इंद्र सिंह रावः राजस्थान का पहला जिला कलक्टर जो ‘’घूसकांड’’ में हुआ गिरफ्तार

  • ‘सियासी आका’ भी नहीं रोक पाए घूसखोरी के आरोपी इस आईएएस को जेल जाने से 
  • 46 पोस्टिंग में 6 बार एपीओ और एक बार सस्पेंड होने पर भी बना दिया था कलक्टर

TISMedia@Kota. सत्ता भले ही आपकी मुट्ठी में हो और सियासतदार उंगलियों पर नाचते हों, लेकिन जब आपके काले कारनामों का खुलासा होता है तो कोई भी जेल में चक्की पीसने से रोक नहीं पाता। यह बात 9 दिसंबर तक बारां के जिला कलक्टर और प्रमोटी आईएएस रहे इंद्र सिंह राव (Indra singh Rao) से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो  ने राव के घूसखोर पीए की गिरफ्तारी के 13 दिन बाद आखिरकार बुधवार को उसे भी धर दबोचा।  

एसीबी की टीम को यह साबित करने में 13 दिन लगे कि बारां कलेक्टर इंद्र सिंह राव अपने पीए के जरिए रिश्वत की रकम लेता था। हालांकि, कोटा एसीबी कलेक्टर के दफ्तर में ही उसके पीए महावीर नागर को 1.40 लाख रुपये की घूस लेते हुए दबोचने के बाद ही इस मामले में एफआईआर दर्ज कर चुकी थी।

दागदार दामन

01 जून 1962 को जन्मा इंद्र सिंह राव मूलरूप से जयपुर का रहने वाला है। बीई सिविल से लेकर एमई जीओ टेक, एलएलबी और एलएलएम तक की डिग्रियां उसके पास हैं। राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के वर्ष 1989 बैच के अधिकारी राव को ट्रेनिंग खत्म होने के बाद 11 मई 1990 को हनुमानगढ़ में विकास अधिकारी के पद पर पहली नियुक्ति मिली थी। 31 साल के कार्यकाल में 46 जगहों पर पोस्टिंग रही। जहां 6 बार एपीओ होने के साथ ही एक बार निलंबित भी किया गया। बावजूद इसके राजस्थान सरकार ने तमाम काबिल अफसरों को दरकिनार कर उसे आरएएस से आईएएस प्रमोट करने में जरा सी भी हिचक नहीं दिखाई। सत्ता की धुरी थामे राव की इस तरक्की पर सूबे के अफसरों की बड़ी लॉबी ने तमाम सवाल भी उठाए थे, लेकिन सभी को दरकिनार कर दिया गया।

हाकिम सी हनक

आईएएस बनने के बाद इंद्र सिंह राव को भाजपा सरकार ने बेहद अहम समझे जाने वाले राजस्व मंडल में पहली नियुक्ति दी। साल 2018 में जब सत्ता बदली तो कांग्रेस सरकार ने 25 दिसंबर 2018 को इन्हें सीधे बारां जिले का कलेक्टर बना दिया। जहां दो साल के कार्यकाल में खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ओर विधायक पानाचंद मेघवाल के इतने नजदीक आ गए कि जिले में इनकी इजाजत के बिना पत्ता तक नहीं हिलता था। आलम यह था कि राव पेट्रोल पम्पों की एनओसी तक खुद ही जारी करता था। एसीबी अब राव के कार्यकाल में हुए सभी मामलों की जांच करने में जुटी है।

पीए ने खोली थी पोल

एसीबी ने जब पीए को ट्रैप किया तो उसने कबूला कि घूस की यह रकम उसने कलेक्टर के लिए ही ली थी। एक लाख रुपए राव को देने थे और 40 हजार रुपए उसे मिलने थे। जिसके बाद एसीबी कोटा के एएसपी ठाकुर चंद्रशील ने पूरी रात राव से पूछताछ की। एसीबी कोटा की टीम ने इसी दौरान कलक्टर कार्यालय, उसके कमरे, राजस्व शाखा और पीए के कमरे से कई फाइलें और मोबाइल तक जब्त किए।

दफ्तर बुलाकर किया गिरफ्तार

एसीबी के एएसपी ठाकुर चंद्रशील की ठोस तफ्तीश के बाद से ही कलक्टर राव की गिरफ्तारी तय मानी जा रही थी। जिसे एसीबी जयपुर के एएसपी चंद्रप्रकाश शर्मा, डीएसपी और सीआई ने बुधवार को मुकम्मल कर दिया। एसीबी ने बुधवार को पूछताछ के लिए उसे जयपुर स्थित कार्यालय बुलाया जहां से उसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। एसीबी की टीम फिलहाल राव के घर की तलाशी लेने मे जुटी है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि राव को गुरुवार के दिन एसीबी कोटा कोर्ट में पेश किया जाएगा।

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