ACB: कोटा डेयरी के पूर्व चेयरमैन श्याम बाबू वर्मा और लेखाकार अखिलेश गिरफ्तार
साल साल पहले फर्जी कागजातों पर दे दिया था करोड़ों का ठेका, अब आकर गिरी गाज
TISMedia@Kota 7 साल पहले फर्जी लाइसेंस पर ठेकेदार को करोड़ों रुपए का ठेका देने के आरोप में सरस डेयरी के तत्कालीन एमडी श्याम बाबू वर्मा और एकाउंटेंट अखिलेश शर्मा को एसीबी ने धर दबोचा। कोटा ग्रामीण एसीबी ने दोनों को गिरफ्तार कर एसीबी कोर्ट में पेश किया।
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कोटा ग्रामीण एसीबी की टीम ने 7 साल पुराने मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने फर्जी लाइसेंस के जरिए संवेदक को ठेका दे दिया था। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेरणा शेखावत ने बताया कि कोटा सरस डेयरी के पूर्व प्रबंध निदेशक श्याम बाबू वर्मा ने साल 2014 में चित्रांशु नाम की एक फर्म को डेयरी प्लांट में मैन पॉवर सप्लाई करने के लिए ठेका दिया था। टेंडर शर्तों के मुताबिक यह ठेका उसी फर्म को दिया जा सकता था जिसका टर्नओवर कम से कम एक करोड़ रुपए का हो, लेकिन इस कंपनी ने टर्नओवर के फर्जी कागज लगाकर यह ठेका हासिल कर लिया।
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फर्जीवाड़े में रहे शामिल
एसीबी ने जांच में पाया कि जिस फर्म को सरस डेयरी ने मैन पॉवर सप्लाई का ठेका दिया है उसके टर्नओवर सर्टिफिकेट से लेकर सभी दस्तावेजों की जांच श्याम बाबू वर्मा और अखिलेश सक्सेना ने खुद की थी। जैसे ही सरस डेयरी ने फर्म को ठेका दिया उसकी पोल खुल गई। विरोधी ठेकेदारों ने इसकी शिकायत सरस डेयरी प्रबंधन से भी की, लेकिन वर्मा कोई कार्यवाही करने के बजाय फर्म को बचाते रहे। जबकि फर्जी लाइसेंस की पोल खुलते ही झालावाड़ इंजीनियरिंग कॉलेज ने इसी फर्म का ठेका निरस्त कर उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। जबकि सरस डेयरी प्रबंधन ने कांट्रेक्ट खत्म करने के बजाय उसे बढ़ा दिया।
2018 में दर्ज हुआ मुकदमा
फर्जी लाइसेंस से सरस डेयरी में मैन पॉवर सप्लाई कर रही फर्म के खिलाफ जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो लोगों ने एसीबी को परिवाद दे दिया। जांच के दौरान एसीबी ने सरस डेयरी के तत्कालीन प्रबंधक श्याम बाबू वर्मा, लेखाकार अखिलेश सक्सेना और फर्म के मालिक संजय माथुर को भ्रष्टाचार का दोषी मानते हुए साल 2018 में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कर लिया। मुकदमा दर्ज होने के बाद एसीबी ने अभियोजन स्वीकृति के लिए सरकार को फाइल भेजी। लंबे इंतजार के बाद अब जाकर सरकार ने इस मामले में अभियोजन स्वीकृति दी तो कोटा ग्रामीण एसीबी ने दोनों मुख्य आरोपियों श्याम बाबू वर्मा और अखिलेश सक्सेना को गिरफ्तार कर लिया। जबकि ठेकेदार अभी फरार बताया जा रहा है।