रेमडेसिविर के लिए दिखाना होगा आधार और कोविड-19 रिपोर्ट, कालाबाजारी पर सख्त कदम
चंडीगढ़. हरियाणा सरकार रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर सख्त हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बताया कि प्रदेश में रेमडेसिविर के दो डिपो है। साथ ही उन्होंने कहा कि ड्रग अधिकारियों को वहां तैनात कर दिया गया है। हर शीशी के क्रय-विक्रय पर नजर रखी जा रही है।
प्रदेश में 4 दवा निर्माता को अनुमति
चार दवा कंपनिया सिप्ला, डॉ. रेड्डीज, हेटरो और जुबिलेंट हिमाचल प्रदेश में रेमडेसिविर का उत्पादन कर रही है। देश में कुल छह कंपनियों को केंद्र ने इस इंजेक्शन के उत्पादन की अनुमति दी है। प्रदेश में उत्पादन की अनुमति 4 कंपनियों को दी है और दवा नियंत्रक से लाइसेंस दिया गया है। इन चार कंपनियों के अलावा प्रदेश में किसी अन्य दवा निर्माता कंपनी को रेमडेसिविर के उत्पादन का लाईसेंस नहीं है।
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आधार दिखाना जरूरी
इस के साथ ही उन्होंने बताया कि, “दवा बेचने वालों को भी कहा गया है कि यदि कोई रेमडेसिविर मांगे तो उसका आधार कार्ड अवश्य चेक किया जाए। हमने दवा की कालाबाजारी के मामले में चार लोगों को गिरफ्तार भी किया है। रेमडेसिविर इंजेक्शन दवा विक्रेता बेच सकते हैं, लेकिन उन्हें अपने स्टॉक की पूरी जानकारी के साथ जिस कोविड मरीज को बेचा है उसकी आधार कार्ड की कॉपी के अलावा, कोविड रिपोर्ट और डाक्टर की लिखी पर्ची रिकॉर्ड के तौर पर रखनी होगी।“
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अब कीमत 800 रूपए
पहले रेमडेसिविर इंजेक्शन 2 हजार से लेकर अढ़ाई हजार रुपए में बेचा जा रहा था। इस के बाद इसकी कीमत 1100 रुपए हुई और अब यह 800 रुपए में मिल रहा है। रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रयोग प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में किया जा रहा है और बहुत गंभीर मरीजों के लिए ही प्रयोग किया जा रहा है। प्रदेश में रेमडेसिविर इजेंक्शन की कोई कमी नहीं है, साथ ही अस्पताल व मेडिकल कॉलेज जरूरत अनुसार अपने स्तर पर इनकी खरीद कर रहे है।