बीटी गैंग के सरगना अंकित बच्चा की हत्या करना चाहते थे बदमाश, पुलिस ने दबोचा

आरोपियों के कब्जे से बरामद किए दो देसी कट्टा और दो जिंदा कारतूस

TISMedia@Kota. बिहार टाइगर्स फोर्स यानी बीटी गैंग की आहट एक बार फिर शिक्षा नगरी में सुनाई दी। पुलिस की सक्रियता से शहर में बड़ी वारदात होने से टल गई। पुलिस ने चंबल नदी की छोटी पुलिया के पास से हथियारों से लैस दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी बीटी गैंग के सरगना अंकित तिवारी उर्फ अंकित बच्चा को जान से मारना चाहते थे। इनके पास से दो देसी कट्टा और दो जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। पूछताछ में बदमाशों ने बताया कि उनकी एक साल से अंकित से दुश्मनी है, इसलिए उसे जान से मारना चाहते थे। लेकिन, वारदात से पहले ही पुलिस के हत्थे चढ़ गए।

यूं चढ़े पुलिस के हत्थे

एएसआई गिर्राज प्रसाद ने बताया कि मुखबिर से सूचना मिली थी कि हथियारों से लैस दो बदमाश चंबल नदी की छोटी पुलिया के पास बाइक से घूम रहे हैं। वे किसी की हत्या करने की फिराक में हैं। इस पर पुलिस ने पुराने बस स्टैण्ड के पास नाकाबंदी कर सामने से आ रहे बाइक सवारों को रोक तलाशी ली तो उनके पास दो देसी कट्टे और दो जिंदा कारतूस मिले। इस पर पुलिस ने बजरंगपुरा निवासी जितेंद्र उर्फ जेपी टांक और इस्माइल चौक नयापुरा निवासी आशीष उर्फ पप्पू वाल्मीकि को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे बिटी गैंग के मुखिया अंकित बच्चा की हत्या करना चाहते थे।

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बदला लेना चाहता था आरोपी

सहायक पुलिस उप निरीक्षक गिर्राज प्रसाद ने बताया कि कुछ महीने पहले आरोपी जितेंद्र के दोस्त का बीटी गैंग के अंकित से झगड़ा हुआ था। जिसमें अंकित और उसके साथियों ने जितेंद्र व उसके दोस्त के साथ मारपीट कर दी थी। तब से आरोपी अंकित से रंजिश पाले हुए था और उसे जान से मारने की फिराक में था।

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2008 में बनी थी बीटी गैंग
बिहार टाइगर्स यानी बीटी गैंग पटना से कोटा पढऩे आए अभिषेक ने 2008 में बनाई थी। बिहार से कोचिंग के लिए कोटा आने वाले छात्रों की मदद के लिए अभिषेक ने बिहार टाइगर फोर्स बनाई थी। यह गैंग शुरुआत में छात्रों को एडमिशन दिलाने, किफायती हॉस्टल, पढ़ाई में मदद और जरूरत पर पैसे का इंतजाम करने का काम करती थी लेकिन बाद में यह मदद, अवैध वसूली में तब्दील हो गई।
बीटी गैंग की कमान 2011 में राहुल के हाथ में आ गई। उसने बिहारी छात्रों से चंदा वसूलना शुरू कर दिया। इसके बाद मंजेश इसका मुखिया बना। लेकिन, थोड़े ही दिनों में गैंग की कमान मुकुल के हाथ में कमान आ गई। तब से ही गैंग में टकराव शुरू हो गया और दो गुटों में बंट गई। आपसी रंजिश के चलते वर्ष 2016 में छात्र सत्य प्रकाश की मौत हो गई थी।

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