VMOU: खजाने में लगी 228.91 लाख की सेंध, न खजाना मिल रहा है न खजांची
- मौलाना आजाद फाउंडेशन ने अल्पसंख्यकों के रोजगारपरक प्रशिक्षण के लिए दिया था फंड
- टीडीएस कटा तो वित्त विभाग को लगी खबर, हिसाब मांगने पर अब तक पसरा है सन्नाटा
TISMedia@Kota वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (VMOU) में लूट-खसोट थमने का नाम ही नहीं ले रही है। कभी इमारतों के निर्माण में तो कभी किताबों की छपाई के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की फेहरिस्त में नया नाम जुड़ गया है, “सीखो और कमाओ” का। वीएमओयू के इतिहास में हुई अब तक की सबसे बड़ी 228.91 लाख रुपए की इस सेंधमारी को यूनिवर्सिटी के अफसरों ने इतनी सफाई से अंजाम दिया कि 4 महीने की तमाम कोशिशों के बावजूद वित्त विभाग न तो खजाना तलाश पा रहा है और न ही खजांची।
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साल 2021 के जुलाई महीने में वीएमओयू के वित्त नियंत्रक राकेश भारतीय को विश्वविद्यालय के सनदी लेखाकार (सीए) ने ईमेल और 26 एएस (वार्षिक समेकित टैक्स स्टेटमेंट) के जरिए जानकारी दी कि Vardhman Mahaveer Open University kota के स्थाई खाता संख्या AAAJV0817C से दिनांक 04 फरवरी 2021 को धारा 194 (टीडीएस कटौती) के अंतर्गत केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्ठान (maulana azad education foundation) से 02 करोड़, 28 लाख, 91 हजार 05 सौ रुपए की राशि मिली थी। जिस पर आयकर विभाग ने 04 लाख, 57 हजार, 08 सौ 30 रुपए की आयकर कटौती की है।
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सन्न रह गए वित्त नियंत्रक
सनदी लेखाकार से मिली इस जानकारी को पढ़ते ही वीएमओयू के वित्त नियंत्रक राकेश भारतीय सन्न रह गए। क्योंकि, वीएमओयू के किसी भी खाते में न तो यह रकम जमा थी और न ही इस फंड की कोई जानकारी वित्त विभाग या विश्वविद्यालय के किसी रिकॉर्ड में दर्ज थी। पूरी यूनिवर्सिटी से पूछताछ करने के बाद भी जब करोड़ों की इस रकम का कोई पता ठिकाना न मिला तो 20 जुलाई 2021 को उन्होंने कुलसचिव, वित्त सचिव, क्षेत्रीय अध्ययन केंद्रों के निदेशकों, लाइब्रेरी, ईएमपीसी और परीक्षा नियंत्रक से लेकर कुलपति कार्यालय को पत्र लिखकर इस फंड के बारे में जानकारी मांगी।
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कान पर जूं तक नहीं रेंंगी
वित्त नियंत्रक की यह चिट्ठी भी किसी काम नहीं आई। वीएमओयू के लेखा एवं वित्त विभाग की मौखिक ही नहीं लिखित कवायद के बाद भी जब किसी के कान पर कोई जूं नहीं रेंगी तो वित्त नियंत्रक ने विश्वविद्याल के सभी विभागाध्यक्षों को सख्त हिदायत के साथ पत्र लिखा और उसमें उनके स्तर पर संचालित बैंक खातों की वास्तविक स्थिति एवं उससे जुड़े विधिक दस्तावेज मांगे। रिमाइंडर देने के बाद भी वीएमओयू के वित्त नियंत्रक को न तो खजाना मिला और न ही खंजाची।
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FIR की धमकी पर खुली पोल
जमकर बवाल मचने के बावजूद जब वीएमओयूके वित्त नियंत्रक को करोंड़ें की इस रकम की कोई जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से गबन का आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के लिए मौखिक स्वीकृति मांगी। तब जाकर 30 जुलाई 2021 को उद्यमिता एवं कौशल विकास केंद्र (Center for Entrepreneurship and Skill Development) के निदेशक प्रो. बी अरुण कुमार ने वित्त नियंत्रक को पत्र लिखकर बताया कि एसडीसी को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय की “सीखो और कमाओ” योजना के तहत एक प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ है। जिसमें अल्पसंख्यक युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रोजेक्ट संचालित करने के लिए प्रशिक्षण सहयोगियों को देय प्रथम किश्त (प्रोजेक्ट की कुल लागत का 30 फीसदी यानि 2,28,91,500 रुपए) का 2 प्रतिशत टीडीएस यानि रुपए 4,57,830 की कटौती मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्ठान ने की है।
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न खजाना मिला, न खजांची
कौशल विकास केंद्र के निदेशक ने टीडीएस कटौती क्यों की गई, इसकी जानकारी तो दे दी, लेकिन न तो बैंक खातों, न रकम और न खर्चे के बारे में वित्त नियंत्रक को कोई जानकारी दी। वित्त नियंत्रक राकेश भारतीय कुलपति से लेकर कुलसचिव और निदेशक कौशल विकास केंद्र को चिट्ठियां लिखते-लिखते 30 सितंबर को सेवानिवृत हो गए, लेकिन “सीखो और कमाओ योजना” का हिसाब विश्वविद्यालय के आला अफसरों ने उन्हें आखिरी कार्यदिवस तक नहीं सौंपा। जिसके बाद उन्होंने इस रकम के गबन की आशंका जाहिर की है।