कांग्रेस के सियासी संकट को भाजपा ने बताया “इस्तीफों का सियासी पाखंड”

TISMedia@Jaipur राजस्थान में कांग्रेस के सियासी संकट ने विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी (BJP) को गहलोत सरकार को घेरने का सबसे आसान मौका दे दिया है।

सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने के विरोध में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों को भाजपा ने भ्रष्टाचारियों को बचाने की रिटायरमेंट पॉलिसी तक करार दे दिया है। भाजपा ने आरोप लगाया कि बीते पांच साल से राजस्थान में सरकार या तो होटलों में मिलती है या फिर राजभवन में। इसके बाद जो वक्त बचता है वो दिल्ली में दरबार लगा कर बर्बाद किया जा रहा है।

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राजस्थान में लगेगा राष्ट्रपति शासन!
राजस्थान में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि ऐसे हालाज राज्य में राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्‍ठ नेता और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने रविवार रात को कहा कि राज्य में मौजूदा राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे हैं। राठौड़ ने ट्वीट किया, ‘राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी, आप नाटक क्यों कर रहे हों। मंत्रिमंडल के इस्तीफे के बाद अब देरी कैसी। आप भी इस्तीफा दे दीजिए।’ गहलोत समर्थक विधायकों के अपना इस्‍तीफा विधानसभा अध्‍यक्ष डॉ. सीपी जोशी को सौंपे जाने की खबरों पर उन्‍होंने कहा, ‘किसके इशारे पर त्यागपत्र देने का खेल चल रहा है इसे जनता भली-भांति समझ चुकी है। इस्तीफा-इस्तीफा का खेल कर समय जाया ना करें, अगर इस्तीफा देना ही है तो मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर विधानसभा भंग का प्रस्ताव राज्यपाल महोदय को तत्काल भेजें।’

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पूनियां बोले- यह इस्तीफों का सियासी पाखंड
भाजपा की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष सतीश पूनियां ने ताजा घटनाक्रम पर ट्वीट किया, ‘रुझान आने प्रारंभ… 2023 में जय भाजपा-तय भाजपा’। एक अन्य ट्वीट में उन्‍होंने कहा, ‘इतनी अनिश्चितता तो आज भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच में भी नहीं है, जितनी राजस्थान की कांग्रेस पार्टी में नेता को लेकर है। विधायकों की बैठकें अलग चल रही है, इस्तीफों का सियासी पाखंड अलग चल रहा है। ये क्या राज चलाएंगे, कहां ले जाएंगे ये राजस्थान को, अब तो भगवान बचाए राजस्थान को…।’

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गजेन्द्र सिंह का ‘बाड़ाबंदी’ पर तंज
वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने ट्वीट किया, ‘बाड़ेबंदी की सरकार ..एक बार फिर बाड़े में जाने को तैयार।’ उल्‍लेखनीय है कि दो साल पहले राजनीतिक संकट खड़ा होने पर कांग्रेस के विधायक महीने भर से अधिक समय तक विभिन्‍न होटलों में रहे थे जिसे स्‍थानीय भाषा में ‘बाड़ाबंदी’ कहा गया था।

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