Rajasthan Coal Crisis: कोयला नहीं मिलता है तो बंद जाएंगे राजस्थान के सारे थर्मल पॉवर प्लांट
, फिर भी अपनी ही पार्टी के सीएम से भूपेश बघेल से मिले,

- कोयला लेने छत्तीसगढ़ पहुंचे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, बैठक के बाद छत्तीसगढ़ की हां का इंतजार
- कांग्रेस का सीएम होने के बावजूद भी कोयला तो दूर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने आश्वासन तक नहीं दिया levitra cijena
TISMedia@Raipur राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यदि छत्तीसगढ़ सरकार केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के गाइलाइंस के अनुसार कोयले की आपूर्ति नहीं करता है तो राज्य के थर्मल पावर प्लांट बंद हो जाएंगे। सीएम गहलोत ने रायपुर में छत्तीसगढ़ के सीए भूपेश बघेल से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि राजस्थान में बहुत सारे थर्मल पावर प्लांट है, जो बिना कोयले के नहीं चल सकते, इसलिए हम छत्तीसगढ़़ में है। केंद्र के दिशा-निर्देशों के तहत हमें कोयला नहीं मिलता है तो हमारे बिजली संयंत्र बंद जाएंगे। सीएम गहलोत ने आज रायपुर में कोयला संकट के समाधान के लिए छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात की। ऐसा मान जा रहा है कि दोनों राज्यों के बीच गतिरोध बरकरार है। सीएम गहलोत को छत्तीसगढ़ सरकार से कोयला आपूर्ति का ठोस आश्वासन नहीं मिला है।
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गहलोत बोले- छत्तीसगढ़ सरकार की स्वीकृति का इंतजार
सीएम गहलोत ने कहा कि कहा कि राजस्थान में बहुत सारे थर्मल प्लांट हैं, जो बिना कोयले के नहीं चल सकते, इसलिए हम छत्तीसगढ़ में हैं, केंद्र के दिशा-निर्देशों के तहत उसी पर परमिट लेने के लिए। अगर हमें कोयला नहीं मिलता है, तो हमारे बिजली संयंत्र होंगे बंद। राजस्थान में थर्मल पावर प्लांट से बिजली पैदा होती है, जो बिना कोयले के नहीं चल सकते। सीएम ने कहा कि अगर छत्तीसगढ़ सरकार से कोयले की आपूर्ति नहीं होती है तो 4500 मेगा वाट बिजली के पावर प्लांट बंद हो जाएंगे। सीएम ने कहा कि राजस्थान की जनता छत्तीसगढ़ सरकार की स्वीकृति का इंतजार कर रही है।
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छत्तीसगढ़ के सीएम बोले- गाइडलाइन को पूरा करेंगे
भूपेश बघेल ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा कोयले की आपूर्ति को लेकर चिंता व्यक्त की गई। राजस्थान सरकार को जो कोयला खदान मिली है, वो भारत सरकार से मिली है और उस मांग के अनुरूप कार्रवाई की जा रही है। खदान अलाटमेंट के बाद पर्यावरण और गाइडलाइन को भी पूरा करना होता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्यावरण और स्थानीय लोगों की मांग से कभी समझौता नहीं किया। इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई होगी और नियमानुसार खदानों का संचालन होगा।
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सोनिया गांधी का दखल भी नहीं आया काम
राजस्थान का कोयला संकट खत्म करने और छत्तीसगढ़ से कोयला दिलाने के लिए अशक गहलोत ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से हस्तक्षेप की मांग की थी। लेकिन, उनके दखल के बाद भी कोई हल नहीं निकल सका है। ऐसे में सूबे के मुखिया गहलोत इस समस्या के समाधान के लिए खुद ही छत्तीसगढ़ पहुंच गए। इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार भूपेश बघेल को पत्र लिख चुके हैं। इतना ही नहीं, वह पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी 3 बार पत्र लिखकर इस मामले में दखल देने की मांग कर चुके हैं। लेकिन, अभी तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से सहयोग के दिशा में कदम नहीं बढ़ाए गए हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद भी कोयला मिलना तो दूर की बात ठोस आश्वासन तक नहीं मिल सका है।
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केंद्र सरकार ने आवंटित की थी खदानें
केंद्र सरकार ने राजस्थान बिजलीघरों के लिए कोयले की खादान आवांटित की लेकिन अनापत्ति प्रमाण पत्र न मिल पाने के कारण छत्तीसगढ़ राजस्थान को कोयला नहीं दे पा रहा है। साल 2015 में 4340 मेगावाट बिजली उत्पादन इकाइयों के लिए छत्तीसगढ़ के पारसा ईस्ट-कांटा बासन में 15 MTPA और पारसा में 5 MTPA क्षमता के कोल ब्लॉक को केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद भी भूपेश बघेल सरकार की ओर से अनुमति नहीं दी गई है।