शांति धारीवाल ने रची थी Sachin Pilot के खिलाफ साजिश?

गहलोत की कुर्सी बचाने के लिए जबरन दिलवाए गए थे विधायकों के इस्तीफे

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी बचाने के लिए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने विधायकों के इस्तीफे की साजिश रची थी। राजस्थान विधानसभा सचिव की ओर से हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे से यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के इशारे पर मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी, राजस्व मंत्री रामलाल जाट, कांग्रेस विधायक रफीक खान और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा अपने साथ कुल 81 विधायकों के इस्तीफे लेकर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के निवास पहुंचे थे।

मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए सचिन पायलट के दावे के बाद अशोक गहलोत की जमीन बचाने के लिए राजस्थान में शुरु हुए सियासी संकट के बीच 25 सितंबर 2022 को सबसे बड़ा “खेला” हुआ था। इस रोज संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने गहलोत के समर्थन में न सिर्फ विधायक दल की पैरेलल मीटिंग बुलाई थी, बल्कि विधानसभा अध्यक्ष के निवास पहुंचकर 81 विधायकों के इस्तीफे भी सौंप दिए थे।

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नहीं दिए इस्तीफे! 
राजस्थान विधानसभा सचिव की ओर से हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे में कहा गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे, इसलिए इन्हें मंजूर नहीं किया गया। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्थल की बेंच में सुनवाई हुई, तो विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा के शपथ पत्र में यह बात उजागर हुई। विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने सोमवार को इस्तीफा देने वाले 81 विधायकों की जानकारी दी। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को इस्तीफा देने से लेकर इस्तीफे वापसी तक की पूरी फाइल का ब्यौरा कोर्ट में पेश किया गया।

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इस्तीफों की जांच में लगा समय 
विधानसभा सचिव महावीर शर्मा ने पेश जवाब में कहा कि विधानसभा सदस्यों की प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 173(3) के अनुसार इस्तीफे तब तक स्वीकार नहीं किए जा सकते, जब तक उनका स्वैच्छिक और वास्तविक होने का अध्यक्षीय समाधान नहीं हो जाता। इस्तीफों पर लंबे समय तक फैसले नहीं करने पर भी जवाब में विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी की ओर से तर्क दिया गया कि हर विधायक ने अलग-अलग इस्तीफे नहीं दिए थे। सामूहिक रूप से इस्तीफे पेश किए गए थे। इसमें 6 विधायकों ने खुद पेश होकर 81 विधायकों के इस्तीफे दिए थे। 5 विधायकों के इस्तीफे की फोटोकॉपी थी। इसके कारण पूरी संतुष्टि और जांच-पड़ताल के बाद ही फैसला करना जरूरी था।

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जोशी ने दिया जवाब
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने इस्तीफे वापसी का कारण बताते हुए लिखा कि सभी विधायकों ने अलग-अलग मेरे सामने पेश होकर स्वैच्छिक रूप से इस्तीफे वापस लेने के प्रार्थना-पत्र पेश किए हैं। प्रार्थना पत्रों में यह साफ उल्लेख किया है कि उनके द्वारा पहले दिए गए इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे। सभी विधायकों ने राजस्थान विधान सभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 173 ( 4 ) के अनुसार स्वैच्छिक रूप से अपने इस्तीफे वापस लिए हैं। यह मामला 10 वीं अनुसूची का नहीं, बल्कि मंत्री और विधायकों के इस्तीफों का है। इसलिए इसमें चार सप्ताह में फैसला करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू नहीं होता है।

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इस्तीफों की फोटो कॉपी सौंपी
25 सितंबर 2022 को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के सामने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी, राजस्व मंत्री रामलाल जाट, कांग्रेस विधायक रफीक खान और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा अपने साथ कुल 81 विधायकों के इस्तीफे लेकर गए थे। इनमें से 5 विधायकों- कांग्रेस विधायक चेतन डूडी, दानिश अबरार, अमित चाचाण, गोपाल मीणा और निर्दलीय विधायक सुरेश टाक के इस्तीफे की फोटो कॉपी दी गई थी।

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इस्तीफे वापस लिए गए
30 दिसंबर 2022 को 24 विधायकों ने इस्तीफे वापस लिए, 31 दिसंबर 2022 को 38 विधायक, 1 जनवरी 2023 को 15 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के सामने पेश होकर इस्तीफे वापस लिए। 2 जनवरी को 2 विधायकों ने इस्तीफे वापस लिए। 3 जनवरी को निर्दलीय संयम लोढ़ा और 10 जनवरी को कांग्रेस विधायक वाजिब अली ने इस्तीफा वापस लिया था।

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शोभारानी ने भी दिया था इस्तीफा
सामने आया है कि 25 सितंबर 2022 को सीएम गहलोत समर्थित जिन 81 विधायकों ने इस्तीफा दिया था, उनमें बीजेपी से निष्कासित धौलपुर की विधायक शोभारानी कुशवाह भी शामिल थीं। शोभारानी को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने पर बीजेपी ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

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13 फरवरी को अगली सुनवाई 
विधानसभा सचिव की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट और कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पैरवी की। महाधिवक्ता एमएस सिंघवी भी पेश हुए। कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी।

किसके दबाव में थे इस्तीफे
विधानसभा सचिव ने अपने जवाब में कहा है कि विधायकों ने इस्तीफे अपनी इच्छा से नहीं दिए थे। ऐसे में यह साफ हो जाता है कि विधायकों पर इस्तीफे का दबाव था। इससे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर किसके दबाव में विधायकों ने इस्तीफे दिए थे? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह साफ है कि 25 सितम्बर को अगर विधायक इस्तीफा नहीं देते तो अशोक गहलोत को सीएम पद से हटना पड़ता है। ऐसे में विधानसभा सचिव के जवाब के बाद यह साफ हो जाता है कि सीएम अशोक गहलोत के समर्थक नेताओं के दबाव में विधायकों ने इस्तीफे दिए थे। इसके लिए जिस व्यक्ति ने भी विधायक दल की पैरलल बैठक बुलाई यानि संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल जिम्मेदार है।

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धारीवाल-जोशी-राठौड़ पर हो सकती है कार्रवाई
राजनीतिक जानकारों और कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सचिव के हलफनामे के बाद इसका असर 25 सितम्बर के एपिसोड को लेकर अनुशासनहीनता का नोटिस पाने वाले नेताओं पर हो सकता है। तीनों नेताओं को लेकर कांग्रेस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। पायलट गुट मामले में लगातार कार्रवाई की मांग करता रहा है। कांग्रेस ने उस एपिसोड को अनुशासनहीनता मानते हुए मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को दोषी माना था। ऐसे में सचिव के हलफनामे का असर तीनों नेताओं पर पड़ सकता है।

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पायलट का पलड़ा हुआ भारी 
इस पूरे वाकये का असर राजस्थान कांग्रेस की राजनीति पर देखने को मिलेगा। इस्तीफे स्वैच्छा से नहीं देने की बात का फायदा पायलट गुट उठा सकता है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस हलफनामे को लेकर पायलट गुट हाईकमान के सामने यह दावा कर सकता है कि 25 सितम्बर को हाईकमान के निर्देशों की अवहेलना हुई। बता दें कि 25 सितम्बर के एपिसोड पर कांग्रेस हाईकमान ने अब तक निर्णय नहीं लिया है।

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