Rajasthan Political Crisis: मुख्यमंत्री का पद नहीं मिला तो क्या करेंगे सचिन पायलट?

TISMedia@Jaipur राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी उठापठक जारी है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच जबरदस्त खींचतान चल रही है। गहलोत खेमे ने सचिन पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर कौन बनेगा राजस्थान का नया मुख्यमंत्री? अगर सीएम पद नहीं मिला तो सचिन पायलट क्या करेंगे? कांग्रेस आलाकमान गहलोत खेमे के विधायकों की मांग मानेगा या फिर पर कतरेगा? इन सभी सवालों के बीच जो सबसे बड़ा सवाल है वह यह कि आखिर अब सचिन पायलट क्या करेंगे? आइए समझते हैं उन सभी संभावनाओं को जो फिलहाल राजस्थान से सियासी संकट के बीच आ खड़ी हुई हैं।

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अभी क्या हालात हैं?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की चर्चा चल रही है। 29 सितंबर तक इसके लिए नामांकन करना है। इससे पहले राजस्थान में नए मुख्यमंत्री का एलान होना बाकी है। इसी को लेकर काफी खींचतान शुरू हुई है। रविवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक होनी थी। इसके लिए पार्टी हाईकमान ने वरिष्ठ नेता अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा था। बैठक शुरू होने से पहले अशोक गहलोत खेमे के विधायकों ने बागी रूख अख्तियार कर लिया। गहलोत समर्थक विधायक मंत्री शांति धारीवाल के घर पहुंच गए और बैठक शुरू कर दी। इसके बाद सभी विधायकों ने स्पीकार से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि, ये इस्तीफा अभी तक स्पीकर ने मंजूर नहीं किया है। ये सभी विधायक किसी भी हालत में सचिन पायलट या उनके खेमे से किसी को मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहते हैं। इन विधायकों की संख्या 80 से 92 तक बताई जा रही है।

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गहलोत खेमे के विधायकों की क्या है मांग?
इस्तीफा देने बाद गहलोत खेमे के विधायकों का प्रतिनिधिमंडल कांग्रेस नेता अजय माकन से मिलने पहुंचा। इसमें मंत्री प्रताप खाचरियावास, शांति धारीवाल थे। इस प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस हाईकमान के सामने अपनी शर्तें रखीं। पहली, 19 अक्तूबर को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद नया मुख्यमंत्री चुना जाए। दूसरी, यह कि नया सीएम उन 102 विधायकों में से चुना जाना चाहिए, जो 2020 में हुई बगावत के वक्त गहलोत के प्रति वफादार रहे थे, न कि सचिन पायलट या उनके समूह में से। इस पर माकन ने कहा कि  सारी बातें हम पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को बताएंगे और वहीं फैसला करेंगी। माकन ने यह भी कहा कि कांग्रेस के इतिहास में कभी भी शर्तों के साथ कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है। इतना ही नहीं उन्होंने धारीवाल के घर बैठक और फिर इस्तीफे की ड्रामेबाजी को अनुशासनहीनता तक बता दिया।

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मुख्यमंत्री नहीं बने तो क्या करेंगे सचिन पायलट?
इसको लेकर हमने वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा से बात की। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस हाईकमान फिलहाल असमंजस में है। विधायकों के बागी रूख से पता चलता है कि इनके पास कोई ज्यादा विकल्प नहीं बचा है। वहीं, वह सचिन पायलट गुट को भी नाराज नहीं करना चाहते हैं। यही कारण है कि बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है।’ मुख्यमंत्री न बनाए जाने के बाद सचिन पायलट क्या कर सकते हैं? इस सवाल पर अशोक शर्मा कहते हैं, ‘सचिन को लेकर अभी तीन तरह की बातें हो सकती हैं। हालांकि, वह अपने फैसले का एलान भी तभी करेंगे जब पूरी तरह से पार्टी हाईकमान का फैसला आ जाएगा’

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पायलट को मुख्यमंत्री, गहलोत खेमे के दो से तीन विधायकों को डिप्टी सीएम 
अशोक गहलोत के सामने कांग्रेस हाईकमान ये विकल्प रख सकता है। पार्टी चाहेगी कि इसके जरिए गहलोत अपने समर्थन में आए विधायकों को मनाएं। इसके बदले में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री तो गहलोत खेमे से दो या तीन को डिप्टी सीएम बना दिया जाए। हालांकि, जिस तरह से गहलोत खेमे के विधायक बागी रूख अपनाए हुए हैं, उसे देखकर इसकी संभावना कम ही लग रही है।

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गहलोत खेमे से मुख्यमंत्री, पायलट को प्रदेश अध्यक्ष 
यह भी संभव है कि अशोक गहलोत खेमे की नाराजगी देखकर पार्टी हाईकमान सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बना दे। वहीं, गहलोत खेमे से किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाए। ऐसा होने पर पायलट खेमे से किसी को डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है।

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पायलट को केंद्र में लाकर गहलोत को सीएम बने रहने दें
यह भी संभव है कि सचिन पायलट को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव या फिर अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं।

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कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बना सकते हैं सचिन पायलट
लगातार अपनी ही पार्टी के विधायकों से सचिन पायलट घिर गए हैं। इससे साफ है कि आने वाले समय में सचिन पायलट को जो भी पद मिले, उन्हें राजस्थान के कई नेताओं का विरोध झेलना ही पड़ेगा। ऐसी स्थिति में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों का पार्टी में रहना मुश्किल हो सकता है। संभव है कि इस हालात में सचिन पायलट कांग्रेस छोड़ दें और नई पार्टी का गठन कर लें।

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भाजपा में शामिल हो जाएं 
सचिन पायलट का फिलहाल कांग्रेस में रहना काफी मुश्किल हो रहा है। उनकी ही पार्टियों के विधायक और नेता लगातार उनका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ना भी सचिन पायलट के लिए थोड़ा कठिन हो सकता है। ऐसी स्थिति में वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। भाजपा भी राजस्थान में एक बड़े और तेज तर्रार चेहरे की तलाश में है। सचिन वह चेहरा बन सकते हैं।

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