17 से कुंभ समाप्त! निरंजनी अखाड़े ने की घोषणा, बैरागी महामंडलेश्वर की मौत

हरिद्वार. देवभूमि के मंदिरों को देवस्थान विभाग के अधीन लाने वाले मुख्यमंत्री को बदल देने वाली भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और उत्तराखंड सरकारों पर एक बार फिर साधुओं की नाराजगी भारी पड़ गई। कोरोना के सुपर स्प्रेडर बन चुके हरिद्वार कुंभ में न तो दोनों ही सरकारें कोविड गाइड लाइन की पालना करा सकीं और ना ही कुंभ की मियाद पर कोई फैसला कर सकीं, लेकिन कुंभ से संक्रमण बढ़ने के बाद मौत होते देख निरंजनी अखाड़े ने कड़ा फैसला ले लिया है। शाही स्नान में सबसे पहले आने वाले इस अखाड़े ने कोरोना संक्रमण रोकने के लिए 17 अप्रैल के स्नान के बाद कुम्भ पर्व समाप्त करने की घोषणा कर दी है। हालांकि अभी तक कोई दूसरा अखाड़ा इस घोषणा में निरंजनी अखाड़े के साथ नहीं आया है।

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महंत रवींद्र पुरी महाराज ने लिया फैसला
14 अप्रैल के शाही स्नान के बाद सरकारी तौर पर कुम्भ समाप्ति की घोषणा की अटकलें थी लेकिन कल रात सरकार ने ऐसी संभावना के इनकार कर दिया था। 15 को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के सचिव एवं मां मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष महन्त रविंद्र पुरी महाराज ने कुंभ मेले के समापन की घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा कि मुख्य शाही स्नान संपन्न हो गया है उसके बाद अखाड़ों में बड़ी संख्या में संत और भक्तों में कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं । कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हमारे अखाड़े ने 17 अप्रैल को कुम्भ समाप्त करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यह अखाड़ा परिषद का फैसला नहीं है, हमारे अखाड़े का निजी फैसला है। अधिकतर अखाड़ों की यही राय है हमने अपने अखाड़े में कुम्भ समापन की घोषणा कर दी है।

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महंत की मौत से हुए सन्न
आपको बता दें कि हरिद्वार कुंभ में शामिल हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह सहित दर्जनों वीवीआईपी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। इसके बाद से ही हरिद्वार कुंभ के कोरोना सुपर स्प्रेडर बनने की आशंकाएं बढ़ने लगी थी, लेकिन न सिर्फ उत्तराखंड सरकार बल्कि केंद्र सरकार भी कुंभ की मियाद और कोरोना गाइड लाइन को लेकर कोई सख्त कदम उठा सके। मामला तब ज्यादा गंभीर हो गया, जब 15 अप्रैल को वैरागी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव की कुंभ के दौरान कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद मौत हो गई।

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रुड़की तक पहुंचा मौत का सिलसिला
हरिद्वार कुंभ से लौटने के बाद संक्रमितों का सिलसिला खासी तेजी से बढ़ा। हालात यह हो गए कि हरिद्वार में ही सैकड़ों की संख्या में साधु कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इतना ही नहीं संक्रमण की रफ्तार इतनी तेज थी कि हरिद्वार ही नहीं रुड़की तक इसकी चपेट में आ गया। हरिद्वार से कुंभ स्नान करके लौटे आईआईटी रुड़की के छात्र की कोरोना की चपेट में आने के बाद मौत हो गई। इतना ही नहीं यहां 100 से ज्यादा छात्र और शिक्षक अब भी पॉजिटिव हैं।

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