क्या आपको भी है डायबिटीज, तो पढ़िए यह खबर
कोटा. डायबिटीज आज के दौर में सब से प्रचलित रोगों में से एक हो चुका है। भारत में भी तेजी से बढ़ रही है डायबिटीज से ग्रस्त लोगों की संख्या। इस वक्त देश में डायबिटीज के 5 करोड़ से अधिक मरीज है। आईडीएफ के मुताबिक आने वाले 2 दशकों में लगभग 8.7 करोड़ भारतीय इस खतरनाक बीमारी का शिकार हो जाएंगे। ऐसे में इससे बचाव के लिए सभी को डायबिटीज की पूरी जानकारी होना जरूरी है। आप को बता दें कि टाइप 1 और टाइप 2 दो तरह के डायबिटीज होते है। हालांकी दोनों ही डायबिटीज में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, लेकिन दोनों की वजहों और इलाज में काफी अंतर है।
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क्या है डायबिटीज
हमारे शरीर को ऊर्जा हमारे भोजन से मिलती है। हमारा शरीर भोजन को पचाकर उस से निकली शुगर को ऊर्जा में बदलता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में इंसुलिन का बहुत महत्व होता है। इंसुलिन हमारे शरीर में बनने वाला एक हॉर्मोन है, जिसका काम हमारे शरीर में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना है। यह हमारे शरीर में अग्नाशय या पैंक्रियाज नामकी एक ग्रंथि में बनता है। हमारे खून में मौजूद शुगर इसी के असर से हमारे शरीर की कोशिकाओं में स्टोर हो जाती है। डायबिटीज में या तो हमारे शरीर में इंसुलिन बनता नहीं है या हमारे शरीर की कोशिकाएं इसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं रहती और शुगर उनमें स्टोर ना होकर खून में मौजूद रह जाती है।
क्या है दोनो की वजह
टाइप 1 डायबिटीज से हमारे शरीर में इंसुलिन का बन ना बंद हो जाता है। यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है। इस में हमारे शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन बनाने वाले अग्नाशय की कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें खत्म कर देती है। ऐसा आनुवांशिक वजहों से हो सकता है। टाइप 1 बहुत कम उम्र में या कभी-कभी जन्म से हो जाता है।
वहीं दूसरी ओर टाइप 2 डायबिटीज कई कारणों से हो सकती है। इनमें मोटापा, हाइपरटेंशन, नींद की कमी और खराब लाइफस्टाइल शामिल है। इसमें आनुवांशिक वजहों को भी जानकार गिनते है। इसमें शरीर में या तो इंसुलिन की मात्रा कम बनती है या फिर शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं रहती। विशेषज्ञों की मानें तो टाइप 2 कभी भी हो सकती है क्यूंकि यह खराब जिवनशैली के वजह से होती है। आमतौर पर यह वयस्क लोगों में होती है।
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अलग है दोनो के इलाज
टाइप 1 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है इसलिए इसमें मरीज को संमय-समय पर इंजेक्शन या पंप के जरिए इंसुलिन लेना पड़ता है।
टाइप 2 डायबिटीज में दवाओं के जरिए शरीर को और इंसुलीन बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है क्यूंकि इस मे शरीर या तो इंसुलिन कम बनाता है या फिर शरीर उसके प्रति संवेदनशील नहीं रहता। जरूरत पड़ने पर इंसुलिन भी दी जाती है।
टाइप 2 वजन कम करने, संतुलित आहार खाने, कसरत करने और तनाव कम करने की सलाह दी जाती है क्यूंकि यह खराब जीवनशैली के कारण होता है। ऐसा करने से शरीर इंसुलिन के प्रति फिर से संवेदनशील बनाया जा सकता है।