनों लोगों से उसने लाखों रुपए ठग लिए।
चढ़ा पुलिस के हत्थे
एसपी पाली ने बताया कि फर्जी आईपीएस फुसाराम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। तलाशी में उससे पास से आईपीएस की वर्दी, आईडी कार्ड, एयरगन सहित कई सामान बरामद किए हैं। फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ करने में जुटी है, ताकि पाली शहर में की गई ठगी की सभी वारदातों का खुलासा किया जा सके।