UP Assembly Elections 2022: योगी को चुनाव हराकर ही मानेंगे उनके ये बिगड़ैल मंत्री

  • खाद मांग रहे किसानों को मन्नू कोरी ने हड़काया, बोलेः चुनाव में वोट देना हो देना, नहीं देना हो मत देना
  • तेल की बढ़ती कीमतों पर उपेंद्र तिवारी बोले: मुठ्ठी भर लोग चलाते हैं चार पहिया, 95 प्रतिशत को नहीं चाहिए पेट्रोल

TISMedia@VineetSingh साल 2022 के विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ का जादू चलेगा या नहीं यह तो अभी से कहना मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर तय है कि उनकी ही सरकार के मंत्रियों ने उन्हें चुनाव हरवाने के ठेका जरूर ले लिया है। यकीन न आए तो उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम मंत्री मनोहर लाल पंथ उर्फ मन्नू कोरी से लेकर खेल मंत्री उपेंद्र तिवारी के बयानों को सुन लीजिए। जनता की समस्याओं का समाधान करने के बजाय योगी सरकार के यह मंत्री ऊल-जुलूल बयान बाजी करने में जुटे हैं। जिसे विपक्ष भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। चुनावी सर्वे करने वाले संस्थान लोगों का मन टटोलने में भी जुट गए हैं। जिनके सर्वे लगातार भाजपा को चेतावनी दे रहे हैं कि काम नहीं हो रहा तो कोई बात नहीं है, माहौल तो मत बिगाड़ो, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से लेकर योगी सरकार के मंत्री इस कदर बौराए हुए हैं कि सत्ता के खुमार में न सिर्फ जनता को हांकने में जुटे हैं, बल्कि जमकर बकलोली भी कर रहे हैं।

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कीमतों के साथ जुबान भी हुई बेकाबू 
मोदी सरकार में सिर्फ पेट्रोल और डीजल की कीमतें ही बेकाबू नहीं हो रहीं, उनकी पार्टी पदाधिकारियों और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों की जुबान भी बेकाबू हो चुकी है। जिसका जीता जागता उदाहरण जालौन में उस वक्त देखने को मिला जब यूपी के खेल मंत्री से पत्रकारों ने तेल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों पर सवाल दाग दिया। मंत्री उपेंद्र तिवारी को कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने पेट्रोल और डीजल को ही गैर जरूरी बता दिया। तिवारी ने यहां तक कह दिया कि सिर्फ पांच प्रतिशत लोग ही पेट्रोल का प्रयोग करते हैं। ऐसे में कीमत बढ़ने से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पढ़ता। मुठ्ठी भर लोग चलाते हैं चार पहिया। इसलिए 95 प्रतिशत लोगों को नहीं चाहिए पेट्रोल। भला ऐसा बयान ट्रोल क्यों नहीं होता और हुआ भी। खेल मंत्री के बयान ने ऐसा खेला मचाया कि न खुद और न ही उनकी पार्टी और सरकार के मुखिया को कुछ कहते बन रहा है। विपक्ष तिवारी के बयान को भी भुनाने के लिए मीम्स बनाने पर उतर आया है।

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और अब देखिए मन्नू कोरी की रंगबाजी 
यूपी सरकार के एक और मंत्री हैं, मन्नू कोरी। हालांकि उनका पूरा नाम है मनोहर लाल पंथ, लेकिन रंगबाजी के चलते उन्हें मन्नू कोरी कहलवाना ही पसंद है। कहने को तो उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री हैं, लेकिन लोगों को रोजी-रोटी दिलाने से ज्यादा उनकी चर्चा मीडिया को रोजगार देने के लिए होती है। मन्नू कोरी कभी घूस के आरोपों में फंस जाते हैं तो कभी लड़कियों को चाकू रखने की नसीहत दे कर बवाल मचा देते हैं। नया मामला यूपी के ललितपुर का है। जहां खाद के लिये परेशान किसान जब उन्हें अपनी समस्या सुनने आए तो मंत्री जी बिफर गए। पहले तो बेबीरानी मौर्य के बयान की कॉपी की कि खाद की कोई कमी नहीं है, अफसर माहौल खराब कर रहे हैं, लेकिन जब लोगों ने अफसरों की जेब से खाद निकलवाने को उकसाया तो मन्नू कोरी भड़क गए और चीख कर बोले “जाओ नाएं खाद। जां मिल जाए मां लै लइयो।” यूपी में सिर्फ खाद ही खत्म नहीं हुई, बल्कि मंत्रियों के धैर्य का भी टोटा पड़ गया है। योगी सरकार में मंत्री मनोहर लाल पंथ उर्फ मन्नू कोरी को भी जब जनता के सवालों का कोई जवाब नहीं सूधा तो वह आपा ही खो बैठे और गुस्से से बोल पड़े “चुनाव में वोट देना हो देना, नहीं देना हो मत देना”। विपक्ष की तो छोड़िए सत्ताधारी दल ने भी उनका यह बयान सुनकर अपना माथा पीट लिया। क्योंकि संगठन के लोग जानते हैं कि जनता ने मन्नू कोरी की बात कलेजे पर ले ली तो भाजपा का सूपड़ा साफ होने से कोई नहीं बचा पाएगा।

नसीहत थी या खुंदक 
दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य को कुर्सी से उतारकर पार्टी संगठन में भेज दिया। उत्तर प्रदेश में दलितों की राजधानी कहे जाने वाले आगरा से ताल्लुक रखने वाली बेबीरानी को पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया। केंद्रीय नेतृत्व में जगह देते समय उन्हें मायावती का विकल्प बता कर प्रचारित किया गया। लेकिन, बेबीरानी मौर्य दलित वोट बैंक में सेंध लगाना तो दूर, उल्टा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र में ही खड़े होकर योगी सरकार पर लानत मढ़ने लगीं। उनके निशाने पर तो यूपी के अफसर और पुलिस थी, लेकिन वह भूल गईं की दोनों की लगाम उन्हीं के सत्ताधारी दल के मुखिया योगी आदित्यनाथ के हाथों में हैं। बेबी रानी ने बनारस में “महिलाएं अंधेरा होने के बाद घर से न निकलें” बयान देकर सीधे सीएम योगी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। अब विपक्ष इसे सूबे की लचर कानून व्यवस्था बता भुनाने में जुटा है। जबकि भगवा खेमा इसे मंत्री न बनाए जाने की खीज करार दे रहा है।

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