लोकसभा अध्यक्ष ने राज्यपाल कलराज मिश्र की बायोग्राफी “निमित्त मात्र हूँ मैं’ का किया लोकार्पण
बोले कलराजः राज्यपाल व्यक्ति नहीं संस्था, संवैधानिक मूल्यों की रक्षा ही मेरी प्रतिबद्धता
TISMedia@Jaipur: कलराज मिश्र ने अपना सम्पूर्ण जीवन मानवता और समाज के कल्याण को समर्पित किया है। वे ऐसे विरले राजनेता हैं जो विधान सभा, विधान परिषद, राज्यसभा और लोकसभा चारों सदनों के सदस्य रहे हैं और अब राज्यपाल के पद पर संवैधानिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। उनके सुदीर्घ सामाजिक-राजनीतिक अनुभव से राज्य के विकास को गति मिली जिसका सीधा लाभ जनता को हो रहा है। ऐसे विराट व्यक्तित्व की जीवनी निश्चय ही युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी साबित होगी। गुरूवार को राजभवन में राज्यपाल कलराज मिश्र की बायोग्राफी ‘निमित्त मात्र हूँ मैं’ का लोकार्पण करते हुए यह बात लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कही।
बिरला ने कहा कि श्री मिश्र की लोकतांत्रिक परम्पराओं और संवैधानिक मूल्यों में अटूट आस्था है। राष्ट्रवाद व देशभक्ति के विचारों के सृजन तथा उनको पुष्पित व पल्लवित करने में वे सदैव आगे रहे। यही भावनाएं प्रदेश के युवाओं में भी समृद्ध हों इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालयों में संविधान पार्कों के निर्माण की अनुकरणीय पहल की है। इसके साथ वे प्रदेश की गौरवशाली संस्कृति और परम्पराओं को संरक्षित करने में अहम योगदान दे रहे हैं।
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बिरला ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मिश्र की सक्रियता की सराहना की। उन्होंने कहा कि कठिन और विषम परिस्थितियों में उन्होंने जनता की परेशानियों और पीड़ा को केंद्र व राज्य सरकार तक पहुंचाया। उन्होंने केंद्र एवं राज्य सरकार में समन्वय स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाई। इस प्रकार के प्रयासों के कारण ही हम प्रदेश में कोरोना को नियंत्रित करने में सफल हो सके। बिरला ने कलराज की पत्नी सत्यवती देवी की भी सराहना करते हुए कहा कि संघर्ष के दौर में उन्होंने धैर्य का परिचय देते हुए मिश्र का पूरा साथ दिया। इसकी कारण उनकी सफलता का मार्ग प्रशस्त हो सका।
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सरल, मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी राज्यपाल कलराज मिश्र की कार्यशैली सभी से हटकर है। उन्होंने कहा कि लम्बे सार्वजनिक जीवन में उन्हें सभी राजनीतिक दलों के राजनेताओं की ओर से समान रूप से सम्मान मिला है। उन्होंने राज्यपाल मिश्र को जन्मदिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पुस्तक के शीर्षक में ही ‘मैं‘ को सबसे अंत में स्थान दिया गया है, जो मिश्र की सादगी और सोच को दर्शाता है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने संविधान के अनुच्छेद 153 एवं 159 का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्रदेश और केन्द्र सरकार के बीच में सेतु तथा संविधान की मूल भावना की रक्षा का कार्य प्रभावी रुप में कर रहे हैं। उन्होंने राज्यपाल के संवैधानिक व्यक्तित्व की विशिष्टताओं की चर्चा करते हुए उनके जीवन को अनुकरणीय बताया।
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राज्यपाल कलराज मिश्र ने कॉफी टेबल बुक के लोकार्पण समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि संविधान सभा में हुई परिचर्चा में राज्यपाल की भूमिका राज्य सरकार के काउंसलर और संरक्षक तथा केन्द्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय सेतु के रूप में बताई गई है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था है और इस संस्था की मर्यादा बनाए रखते हुए संवैधानिक मूल्यों की रक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए, यही उनकी प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि जब पहली बार मेरे जीवन पर पुस्तक लिखने की बात आई तो मुझे लगा कि मैंने ऐसा क्या किया है जो मेरे जीवन पर पुस्तक लिखी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वास्तव में वह स्वयं को इतनी प्रशंसा और सराहना का पात्र नहीं मानते हैं क्योकि उन्होंने जीवन में सभी दायित्वों को मैं का भाव रखने के बजाय स्वयं को निमित्त मात्र समझकर ही पूरा करने का प्रयास किया है। अब तक के सार्वजनिक जीवन में संगठन, सरकार और संवैधानिक स्तर पर जो भी जिम्मेदारी उन्हें दी गई, उसे उन्होंने पद के रूप में नहीं लेकर दायित्व बोध के रूप में स्वीकार किया है। राज्यपाल श्री मिश्र ने इस अवसर पर अपने जीवन के महत्वपूर्ण संस्मरण भी उपस्थित अतिथियों के साथ साझा किए।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति डॉ. देवस्वरूप ने कॉफी टेबल बुक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पुस्तक में राज्यपाल मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विशालता, निरंतरता एवं सृजनात्मकता तथा उनके जीवन दर्शन को सारगर्भित रूप में समाहित किया गया है। राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल ने कहा कि पुस्तक में राज्यपाल मिश्र के व्यक्तित्व, सार्वजनिक जीवन, कृतित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने कहा कि जन सेवा में सम्पूर्ण जीवन लगाने वाले ऐसे विराट व्यक्तित्व के जीवन से आमजन को प्रेरणा मिल सके, इसलिए पुस्तक में राज्यपाल मिश्र के विराट व्यक्तित्व को शब्दों में सहेजने का प्रयास किया गया है। राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार ने अपने सम्बोधन में कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। पुस्तक का लेखन डॉ. डी. के. टकनेत एवं राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल ने संयुक्त रूप से किया है। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल मिश्र के परिजन, प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, राजभवन के अधिकारीगण तथा अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।