समाज की सच्चाई
क्या ये हमारे परिवार के है…?
क्या ये हमारे रिश्तेदार है…?
या ये हमारे समाज में रहते है…?
ये वही चार लोग है जिनका काम केवल समाज में बैठकर दूसरो में कमियाँ निकालने का होता है। ये वही लोग है जिनकी सोच पिछड़ी हुई है, जो कुछ कर नहीं सकते लेकिन समाज में लोगो को कुछ करता देखकर केवल बाते बनाना जानते है, ये वही लोग है जिनका काम है कहना…
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ये लोग कहाँ से आते है?
और ऐसे अपवादों का जन्म कहां से होता?
ये लोग कही अन्य ग्रह से नहीं बल्कि इन लोगों का जन्म सबसे पहले परिवार से होता है परिवार से जो सीखते है या उनके अपने पिछड़े हुए लोगों द्वारा जो प्राप्त करते है वही समाज में बैठकर आजमाते है क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों काम है कहना… और कितनी अच्छी तरह से ये कहावत ऐसे लोगों पर फिट बैठती है। ये समाज के ऎसे अपवाद है जो खुद से अन्य लोगों को आगे बढ़ने से रोकते है ऎसे लोग चाहते ही नहीं की हमारा समाज आगे बढ़े और इस संसार में कोई इन चार लोगो से अछूता नहीं है।
समाज के इन अपवादों पर तो हमारे पुराने फिल्म कलाकार द्वारा एक गाना भी बनाया गया है…
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना
छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना
कुछ रीत जगत की ऐसी है, हर एक सुबह की शाम हुई
तू कौन है, तेरा नाम है क्या, सीता भी यहाँ बदनाम हुई
फिर क्यूँ संसार की बातों से, भीग गये तेरे नैना
कुछ तो लोग कहेंगे…
ये कुछ सुन्दर पंक्तियां आंनद बक्शी जी द्वारा लिखी गई थी जो आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी ये कुछ पंक्तियां जीवन भर अमर रहेगी।
ऎसे लोगो पर एक कहावत और है… ‘कि कायर लोग अपनी ताकत कमजोर लोगो पर ही आजमाते है, जब हम कुछ काम करने लगते है तो उनमें कमियां निकालना शुरू कर देते है और जब वह कमियां निकालने में सफल नहीं हो पाते तो समाज में बैठकर ताने मारना शुरू कर देते है। इनका काम दूसरो को प्रेरणा हीन बनाना होता है।
आज समाज में ऎसे लोगों की सोच को खत्म करने की बहुत आवश्यकता है नहीं तो हमारा समाज कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा। समाज के कुछ ऎसे लोगों की वजह से ही देश का भविष्य नहीं सुधर पा रहा है। हमें ऎसे लोगो को अनदेखा करना चाहिए इन लोगों के कारण ही हम कुछ कर नहीं पाते।
और सबसे ज्यादा परेशानी समाज की महिलाओं को झेलनी पड़ती है। जो महिलाए छोटे परिवार से या गावों से आती है उनको उनके ही परिवार व समाज द्वारा आगे नहीं बढ़ने दिया जाता। लोगों को अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है और सभी को अपना जीवन अपने इच्छानुसार जीने का हक है। यहां तक कि हमारे भारत के संविधान में भाग (3) में भी 14 -18 तक स्वतंत्रता से जीने के प्रावधान है इसलिए हम जो है हमें हमारे कर्म करते रहना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए जीवन हमारा है और हमें हमारे जीवन की चाबी किसी अन्य के हाथो में नहीं देनी चाहिए तभी हम आगे बढ़ पाएंगे और सबसे ज्यादा उन लड़कियों और महिलाओं के लिए जो कुछ करना चाहती है अपने माता – पिता को सम्मान दिलाना चाहती है समाज के लिए कुछ करना चाहती है।
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लोगों की बातों को कमजोरी नहीं अपनी ताकत बनाए तभी जीवन में आगे बढ़ सकते है…
और किसी भी व्यक्ति को उसके चेहरे या उसके पहनावे से नहीं आकना चाहिए क्योंकि जो आप देख रहे होते है कही लोग उससे कही ज्यादा अनुभव कर चुके होते है।
सर्वोत्तम व्यक्ति वो नहीं जो दूसरो में कमियां निकालते है… सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति वह है जो खुद की कमियों को देखते है और उनको सुधारने की कोशिश करते है।
लेखिका: कीर्ति शर्मा
(लेखिका कीर्ति शर्मा एक छात्राध्यापिका एवं लेखक के क्षेत्र में सक्रिय है।)