VMOU पर “भुतहा शिक्षकों” का साया

एनसीटीई के मानकों की धज्जियां उड़ा विश्वविद्यालय बांट रहा बीएड की डिग्री

  •  बीएड की शुरुआत से ही खाली पड़ा है प्रोफेसर का पद, दो शिक्षकों के भरोसे चल रहा विभाग

TISMedia@Kota वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (VMOU) के शिक्षा संकाय (School of Education) में दाखिला लेने वाले छात्रों पर सालों से भुतहा शिक्षकों (Ghost Faculty) का साया मंडरा रहा है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (National Council for Teacher Education) के नियमों के मुताबिक बीएड की पढ़ाई कराने के लिए किसी भी संकाय में कम से कम 7 शिक्षक होना अनिवार्य है, लेकिन यहां न सिर्फ तीन शिक्षकों के बूते परिषद की मान्यता में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है, बल्कि हर साल 1000 विद्यार्थियों को पढ़ाने के नाम पर उनके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।

यह भी पढ़ेंः अव्यवस्थाओं से जूझता वर्धमान महावीर खुला विवि, छात्रों ने किया प्रदर्शन

वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (वीएमओयू) की सतत शिक्षा विद्यापीठ ने साल 2000 में बीएड पाठ्यक्रम की शुरुआत की थी। इसके लिए एनसीटीई ने 21 अगस्त 2000 को सशर्त मान्यता भी प्रदान कर दी। शर्तों के मुताबिक मान्यता मिलने के बाद 2 साल के अंदर विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती से लेकर छात्रों को दी जानने वाली सभी सुविधाएं जुटा लेगा। लेकिन, दो दशक बीत जाने के बाद भी अनिवार्य शर्तों को भी पूरा नहीं किया जा सका।

यह भी पढ़ेंः Rajasthan: गैंगस्टर संदीप विश्नोई को कोर्ट के बाहर दिनदहाड़े गोलियों से भूना, मौके पर ही मौत

एक सुनहरा दौर
साल 2013 में प्रो. विनय पाठक ने जब वीएमओयू के कुलपति की जिम्मेदारी संभाली तो उन्होंने न सिर्फ विश्वविद्यालय की चरमरा चुकी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया बल्कि, युवाओं को रोजगार देने वाले पाठ्यक्रमों को खोलने और उन्हें ज्यादा से ज्यादा छात्रों तक पहुंचाने की व्यापक शुरुआत की। नतीजन, बीएड और एमएड पाठ्यक्रमों की जरूरत को देखते हुए उन्होंने सतत शिक्षा विद्यापीठ का विस्तार करते हुए शिक्षा विद्यापीठ की अलग से स्थापना की। इतना ही नहीं एनसीटीई के नियमों की शर्तों को पूरा करने के लिए स्कूल ऑफ एजुकेशन में शिक्षकों एवं सहयोगी स्टाफ की भर्ती करने के साथ ही छात्रों के लिए जरूरी संसाधनों जैसे वीडियो-ऑडियो लेक्चर और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रेक्चर की भी स्थापना की।

यह भी पढ़ेंः सियासतः गाय लेकर विधानसभा पहुंचे विधायक, रस्सी छुड़ाकर भागी

विद्यापीठ बन गई, लेकिन शिक्षक नहीं जुटा सके
प्रो. पाठक के कुलपति रहने के दौरान ही शिक्षा विद्यापीठ की प्रोफेसर दामीना चौधरी सेवानिवृत हो गईं, लेकिन प्रो. पाठक के प्रयासों से उन्होंने छात्रहित में पे माइनस पैंशन पर काम करना जारी रखा। इसी दौरान प्रो. पाठक ने प्रोफेसर के खाली पद के लिए नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू कर दी, लेकिन उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद न सिर्फ प्रो. दामीना चौधरी ने विवि छोड़ दिया, बल्कि शिक्षक नियुक्ति और पदोन्नति की प्रक्रिया भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई। इसी दौरान एसोसिएट प्रोफेसर और विद्यापीठ के निदेशक डॉ. रजनी रंजन सिंह की नियुक्ति शकुंतला देवी विशेषजन विश्वविद्यालय लखनऊ में हो गई और यह पद भी खाली हो गया।

यह भी पढ़ेंः Navratri 2022: इस दिन से शुरू हो रही है नवरात्रि, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

सिर्फ तीन शिक्षकों के हवाले पूरी विद्यापीठ
एनसीटीई के नियमों के मुताबिक वीएमओयू में बीएड पाठ्यक्रम चलाने के लिए शिक्षा विद्यापीठ में कम से कम 7 शिक्षकों, जिनमें से एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट और चार असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति अनिवार्य है। लेकिन, फिलहाल हालत यह है कि यहां सिर्फ तीन शिक्षक ही कार्यरत हैं। जिनमें से एक दो साल के लिए चाइल्ड केयर लीव पर हैं। विद्यापीठ में एसोसिएट प्रोफेसर के एक पद पर डॉ. अनिल जैन और असिस्टेंट प्रोफेसर के दो पदों पर डॉ. कीर्ति सिंह और डॉ. अखिलेश शर्मा नियुक्त हैं। डॉ. जैन विद्यापीठ के निदेशक हैं। वहीं एक अन्य असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पातांजलि मिश्र की नियुक्ति हाल ही में कानपुर विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर होने के बाद यह पद भी खाली हो गया है।

यह भी पढ़ेंः VMOU: अराजकता के खिलाफ छात्रों ने बोला हल्ला, कुलपति को घेरा

मान्यता पर मंडराया खतरा
एनसीटीई के नियमों की पालना न होने के कारण अब वीएमओयू के बीएड पाठ्यक्रम की मान्यता खत्म होने का खतरा भी मंडराने लगा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शैक्षणिक सत्र 2022-24 में बीएड दाखिलों के लिए विद्यार्थियों से न सिर्फ आवेदन भरवा लिए, बल्कि प्रवेश परीक्षा आयोजित कर उसके परिणाम तक जारी कर दिए गए। इतना ही नहीं दाखिले की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए प्रथम चरण के लिए चयनित अभ्यार्थियों की 20 सितंबर 2022 से काउंसलिंग का नोटिस भी निकाल दिया गया है। काउंसलिगं के बाद चयनित विद्यार्थियों को उसी दिन फीस भी जमा करनी होगी। जो उनके लिए मुसीबत का सबब बन सकता है क्योंकि असल हालात यह हैं कि शिक्षकों की न्यूनतम संख्या भी पूरी न होने के कारण अब परिषद पाठ्यक्रम की मान्यता वापस ले सकती है या फिर शिक्षकों की भर्ती होने तक दाखिलों पर रोक लगा सकती है। पाठ्यक्रम की मान्यता को लेकर संकट और भी इसलिए बढ़ गया है क्योंकि कुलपति प्रो. रतन लाल गोदारा का कार्यकाल अगस्त महीने में खत्म हो चुका है और नए कुलपति की नियुक्ति न होने तक फिलहाल विश्वविद्यालय प्रभारी कुलपति के भरोसे चल रहा ऐसे में उनके लिए शिक्षा विद्यापीठ में शिक्षकों की नई नियुक्ति करना तो दूर की बात खाली पदों को भरने के लिए विज्ञापन तक निकालना असंभव हो जाएगा।

यह भी पढ़ेंः Diwali 2022: सूनी रहेगी दिवाली, नहीं होगी आतिशबाजी

10 हजार छात्रों का भविष्य दांव पर
वीएमओयू के बीएड पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन करने वाले छात्रों को एक हजार रुपए की फीस देनी पड़ती है और एक सत्र में 10 हजार से ज्यादा छात्र आवेदन करते हैं। ऐसे में मान्यता का संकट खड़ा होता है तो न सिर्फ छात्रों का भविष्य अधर में लटक जाएगा, बल्कि उनकी फीस भी विवि में अटक जाएगी।

यह भी पढ़ेंः VMOU: कुलपति पर घोटाले की आंच, राज्यपाल ने बिठाई उच्च स्तरीय जांच

भुतहा शिक्षक या फर्जीवाड़ा
शिक्षा संकाय में शिक्षकों के आधे से ज्यादा पद खाली होने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन मान्यता की खानपूर्ति करने के लिए एनसीटीई को भेजे जाने वाली रिपोर्ट में इन्हें भरा हुआ दिखाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि सालों से खाली पड़े पदों पर आखिर काम कौन कर रहा है और वो लोग कौन हैं जो छात्रों को पढ़ा रहे हैं? विश्वविद्यालय सूत्रों के मुताबिक वीएमओयू प्रशासन इसके लिए घोस्ट फैकल्टी का सहारा ले रहा है। नियमों की खानपूर्ति के लिए प्रशासन ने विवि परिसर में ही भुतहा शिक्षक तैयार कर रखे हैं। यह वह शिक्षक हैं जिनकी नियुक्तियां तो दूसरे विभागों में की गई हैं, लेकिन उन्होंने बीएड की भी डिग्री हासिल कर रखी है। उनके नाम पर ही विवि हर साल सैकड़ों छात्रों के भविष्य के साथ न सिर्फ खिलवाड़ कर रहा है, बल्कि कागजी कार्यवाही पूरी करने के लिए इन लोगों को शिक्षा संकाय में भी कार्यरत दिखा दिया जाता है। जबकि असलियत यह है कि बीएड के किसी भी शैक्षणिक कार्यक्रम की बात तो दूर अन्य गतिविधियों में भी इनकी मौजूदगी नहीं दिखाई पड़ती। क्योंकि यह खुद स्टाफ की कमी से जूझ रहे अपने विभागों में ओवर बडन हैं।

यह भी पढ़ेंः VMOU: खजाने में लगी 228.91 लाख की सेंध, न खजाना मिल रहा है न खजांची

एनसीईटी की आंख में झोंकी धूल
विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीएड पाठ्यक्रम की मान्यता बचाए रखने के लिए अन्य विभागों में कार्यरत शिक्षकों को शिक्षा विद्यापीठ में दिखा रखा है। सूत्रों के मुताबिक अर्थशास्त्र के शिक्षक डॉ – सुरेंद्र कुलश्रेष्ठ, प्राणी शास्त्र के संदीप हुड्डा, अंग्रेजी विभाग की डॉ क्षमता चौधरी और गणित के शिक्षक रवि गुप्ता को विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षा विद्यापीठ में दिखाकर एनसीईआरटी से मान्यता हासिल की है। ऐसा करके वीएमओयू प्रशासन ने न सिर्फ छात्रों की आंख में धूल झोंकी है, बल्कि बीएड की मान्यता देने वाली एजेंसी एनसीटीई के साथ भी फर्जीवाड़ा किया है।

यह भी पढ़ेंः VMOU: 30 लाख छात्रों का पर्सनल डाटा बेचने की साजिश, फोन, आधार और बैंक डिटेल भी शामिल

उधारी से चला रहे काम 
वीएमओयू शिक्षा विद्यापीठ के निदेशक डॉ. अनिल कुमार जैन से जब इस बाबत बात की गई तो उन्होंने बताया कि विभाग में अभी चार फैकल्टी हैं। एक फैकल्टी कानपुर यूनिवर्सिटी चली गई हैं, लेकिन जब तक उनका कंफरमेशन नहीं आ जाएगा तब तक उन्हें वीएमओयू में ही कार्यरत माना जाएगा। 3 पद खाली हैं। नया कुलपति आते ही भर्ती करवाई जाएगी। एनसीटीई से बीएड की मान्यता के लिए 7 शिक्षक होना जरूरी है। फिलहाल विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के जरिए बीएड डिग्री पाठ्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!