फिर भी ना हारे हौसला, चाहे जितनी मुश्किल हो जिंदगी

जिंदगी ना जाने कैसी हो गयी है ना इस पल का पता ना ही आने वाले का पता और ना जाने कौनसा पल जिंदगी का आखिरी हो कुछ कहा नहीं जा सकता है। ऐसा लगता है कि मानो उधार की जैसी जिंदगी हो गयी है, उधार पूरा और जिंदगी ख़तम। वो ईश्वर जिसने इस सृष्टि की रचना की थी तो शायद उसने भी न सोचा होगा कि ऐसा भी वक़्त आयेगा कि हम अपनों के साथ हो कर भी उनसे बहुत दूर हो जायेंगें। ईश्वर ने इसलिए तो परिवार बनाये थे एक दूसरे के साथ सुख और दुःख बाँट सके और न जाने कैसा वक़्त आ गया है अंतिम पलों में कोई साथ ही नहीं दे पा रहा है। वही कहावत सही साबित हो रही है कि अकेले ही आये है और अकेले ही जा रहे है। ना तो अपनों को अपनों का कंधा नसीब हो रहा है, एक अनजाना व्यक्ति ही अंतिम समय में साथ दे रहा है।

कोरोना का कहर इस कदर इस दुनिया में छा गया है कि कोई आपस में एक दूसरे से मिलने से डरने लगा है। एक अलग सा संदेह उसके मन में चलता रहता है कि में जिस व्यक्ति से मिल रहा हूँ वो सुरक्षित तो है ना। इस अनजाने डर से हम एक दूसरे से दूर होते जा रहे है। हर व्यक्ति या तो अपने आप को बचाना चाहता है या फिर दूसरे की सुरक्षा चाहता है। ऐसा लगने लगा है जैसे कि हवा में ही जहर घुल गया है। इसी कारण व्यक्ति बाहर निकलने से डर रहा है।

एक आसान दिखने वाली ज़िन्दगी आज इतनी मुश्किल हो गयी है एक सांस के लिये आज दर दर भटकना पढ़ रहा है। बड़ा ही मुश्किल दौर चल रहा है जो बच गया है वही सिकंदर बन रहा है। लोगों को आक्सीजन ही समय समय पर नहीं मिल पा रही है लेकिन उसकी कालाबाजारी का सच लोगों के सामने आ रहा है। ऐसे लोगों ने क्या अपने जीवन के बारे में सोचा है कि कभी हमारे साथ भी ऐसा हो सकता था? सच्चाई एक न एक दिन सामने तो आनी है जब असहास होगा कि जीवन में सब कुछ पैसा नहीं होता कुछ इंसानियत भी होती है जो वक़्त बे वक़्त काम आ ही जाती है।

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कैसी तो लोगों की सोच हो गयी है कि अपनेपन का आभास दिखाने वाले अवसर मिल नहीं पा रहा है और जिन्हें मिल रहा है उसमें उन्हें किसी न किसी प्रकार का स्वार्थ दिख रहा है। कुछ तो ऐसे भी जो इस महाबीमारी में भी अपनी जान की परवाह न कर दूसरों के लिये अपनी जान पर खेल रहे है। जिनका कोई सहारा नहीं है वो उनका सहारा बन रहे है। ऐसे लोगों की दुआ ही उनके उज्जवल भविष्य में सार्थक साबित होगी ऐसा विश्वास मन में बना हुआ है। इन लोगों से कभी आप धन्यवाद नहीं हमेशा आशीर्वाद मांगो जो हमेशा आपके साथ रहे।

जो बच्चे अपने माता-पिता से दूर है किसी न किसी कारण से या भविष्य निर्माण को लेकर या रोज़गार की तलाश में वो उनसे मिल नहीं पा रहे है वक़्त का कैसा सितम आज आ गया है कि जिस पिता ने अपने लाडले को इतने नाजों से पाला आज वो ही अपने पिता को बेसहारा छोड़कर चला गया है वो भी इस कोरोना की लहर का शिकार बन गया या फिर उसके माता-पिता दोनों ही स्थिति में एक दूसरे के अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाये। जो कल साथ थे आज वे एक दूसरे से हमेशा-हमेशा के लिये बिछुड़ गये कैसी आपदा आ पड़ी है।

पेट भर खाना खाना भी मुश्किल हो गया है आये दिन लोगों को इतना ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है कि लोग दाने-दाने को तरस रहे है। जिन लोगों से उम्मीद की वो सहारा बनेगा वो ही आज इस कठिन समय बेसहारा कर रहे है। इस स्थिति वे दूसरों में सहारा तलाश कर रहे है। लेकिन इस विपदा में कुछ ही लोग आगे आ रहे है और कुछ तो केवल मौके का फायदा उठाने में लग गये है। प्राइवेट संस्थाओं में काम करने वाले इसका शिकार अधिक हो गये है। एक तो कोरोना का कहर और दूसरा उनका इस विपदा में समय पर वेतन न देना। कभी – कभी तो ऐसा लगता है कोरोना का सबसे अधिक असर उन पर ही पड़ा है।

ऐसा भी क्या पैसा कमाया कि अंतिम समय में कुछ भी काम नहीं आया है। अपनों का साथ पाने के लिये जीवन भर उसमें आस तलाश करते रहे और आज जब अंतिम समय ऐसा आया कि अपने ही लोग पास नहीं आ पाये। सब कुछ भूल गये इस आसान ज़िन्दगी को जीते-जीते यह भूल गये थे कि कभी ऐसा भी समय आएगा कि जीवन जीना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जायेगा।

वक़्त का ना जाने कैसा सितम आ गया है कौन सा एक नशा हवा में घुल गया है न जाने कब और किस पर असर कर जाये कुछ कहा नहीं जा सकता है आज है कल न हो कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। इसलिए हर पल खुश रहो और खुशनुमा पलों को याद करो जो आपने अपने परिवार के साथ बिताये है। छोटी-छोटी बातों में खुशियों की तलाश करो हो सकता है कि वो खुशियाँ ही आपके दुःख को भुलाने में आपकी मदद कर सके।

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बड़ी ही अजीब ज़िन्दगी हो गयी सभी की न जाने किस-किस के उधार पर चल रही है और ना जाने किस जन्म में वो उधार भी चुक पायेगा। वक़्त के साथ और सावधानी से चलने में ही भलाई है और उसके साथ ही अपने जीवन को हमें सुधारने की आवश्यकता है और उस पर अमल करने की आवश्यकता है। अपने संकट मोचन को हमेशा याद करते रहे हो और जब भी अपने घर से बाहर निकलो तो उन्हें नमन कर निकलो कि हे प्रभु आप ऐसा कवच मेरे और जिससे से भी मैं मिलूं उसके चारों और बना दो ताकि आपका यह कवच इस महाबीमारी से हमारी रक्षा करे। आज के समय ऐसा बन गया है कि घर में रहे और सुरक्षित रहे और किसी के लिये भी किसी प्रकार के दुःख का कारण ना बने और जरूरत पर जरुरतमंदो का आगे बढ़ कर साथ दे सके। ऐसी ही आशीर्वाद बनाये रखना प्रभु।

लेखक – डॉ. धीरज सोनी

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