ग्रहों की चाल में फंसा हरिद्वार कुंभ, 120 दिन नहीं सिर्फ 48 दिन का बचा मेला

TIS_Media@स्टेट डेस्क. ग्रहों की आड़ी तिरछी चालों ने इस बार कुंभ को भी नहीं छोड़ा. हरिद्वार में इस सदी का दूसरा कुम्भ साल भर पहले ही आयोजित हो जाएगा. इतना ही नहीं ग्रह चालों का इस कुंभ पर इतना ज्यादा असर पड़ा है कि इसकी अवधि 120 दिनों से घटाकर कुल 48 दिनों की ही रह गई.

 कुंभ 12 साल बाद आयोजित होता है. लेकिन इस बार ग्रहों की ऐसी चाल चली है कि इसका आयोजन एक साल पहले यानि सिर्फ 11 साल बाद ही हो रहा है. विद्वानों के मुताबिक हरिद्वार कुम्भ का आयोजन बृहस्पति के कुम्भ राशि और सूर्य के मेष राशि में आने पर होता है. बृहस्पति हर बारह साल बाद कुम्भ राशि में आते हैं और इस मौके पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. लेकिन, इस बार बृहस्पति 11वें साल में ही यानि 5 अप्रैल 2021 को ही कुम्भ राशि में आ जाएंगे.

घट गई आयु

हरिद्वार का कुम्भ मेला पूरे 120 दिन चलता है, लेकिन इस बार कुम्भ के मुख्य स्नान वाले दिन 14 अप्रैल को बना पुण्य योग इस बार सिर्फ एक महीने तक ही बना रहेगा. जिसके चलते मेले का समय 120 दिन से घटकर 48 दिनों का ही रह गया.

पहला शाही स्नान शिवरात्रि को
बृहस्पति और सूर्य के संयोग से बने कुम्भ के मौक़े पर कुल चार शाही स्नान होंगे. इनमें 13 अखाड़े स्नान के लिए हर की पौड़ी जाएंगे. पहला शाही स्नान 11 मार्च को यानी शिवरात्रि के दिन होगा. जबकि, दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या के दिन और तीसरा मुख्य शाही स्नान 14 अप्रैल यानी मेष संक्रांति के मौके पर होगा. इन तीनों तिथियों पर सभी तेरह अखाड़े स्नान के लिए निकलते हैं. जबकि चौथा शाही स्नान बैसाख पूर्णिमा के दिन 27 अप्रैल को पड़ेगा, लेकिन उस दिन संन्यासियों के अखाड़े इसमें शामिल नहीं होंगे. इस दिन सिर्फ बैरागियों की तीन आणियाँ स्नान करेंगी.

प्रशासन ने कसी कमर
मेला अधिकारी दीपक रावत ने बताया कि मेले के साथ ही कुम्भ के शाही स्नान को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. साल 2021 के महाकुंभ में पर्व स्नानों पर श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रहेगी. इसीलिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. आईजी कुम्भ मेला संजय गुंज्याल ने बताया कि कुम्भ मेले की तैयारियों को देखते हुए एक जनवरी से ही अर्द्ध सैनिक बलों की पांच कम्पनियां हरिद्वार पहुंच जाएगी.

 

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