मुसीबत में फंसे बच्चों के लिए है संजीवनी बूटी है चाइल्ड लाइन
1098 एक ऐसा फोन नंबर है जो बच्चों की समस्याओं का अंत कर देता है
यह न केवल बच्चों की आपातकालीन जरूरतों का जवाब देते हैं बल्कि उन्हें उनकी दीर्घकालिक देखभाल और पुनर्वास के लिए प्रासंगिक सेवाओं से भी जोड़ते हैं । यह अब तक देश भर में 30 लाख बच्चों से जुड़े हुए हैं और उन्हें देखभाल और सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं । चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ) केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की नोडल एजेंसी है जो पूरे देश में चाइल्डलाइन 1098 सेवा की स्थापना, प्रबंधन और निगरानी के लिए मूल संगठन के रूप में कार्य करती है। सीआईएफ देश भर में चाइल्डलाइन सेवा की स्थापना, सेवा वितरण और वित्त की निगरानी, प्रशिक्षण, अनुसंधान और प्रलेखन, जागरूकता पैदा करने, वकालत के साथ-साथ सेवा के लिए संसाधन निर्माण के लिए जिम्मेदार एकमात्र एजेंसी निकाय है ।
चाइल्डलाइन का लक्ष्यः- चाइल्डलाइन का लक्ष्य हर जरूरतमंद बच्चे तक पहुंचना और उनके अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। हमारे चार सीएस मॉडल – कनेक्ट, कैटालाइज, सहयोग और संचार – वह प्रणाली है जो हमें हर साल अधिक से अधिक बच्चों तक पहुंचने में सक्षम बनाती है ।
भारत में जून 1996 से चाइल्डलाइन का सञ्चालन किया जा रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों का हित करना और मुसीबत में फंसे बच्चों को बाहर निकालना रहा है । देश में बच्चों से सम्बंधित बाल विवाह, बालश्रम, बाल भिक्षावृति, चाइल्ड ट्रेफिकिंग, चाइल्ड एब्यूज, बच्चों का शारिरिक व मानसिक शोषण, गुड टच बैड टच, रनवे चाइल्ड आदि महत्वपूर्ण समस्याऐ रही है । इनमें से प्रमुख समस्या है बाल विवाह, बालश्रम, बाल भिक्षावृति, चाइल्ड ट्रेफिकिंग | तो हमें यह जानना भी होगा की ये समस्याएं है क्या ?
बाल श्रम क्या है? अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन बाल श्रम को ऐसे किसी भी काम के रूप में परिभाषित करता है जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता, उनकी गरिमा से वंचित करता है और जो बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है । इसमें ऐसे कार्य शामिल हैं जो बच्चों के लिए मानसिक, शारीरिक, सामाजिक या नैतिक रूप से खतरनाक हैं । वह कार्य जो बच्चे को समय से पहले स्कूल छोड़ने के लिए बाध्य करके स्कूल में भाग लेने और पूरी तरह से भाग लेने की क्षमता में हस्तक्षेप करता है; या उनसे स्कूल की उपस्थिति को अत्यधिक लंबे और भारी काम के साथ जोड़ने का प्रयास करना भी बाल श्रम है । यह गरीबी का कारण और परिणाम दोनों है । भारत में, एक “बालक” जैसा कि बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम 2016 द्वारा परिभाषित किया गया है, एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने 14 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है ।
भारत में बाल श्रम-दुख की बात है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा बाल मजदूरों का घर है । एक बढ़ती हुई घटना शहरी क्षेत्रों में बच्चों को घरेलू कामगारों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है । जिन परिस्थितियों में बच्चे काम करते हैं वे पूरी तरह से अनियमित हैं और उन्हें अक्सर बिना भोजन के काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, बहुत कम मजदूरी के साथ, गुलामी जैसी। बाल घरेलू कामगारों के शारीरिक, यौन और भावनात्मक शोषण के मामले सामने आ रहे हैं। श्रम मंत्रालय की एक अधिसूचना ने बच्चों के घरेलू काम के साथ-साथ ढाबों, चाय की दुकानों और रेस्तरां में बच्चों के रोजगार को “खतरनाक” व्यवसाय बना दिया है ।
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भारत में बाल विवाह- बालविवाह सामजिक बुराई है कानूनन दण्डनीय अपराध है बाल विवाह व इसमें सहयोग व प्रेरित करने बाले परिवारजन, पण्डित, नाई, बराती, बैण्ड वाला, टेन्ट वाला आदि व अन्य सभी दोषियों को 2 वर्ष की सजा व 1 लाख रूपऐ का तक का जुर्माना किया जा सकता है व ऐसी शादी शुन्य मानी जाती है । किसी लड़की की शादी 18 साल और लडके की शादी 21 वर्ष की उम्र से पहले होना बाल विवाह कहलाता है । बाल विवाह में औपचारिक विवाह तथा अनौपचारिक संबंध भी आते हैं, जहां 18 साल से कम उम्र के बच्चे शादीशुदा जोड़े की तरह रहते हैं । बाल विवाह, बचपन खत्म कर देता है । बाल विवाह बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है । इसके दुष्परिणामों में कुपोषण, शारिरिक दुर्बलता, हिंसा व दुव्र्यवहार, समयपूर्व गर्भावस्था, मातृ एवं मृत्युदर में वृद्धि, मानसिक विकास में रूकावट, शिक्षा का अभाव, शारिरिक विकास में रूकावट आदि है | बाल विवाह रोकने के लिए निम्न संस्थाओं व व्यक्तियों को सुचना दी जा सकती है:- चाइल्डलाइन- 1098, पुलिस – 100, जिला कलेक्टर, तहसीलदार, अध्यापक, महिला अधिकारिता विभाग, बाल कल्याण समिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण |
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कोरोना काल में चाइल्डलाइन की बच्चों के लिए भुमिकाः-कोरोना काल में जिन बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों या किसी एक को खो दिया है, उनके संबंध में सूचना कोई भी व्यक्ति चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नंबर 1098 या महिला हेल्पलाइन नंबर 181 पर दे सकता है । ऐसे बच्चों को चाइल्ड लाइन 24 घंटे के अंदर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगी व बच्चों के लिए संरक्षण आदि की व्यवस्था करेगी । बच्चों को पालनहार योजना से जोडा जायेगा । साथ ही इस समय बहुत सारे बच्चे जो अकेले थे, उनकी तस्करी भी मानव तस्करों ने उन्हें बहला फुसलाकर शुरू कर दी, ऐसे में समाज के हर जागरूक नागरिक से अपील है की अगर कोई संदिग्ध या अनजान बच्चे की जानकारी उन्हें मिले तो तुरंत चाइल्ड लाइन को बताये | आप सभी के लिए यह बात जानना अत्यंत आवश्यक है की इन दिनों सोशल मिडिया पर जो बच्चों को गोद देने वाला मेसेज चल रहा है वह पूरी तरह से गलत है बच्चों को गोद देनी की प्रकिया कारा दतक ग्रहण एजेन्सी के माध्यम से की जाती है जो पूरी एक कानूनी प्रक्रिया है जिसे पूरा करने के बाद ही भावी दम्पति को बच्चा सौपा जाता है और इस पूरी प्रक्रिया से दम्पति को गुजरना पड़ता है । अत: आप सभी से अनुरोध है की ऐसे विडियों और संदेशों को आगे वायरल ना करे, ऐसा करने पर आई एक्ट के तहत सम्बंधित व्यक्ति के ऊपर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है ।
लेखक: कल्पना प्रजापति
चाइल्ड लाइन शहर समन्वयक, कोटा