Rajasthan: विधान सभा चुनाव से पहले मिल सकता है नए जिलों का तोहफा

ब्यावर, बालोतरा, नीमकाथाना और फलौदी को जिला बनाने की हो रही है मांग

  • नए जिलों के गठन के लिए सेवानिवृत्त आईएएस रामलुभाया कमेटी को मिले 59 प्रस्ताव
  • गहलोत सरकार ने 6 महीने के लिए बढ़ाया कमेटी का कार्यकाल, मार्च 23 में मिलेगी रिपोर्ट 

TISMedia@Jaipur  राजस्थान में नए जिलों के गठन पर फैसला विधानसभा चुनाव 2023 की घोषणा से पहले हो सकता है। नए जिलों के गठन के लिए सेवानिवृत्त आईएएस रामलुभाया कमेटी को 59 प्रस्ताव मिले हैं। जिस पर गहन मंथन करने के लिए गहलोत सरकार ने  कमेटी का कार्यकाल एक बार फिर छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। कमेटी को मार्च तक अपनी रिपोर्ट देनी होगी।

साल 1981 में राजस्थान में 26 जिले थे, जो अब बढ़कर 33 हो गए हैं। राजस्थान में आखिरी बार 14 साल पहले साल 2008 में प्रतापगढ़ जिले का गठन हुआ था। इसके बाद सूबे में लगातार नए जिले बनाए जाने की मांग लगातार मुखर होती जा रही है। नए जिलों का गठन कर सियासी बढ़त हासिल करने के इरादे से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में प्रदेश में नए जिलों की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कमेटी बनाने की घोषणा की थी।

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सीएम गहलोत ने की थी घोषणा
जिसके बाद इसी साल मार्च में रामलुभाया कमेटी का गठन किया था। जिसे सिफारिश देने के लिए 6 महीने का समय दिया था। यह समय पूरा होने वाला है, लेकिन राज्य सरकरा ने इससे पहले ही कमेटी का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। कमेटी के पास नए जिले बनाने के लिए 59 प्रस्ताव आए है। राजस्थान में अजमेर जिले से ब्यावर, बाड़मेर से बालोतरा, सीकर से नीमकाथाना, जोधपुर से फलौदी को जिला बनाने की मांग बहुत लंबे समय से हो रही है। इसके अलावा नागौर से पांच, जयपुर और गंगानगर से 4-4 जगहों से नए जिलों की मांग उठ रही है।

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बीजेपी ने भी बनाई थी कमेटी 
राज्य में नए जिलों के गठन नहीं होने से जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस बीच सवाल यह है कि एक ओर सरकार पर नए जिले बनाने के लिए अतिरिक्त खर्च और दूसरी तरफ लोग अपने कार्यों के लिए जिला मुख्यालय तक 100 से 200 किलोमीटर का सफर तय करने को मजबूर है। बीजेपी राज में नए जिलों के लिए 2014 में रिटायर्ड IAS परमेश चंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने 2018 में सरकार को रिपोर्ट दे दी थी। बीजेपी राज में उस रिपोर्ट पर कोई एक्शन नहीं लिया गया था। ​बाद में सरकार बदल गई और गहलोत सरकार ने परमेश चंद कमेटी की रिपोर्ट मानने से इनकार कर दिया। सीएम गहलोत ने अब रामलुभाया कमेटी बनाई है।

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