मुश्किल वक्त है – निकल जायेगा
ईश्वर की सबसे सुन्दर, सशक्त एवं सभ्य कही जाने वाली कृति ‘मनुष्य’ की शक्ति एवं क्षमता कुंठित सी हो गई है। समस्या गंभीर है लेकिन जीवन सबसे मूल्यवान है और इसकी रक्षा हमारा दायित्व है। जो काल कवलित हो गये निश्चित रूप से उनके प्रति हमारे मन में दुःख के भाव हैं लेकिन अभी जो इन समयाओं से जूझ रहे हैं ऐसे समय में वे क्या करें? ये प्रश्न हमारे सामने खड़ा है।
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मित्रों! ये समय हिम्मत खोने का या निराश होने का नहीं है। ये समय है मजबूती से डटे रहने का और समस्याओं का सामना करने का, जब भी समस्याएँ हमारे जीवन में अधिक विराट और विकराल होकर उपस्थित होती हैं तो हमें याद रखना चाहिए कि ये समस्याएँ जितने तेज प्रवाह के साथ हमारे जीवन में आई हैं उतनी ही तेज़ गति से बाहर भी जाने वाली हैं।
कहाँ तक ये मन को अँधेरे छलेंगे, उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे।
अतः इस कष्टपूर्ण समय को सतर्कता और सकारात्मकता के साथ बीत जाने दीजिए। यदि आप इस समय के साथ स्वयं को जोड़ते हैं और इन समस्याओं के प्रवाह और प्रभाव का बार-बार चिंतन करते हैं तो ये समस्या ज्यादा बड़ी और भयानक लगने लगती है। इस समय को जप,तप,ध्यान एवं स्वाध्याय के द्वारा निकालने का प्रयत्न कीजिए । सहज रहने की कोशिश कीजिए। हालाँकि ये कहना जितना आसान है उतना ही इस विचार को समझकर जीवन में उतारना मुश्किल लगता है लेकिन प्रयत्न करते रहना चाहिए।
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इस समय हमें अपने शरीर के साथ-साथ मन की इम्युनिटी भी बढ़ानी है। हमें मन को नकरात्मक विचारों में गिरने से बचाना है। आपका मन, आपका चिंतन अच्छा है आप अंदर से प्रसन्न और मानसिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ है, आपको कोई चिंता, भय या दुख तकलीफ नहीं है तो इसके लिए भगवान् को धन्यवाद दें और काल-कवलित आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करते रहें।
लेखक: पंकज कुमार शर्मा ‘प्रखर’