सेहत का खजानाः कोरोना से बचने के बस तीन आयाम, मास्क वैक्सीन और व्यायाम…

21 किलोमीटर की दौड़ तय थी… तड़के छह बजे तक टास्क पूरा करना था, लेकिन सुबह चार बजे जब मैदान पर पहुंचा तो सिर्फ 11 किलोमीटर ही दौड़ सका। ऐसी थकान बीते सात सालों में कभी महसूस नहीं की थी… जबकि कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब दौड़ और जिम पूरी न की हो…। थकान भी ऐसी कि घर लौटने के मजबूर हो गया।

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घर लौटते ही महसूस किया कि थकान के साथ गले में खराश भी होने लगी। कोरोना दिमाग में कौंधा जरूर, लेकिन वैक्सीन की दोनों डोज उस पर भारी पड़ गईं। यह सोचकर कि दोनों डोज लगवा चुका हूं इसीलिए कोरोना होने का तो सवाल ही नहीं उठता। फिर एक एंटीबायोटिक ली और 1 दिन का इंतजार किया, लेकिन खराश ठीक नहीं हुई। नतीजन, अब कोविड टेस्ट कराना जरूरी हो गया। जिसकी आशंका थी वहीं हुआ… टेस्ट कराया तो वह कोविड positive आया। रिपोर्ट आते ही होम आइसुलेट हुआ और कोरोना प्रोटोकॉल के मुताबिक इलाज शुरू कर दिया।

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नहीं जकड़ सका संक्रमण
देखिए, सालों से दौड़ रहा हूँ… लोगों को दौड़ के फायदे बताता आ रहा हूं… लोगों को डाइट और फिटनेस फ्रीक बनाने की कोशिश मे जुटा हूं…। इसका असर यह हुआ कि जब कोरोना ने हमला किया तो न फेंफड़े फूले और नाही दम उखड़ा। मतलब साफ है कि साइकलिंग और जिमिंग आपकी एरोबिक कैपेसिटी इतनी अच्छी बना देते हैं कि कोविड डैसे हालातों में न सिर्फ आपका शरीर पूरी तल्लीनता से आपका साथ देता है, बल्कि वह इस लड़ाई में आपको हारने ही नहीं देती। आपकी हेल्थी लाइफस्टाइल इस बुरे वक्त में बीमारी और आपके बीच अटूट ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं। ऊपर से वैक्सीनेशन का कवच भी चढ़ा हो तो क्या कहने। इसी कवच और ढ़ाल ने कोरोना की चपेट में आने के बाद भी मुझे पूरी तरह सुरक्षित रखा।

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बिना तकलीफ के गुजरा आइसोलेशन पीरियड
कोविड की फर्स्ट वेब आने के बाद से ही मैं लोगों को पर्सनली और पब्लिकली रनिंग, साइकलिंग और जिमिंग के लिए प्रेरित कर रह था। लोगों के फैंफड़ों में दम भरने के लिए उन्हें घर से जगाकर अपने साथ दौड़ने के लिए मना रहा था…। कई लोग इसके लिए राजी हुए, क्योंकि उन्हें समझ आ गया कि आखिर फैंफड़ों को मजबूत बनाए बिना इस लड़ाई में जीत हासिल नहीं की जा सकती। यही काम हम लोगों ने वैक्सीनेशन के कुप्रचार को खत्म करने के लिए किया। जो साथी, सहयोगी, परिचित और रिश्तेदार कोविड वैक्सीन लगवाने से हिचक रहे थे उनके मन का डर दूर करने में जान लगा दी। थोड़ी मुश्किलें हुईं लोगों की समझाइश करने में लेकिन, नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे। आपको जानकर हैरत होगी कि हमारी टीम के सिर्फ एक फीसदी लोग कोरोना की चपेट में आए और जो आए वह भी 100 फीसदी ठीक हो गए। बिना किसी परेशानी के। इसीलिए एक बार फिर कोटा वासियों से मेरी गुहार है कि वैक्सीन जरूर लगवाएं। इसके बाद आप कोरोना पॉजिटिव तो हो सकते हैं, लेकिन आपकी जान का जोखिम टल जाएगा। साथ ही नियमित व्यायाम करने की आदत डालें, ताकि आपका शरीर पूरी तरह तंदरुस्त रहे और संक्रमण के हमले से लड़ सके। हां एक चीज और ध्यान रखिएगा… इस दौरान कोई आपसे मदद मांगने आए तो इनकार मत कीजिएगा। कोशिश की जिएगा कि उसकी जितनी हो सके मदद की जाए। क्योंकि कोरोना का संक्रमण सिर्फ लोगों पर ही नहीं इंसानियत और रिश्तों पर भी भारी पड़ रहा है। इस सामाजिक टूटन को हम एक दूसरे के साथ खड़े होकर भर सकते हैं।

(लेखकः डॉ. संजीव सक्सेना, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी, एमबीएस हॉस्पिटल कोटा।)

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