नजरिया बदल देता है बाधाओं का रुख
बाधाएँ तो आएगी...
एक ही परिस्थिति में रहकर एक निराशावादी है और दूसरा आशावादी है। एक व्यक्ति के अन्दर डर, भय, निर्बलता होती है तो वहीं दूसरे के अंदर अदम्य साहस, शक्ति और अथाह ऊर्जा होती है। ऐसा क्यों? क्या किसी ने सोचा है? किसी ने चिंतन किया है? नही न, तो आज और अभी से इस पर चिंतन अवश्य करें। यह बहुत गम्भीर विषय है, इस पर चिंतन आवश्यक है।
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यह इस तरह है जैसे कि, हमारा जीवन एक खेल की तरह है और हर व्यक्ति इस खेल में खिलाड़ी है। सभी को खेलने के लिए धैर्य, साहस, संयम, विवेक, प्रेरणा, उत्साहस, सकारात्मकता, आत्मविश्वास, दृढ़-संकल्प, इच्छा शक्ति, आत्मबल इस तरह के बहुत सारे टूल्स मिले हुए हैं। इन टूल्स का उपयोग करके आपको अपना आधार मजबूत करना है, क्योंकि सोचने समझने की शक्ति और दिमाग तो सबके पास है इसलिए इनका उपयोग करना आपके हाथ में हैं, आप कैसे टूल्स को उपयोग में लाते हैं। जिस तरह किसी भी खेल को खेलते समय अनेक चुनातियाँ सामने आती हैं, किन्तु खिलाड़ी उन चुनौतियों को हराकर आगे बढ़ते तथा जीत हासिल करने के लिए अपने खेल में डटे रहते हैं। वैसे ही जिंदगी के इस खेल में भी अनेकों कठिनाइयां हमारे सामने आती हैं और आएंगी ही लेकिन हमें डटे रहना है। जैसे कि क्रिकेट मैच में खिलाड़ी के लिए गेंद, बल्ला, स्टंप, ग्राउंड आदि की व्यवस्था कर दी जाती है। उसे अच्छी, बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग करना होता है। जो खिलाड़ी क्रिकेट के इन टूल्स का उपयोग कर जितना अधिक अभ्यास करता है, जितना अधिक परिश्रम करता है, जितना अधिक खेल में ध्यान केंद्रित करता है वह उतना ही बेहतर कर पाता है, सचिन, धोनी विराट बन जाता है और यदि आने वाली बाधाओं से विचलित होकर अभ्यास करना छोड़ दिया तो कभी बेहतर खिलाड़ी नही बन पाता, गुमनाम हो जाता।
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इसी तरह जिंदगी के खेल में भी बाधाएं आएंगी जरूर आएंगी बल्कि और अधिक बाधाएं आएंगी। किन्तु जीवन में विजेता बनना है तो इन चुनौतियों को हराकर आगे बढ़ना ही होगा। इसके लिए हमें दिए गए जीवन के टूल्स के साथ सतत अभ्यास और निरंतर परिश्रम करना ही पड़ेगा। यदि हम बाधाओं से डरे बिना, विचलित हुए बिना अपने कर्मपथ में आगे बढ़ते रहे तो एक दिन अवश्य सफलता अर्जित करेंगे। इतिहास रचेंगे और अम्बर-सा यश प्राप्त करेंगे। खेल और जिंदगी में बस एक फर्क होता है कि खेल में बाधाएं बाहर से आती हैं और जिंदगी में बाधाएं डर, भय, तनाव, अवसाद और नकारात्मकता आदि के रूप में हमारे अंदर से आती हैं और हमारा विश्वास इन पर ही कायम हो जाता है। विश्वास में अद्भुत शक्ति होती, जैसी बातों पर हम विश्वास करते हैं हम वैसे ही बन जाते हैं। जैसा हम सोचते हैं उसी अनुसार परिणाम पाते हैं। अब यह आप और हम पर निर्भर करता है कि हम कैसा खेलना चाहते हैं। निरन्तर अभ्यास व परिश्रम द्वारा जिंदगी के सार्थक टूल्स का सही उपयोग अम्बर-सा यश प्राप्त करना चाहते है या फिर किसी गुमनाम खिलाड़ी की तरह जिंदगी जीना चाहते हैं।
लेखक: पंकज प्रखर
शिक्षक