फिर से मृत्युदंड : नाबालिग बेटी का बलात्कार कर हत्या करने वाले हैवान पिता को मौत की सजा
– कोर्ट का फरमान : मौत होने तक फंदे से लटकाया जाए दरिंदे पिता को
-कोर्ट ने इस मामले को अति गंभीर, जघन्य प्रकृति, हृदय विदारक अपराध माना
TISMedia@Kota. नाबालिग बेटी से दुष्कर्म (Rape ) और गर्भ ठहरने के बाद उसकी हत्या ( Murder ) करने वाला दरिंदा पिता को कोर्ट ने दूसरी बार भी मौत की सजा सुनाई है। ( Capital punishment ) पॉक्सो कोर्ट क्रम-1 ( Court Sentenced Capital punishment to Father ) ने बुधवार को सुनवाई करते हुए फांसी की सजा बरकरार रखी है। बता दें, इसी मामले में आरोपी पिता को एक साल पहले भी फांसी की सजा दी गई थी। जिसके बाद आरोपी पिता ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। जिस पर दोबारा सुनवाई के आदेश हाईकोर्ट ने दिए थे। एक साल बाद पॉक्सो कोर्ट-1 (POCSO Court ) ने दोबारा दुष्कर्मी पिता को फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही न्यायालय ने इसे अति गंभीर, जघन्य प्रकृति, हृदय विदारक अपराध मानते हुए आदेश दिया कि दोषी को फंदे से तब तक लटकाया जाए जब तक कि उसकी मौत न हो जाए।
कोर्ट ने ये कहा…
फैसले में टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने लिखा कि ये समाज विरोधी प्रकृति का अपराध है। जिसमें उसने अपनी ही नाबालिग बेटी का दुष्कर्म कर उसकी हत्या की। जिससे न केवल पिता-पुत्री का रिश्ता तार-तार हुआ, बल्कि इससे समाज में भी असुरक्षा और भय पैदा हुआ है।
आरोपी समाज की मुख्यधारा से जुडऩे योग्य नहीं है। आरोपी को मृत्युदंड से कम, यदि कोई दंड भी दिया जाता है तो उससे न केवल न्याय के उद्देश्य विफल होंगे, बल्कि समाज में भी इस प्रकार की राक्षसी मनोवृति रखने वाले एवं आपराधिक कृत्य करने वाले अपराधियों को बढ़ावा मिलेगा और आमजन में ऐसे लोगों से हमेशा डर बना रहेगा। विरल से विरलतम मानकर आरोपी को दंडित किया जाता है तो इससे न केवल समाज में एक मिसाल कायम होगी, बल्कि समाज के मस्तिष्क पटल पर इसका सकारात्मक प्रभाव होगा। इस प्रकार की मनोवृत्ति रखने वाले अपराधियों का मनोबल टूटेगा।
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डीएनए जांच में हुआ था दुष्कर्मी पिता की करतूत का खुलासा
जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 में नयापुरा इलाके में एक कलयुगी पिता ने अपनी ही नाबालिग बेटी का दुष्कर्म कर हत्या कर दी थी।
नाबालिग की हत्या की शिकायत उसके दादा यानी आरोपी के पिता ने ही नयापुरा पुलिस को दी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका के चार माह का गर्भ होने की जानकारी मिली थी। इस कारण पुलिस ने भूर्ण का डीएनए टेस्ट कराया। जिसमें खुलासा हुआ था कि बालिका के पिता ने ही ये हत्या की थी। इस पर पुलिस ने दुष्कर्मी पिता को गिरफ्तार कर उसे कोर्ट में पेश किया था। जहां से पॉक्सो कोर्ट-1 ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी।
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गत वर्ष भी दोषी को सुनाई थी फांसी की सजा
पॉस्को कोर्ट-1 ने इस मामले में 1 साल पहले 20 जनवरी 2020 को भी दोषी पिता को फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन, पोक्सो कोर्ट के फैसले को दोषी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर हाईकोर्ट ने मृतका की मां से जिरह व बचाव पक्ष के गवाह के बयान कराने का निर्देश देते हुए दोबारा पोक्सो कोर्ट को मामले की सुनवाई करने को कहा था। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद दोबारा हुई सुनवाई में पीडिता की मां से जिरह हुई। साथ ही बचाव पक्ष के 3 गवाहों के बयान कराए गए थे। 19 जनवरी को कोर्ट ने आरोपी पिता को दोषी माना था। इसके बाद बुधवार को कोर्ट ने फैसले के बिंदुओं के आधार पर सुनवाई के बाद आरोपी पिता को फिर से फांसी की सजा सुनाई और 10 हजार का जुर्माना भी लगाया है।