आपको भी किसी की ‘न’ सुनने पर आता है गुस्सा तो हो जाएं सावधान! गंभीर बीमारी के हैं लक्षण
TISMedia@Kota continua a leggere. करियर हो या फिर रिश्ते, जीवन में अक्सर हमें रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है। लेकिन रिजेक्ट होने पर अगर आपको गुस्सा आता है या फिर अगर आप डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं तो यह एक तरह की बीमारी है। जिसका इलाज होना जरूरी है। नहीं तो यह खासा नुकसानदायक साबित हो सकता है। इस बीमारी के बारे में विस्तार से बता रही हैं मनोवैज्ञानिक पूर्ति शर्मा
क्या होता है रिजेक्शन
रिजेक्शन यानी नामंजूरी या किसी व्यक्ति की अस्वीकृति का सामना करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता है। जिंदगी में हम सभी को कई बार ‘न’ का सामना करना ही पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि जिस प्रकार हम किसी के ‘हां’ को अपना लेते हैं, उसी तरह हम सामने वाले व्यक्ति के ‘न’ को भी अपनाने की कोशिश करें। चाहें करियर हो, जॉब हो या कोई रिश्ता, कुछ लोगों के भीतर हमेशा रिजेक्शन को लेकर एक डर बना रहता है। ऐसे लोग अंतर-व्यक्तिगत संबंधों में, सामाजिक स्थितियों में या कार्यस्थलों में भी रिजेक्शन को लेकर एक नकारात्मक रवैया अपनाने लग जाते हैं। जो आगे चलकर न सिर्फ प्रोफेशनल बल्कि पर्सनल लाइफ में भी खासा नुकसानदायक साबित होता है। दरअसल, हकीकत यह है कि रिजेक्शन का सामना न कर पाना मन का कोई डर नहीं है बल्कि एक बीमारी है। इस बीमारी को मनोविज्ञान के क्षेत्र में ‘रिजेक्शन सेंसिटिव डिसफोरिया’ (Rejection Sensitive Dysphoria) यानि आरएसडी कहते हैं।
यह भी पढ़ेंः Kota Minor Girl Murder Case: एक तरफा इश्क ने ली जान, रिजेक्शन बर्दास्त न कर सका ट्यूशन टीचर
यह है रिजेक्शन सेंसिटिव डिसफोरिया
रिजेक्शन सेंसिटिव डिसफोरिया यानि RSD एक गहन भावनात्मक प्रतिक्रिया है, जो इस धारणा के कारण होती है कि आपने अपने जीवन में दूसरों को निराश किया है और उस निराशा के कारण लोगों ने आपको प्यार और सम्मान देना बंद कर दिया है। वहीं, ये प्रतिक्रिया दर्दनाक तब हो सकती है, जब आप असफल हो जाते हैं या अपने उच्च लक्ष्यों और अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं।
यह भी पढ़ेंः Kota: नाबालिग छात्रा की हत्या का आरोपी गौरव 9 दिन बाद गुरुग्राम से गिरफ्तार
यह होते हैं लक्षण
आरएसडी के लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि ये अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों जैसे अवसाद, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, बॉर्डरलाइन व्यक्तित्व विकार, सोशल फोबिया आदि से मिलते-जुलते हैं। भावनाएं आहत होने पर अवसाद में चले जाना या आत्महत्या का कोशिश करना भी इसके कुछ लक्षणों में से एक है।
– आसानी से शर्मिंदा होना
– भावनात्मक रूप से गुस्सा होना
– आत्मसम्मान को कम आंकना
– सामाजिक रूप से कटा हुआ महसूस करना
– रिश्तों को लेकर समस्या महसूस करना
यह भी पढ़ेंः मर्डर के बाद अब सुसाइड की थ्योरी पर काम कर रही पुलिस, 8 दिन बाद भी हाथ खाली
रिजेक्शन सेंसिटिव डिसफोरिया का उपचार
वहीं इसके उपचार की बात करें, तो ऐसे व्यक्तियों को डॉक्टर दवा और जीवन शैली में बदलाव सहित विभिन्न उपचार विधियों का सुझाव दे सकता है। पर्याप्त आराम करना, स्वस्थ आहार खाना और नियमित रूप से व्यायाम करना इसके उपचार का एक हिस्सा हो सकता है। इसके अलावा आप रिजेकशन सेंसिटिव डिसफोरिया से इन तरीकों को इस्तेमाल करके भी बच सकते हैंः-
– किसी भी ‘न’ और ‘हां’ को स्वाभाविक रूप से अपनाने की कोशिश करें।
– हर चीज के पीछे सकारात्मक सोचने की कोशिश करें।
– शुरू से यही अपने आप थोड़ा सा सामाजिक बनाने की कोशिश करें।
– ज्यादा से ज्यादा लोगों से बातचीत करें।
– अच्छे लोगों और किताबों को पढ़ें और समझें कि रिजेक्शन क्यों जरूरी है।