जब डॉक्टर दें सीटी स्कैन कराने की सलाह, तो समझ जाइए…

कोटा. देश में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। कोई भी लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर तुरंत जांच कराने की सलाह देते है। कोरोना का पता लगाने के लिए आरटीपीसीआर के साथ ही डॉक्टर एक और जांच भी करवा रहे है। इस जांच का सीटी स्कैन नाम है। सीटी स्कैन खून या सलाईवा के नमूने से नहीं की जाती है। इस में बॉडी स्कैन की जाती है। चलिए जानते है कि क्या होता है सीटी स्कैन और कैसे यह कोरोना की जांच में मदद कर सकता है।

क्या है सीटी स्कैन?
Computerized Tomography Scan को C.T. Scan कहा जाता है। कीसी भी चीज को छोटे-छोटे भागों में काटकर उसका अध्ययन करना टोमोग्राफी कहलाता है। डॉक्टर कोरोना की जांच के लिए HRCT चेस्ट करवाते है जिसका मतलब हाई रिजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन (चेस्ट मतलब छाती) होता है। इस टेस्ट में फैफड़ो की एक 3डी इमेज बनाई जाती है। इसमें बहुत बारीक डिटेल्स भी पता चलती है। इस से फेफड़ो में किसी भी तरह के इंफेक्शन का पता चल जाता है।

साथ ही इसमें इंफेक्शन कहां तक फैल चुका है और कितना गहरा है आदि सारी जानकारी मिल जाती है। सीटी स्कैन के लिए एक बेंच पर लिटाया जाता है। लेटने से पहले धातु का बना सारा सामान या गहना उतारने के लिए कहा जाता है। फिर बेंच सरककर एक गोल मशीन में चली जाती है। यह मशीन एक्स-रे की तरह शरीर के भीतर की तस्वीरें लेती है। लेकिन यह एक्स-रे से ज्यादा व्यापक और सटीक जानकारी देती है।

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कब देते है सीटी स्कैन की सलाह?
कई मरीज ऐसे भी सामने आ रहे है जिनके कोविड में खांसी और जुकाम जैसे लक्षण नहीं होते है। ऐसे मरीजों को असिम्टोमैटिक कहा जाता है। ऐसे में अगर डॉक्टर को शक होता है तो वह एंटीजन टेस्ट या आरटीपीसीआर करवाने की सलाह देते है। कई मामलों में एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आति है लेकिन आरटीपीसीआर पॉजिटिव आती है। कुछ केस में आरटीपीसीआर और एंटीजन दोनो की ही रिपोर्ट निगेटिव आती है। इसके दो कारण हो सकते है, पहली यह कि वायरस गले से होते हुए फेफड़ो में चला गया हो और स्वैब लेते वक्त गले से कुछ ना मिला हो। दूसरी यह हो सकती है कि स्वैब लेते वक्त कुछ गलती हुई हो। ऐसे में डॉक्टर सीटी स्कैन करवाने का कहते है।

विशेषज्ञ डॉक्टर की मानें तो दो बातों पर कोरोना संक्रमण की गंभीरता निर्भर करती है, पहली सांस लेने की क्षमता और दूसरी खून में ऑक्सीजन की मात्रा पर। जब यह दोनों ही मानकों से कम होती है तो सीटी स्कैन की जरूरत पड सकती है। इस के साथ ही विशेषज्ञों ने बताया कि कोरोना के नए स्ट्रेन का आरटीपीसीआर और एंटीजन टेस्ट की जांच में पता नहीं चल रहा है। सीटी स्कैन के जरिए लक्षणों के आधार पर इंफेक्शन का पता लगाया जा सकता है।

यह है डॉक्टर का कहना

डॉक्टर्स और विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना सबसे अधिक फेफड़ो को इन्फेक्ट करता है। डॉक्टर फेफड़ों में कोरोना से कितना इंफेक्शन हो चुका है यह पता करने के लिए सीटी स्कैन कराने की सलाह देते है। लेकिन यह कोरोना की जांच नहीं है, और यह हर मरीज के लिए जरूरी नहीं होता। डॉक्टर सीटी स्कैन  की सलाह जरूरत पड़ने पर ही देते है, जब कुछ मरीजों के फेफड़ो की असल दशा का पता लगाने की जरूरत होती है। इस के साथ ही एक डॉक्टर ने कहा कि, “डॉक्टर की सलाह पर ही सीटी स्कैन कराना चाहिए। कई मरीज आजकल बिना डॉक्टर की सलाह के अपने आप सीटी स्कैन करा रहे है। जबकि डॉक्टर तब ही सीटी स्कैन की सलाह देते है, जब आरटीपीसीआर निगेटिव आए लेकिन डॉक्टर को मरीज के लक्षण कोरोना के लग रहे हो। इसमें सांस का फूलना, सांस लेने में दिक्कत होना जैसे लक्षण शामिल है। यह कोविड टेस्ट नहीं है। कोविड टेस्ट आरटीपीसीआर ही है और सीटी स्कैन केवल फेफड़ो की अवस्था पता करने के लिए कराया जाता है।”

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सीटी स्कोर और सीटी वैल्यू के यह है मतलब
सीटी स्कैन में सीटी स्कोर और सीटी वैल्यू की अहम भूमिका होती है। सीटी वैल्यू के जरिए संक्रमण का पता लगाया जाता है। यह जितनी ज्यादा होती है संक्रमण उतना ही कम होता है और यह जितनी कम होती है संक्रमण उतना ही ज्यादा होता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान की ओर से सीटी वैल्यू 35 निर्धारित की गई है। सीटी वैल्यू यदि 35 या इससे कम आने पर मरीज को कोविड पॉजिटिव माना जाएगा और सीटी वैल्यू यदि 35 के ऊपर आती है तो मरीज को कोविड निगेटिव माना जाएगा।

वहीं सीटी स्कोर से फेफड़ो में इंफेक्शन से कितना नुकसान हुआ है, इस बात का पता लगाया जाता है। इस स्कोर को CO-RADS कहा जाता है। CO-RADS स्कोर जितना ज्यादा होता है उतना ही ज्यादा फेफड़ो को नुकसान हुआ है। यह स्कोर अगर सामान्य है तो इसका मतलब है कि फेफड़ो को कोई नुकसान नहीं हुआ है। CO-RADS की संख्या 1 होने पर सामान्य माना जाता है। 2 से 4 तक CO-RADS का मतलब हल्का इंफेक्शन है लेकिन यह 5 या 6 हो तो मरीज को कोविड माना जाता है।

क्या जरूरी है सीटी स्कैन?
इसके साथ ही अन्य डॉक्टर ने बताया कि लोगों में काफी डर का माहोल है। काफी लोग बिना वजह बिना डॉक्टर की सलाह के सीटी स्कैन करा रहे हैं। इस के चलते लोग निमोनिया को भी कोविड समझ रहे है। लंग्स में शैडो दिखने का करण बैक्टीरियल इंफेक्शन भी हो सकता है। और भी कई कारण हो सकते हैं। इस बात पर ध्यान देना भी जरूरी है कि फेफड़ों में जो दिख रहा है, वो कितना पुराना है। अगर सीटी स्कैन की रिपोर्ट में 2-4 दिन के जुकाम से ही यह सब दिखता है तो कोविड माना जा सकता है। लेकिन अगर यह काफी पुराना है तो इसे कोविड नहीं कहा जा सकता है। इस के साथ ही एक्सपर्ट ने बताया कि लंग्स में अलग अलग सेगमेंट होते है। सीटी स्कोर से हमें पता चलता है कि इंफेक्शन कितना ज्यादा या कम है। कई लोग हाई सीटी स्कोर देखते ही रेमडेसिविर के लिए मारामारी शुरू कर देते है, जो की गलत है। डॉक्टर के दिशानिर्देश के अनुसार ही दवाईयां लें बिना डॉक्टर की सलाह के किसी तरह का इंजेक्शन ना लें।

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निष्कर्ष
डॉक्टर और एक्सपर्ट की सभी सलाह और राय के बाद यह तो आप समझ ही गए होंगे की सीटी स्कैन के जरिए कोविड का पता लगाया जा सकता है। साथ ही यह समझना भी जरूरी है कि सीटी स्कैन कोविड टेस्ट नहीं है। आरटीपीसीआर ही कोविड का टेस्ट है। जो भी दवाई, इलाज करे डॉक्टर की सलाह से ही करें। मास्क पहनें, जितना ज्यादा हो सके घर पर रहें, बार बार हाथों को हैंडवॉश या सैनिटाइजर से साफ करें, किसी भी तरह के लक्षण होने पर जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह लें।

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