किसके हनुमानः राम के बाद अब हनुमान की जन्म स्थली को लेकर छिड़ा विवाद
TISMedia@NewDelhi भगवान राम की जन्मभूमि (Ram Janmabhoomi) को लेकर कई दशकों तक विवाद रहा। आखिरकार 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले का हल निकला। अब नया विवाद रामभक्त हनुमान (Hanuman Birthplace) की जन्मस्थली को लेकर शुरू हो गया है। हालांकि यह विवाद दो धर्मों के बीच नहीं बल्कि दो राज्यों की धार्मिक संस्थाओं के बीच का है। दरअसल आंध्र प्रदेश और कर्नाटक ने अलग-अलग स्थान पर हनुमानजी के जन्म का दावा किया है।
विवाद की वजह
दरअसल आंध्र प्रदेश स्थित तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) बुधवार को अंजनाद्री मंदिर में एक समारोह आयोजित करने जा रहा है, जहां पिछले साल अप्रैल में राम नवमी पर हनुमान के जन्मस्थान के रूप में औपचारिक अभिषेक हुआ था। लेकिन, कर्नाटक का श्री हनुमान जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र इस बात से सहमत नहीं है। इस ट्रस्ट का दावा तिरुमला तिरुपति देवस्थानम से बिल्कुल अलग है। उनका कहना है कि वाल्मीकि रामायण में विशेष रूप से उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि हनुमानजी का जन्म किष्किंधा के अंजनाहल्ली में हुआ है। माना जाता है कि यह स्थान हम्पी के निकट तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है।
अंजनाद्री को बताया हनुमान की जन्मस्थली
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के इसे लेकर अपने तर्क हैं। उसका कहना है कि पुराणों और शिलालेखों जैसे प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट रूप से हनुमान के जन्मस्थल के रूप में अंजनाद्री का उल्लेख है, जिसे अब तिरुमाला कहा जाता है। अप्रैल में TTD ने अंजनाद्री के दावे को रेखांकित करते हुए एक पुस्तिका प्रकाशित की थी, जो दिसंबर 2020 में गठित 8 सदस्यीय पैनल द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर आधारित थी, लेकिन कर्नाटक स्थित तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 6 पन्नों के अपने एक लेटर में टीटीडी के इस दावे का विरोध किया था।
एक और दावा
हनुमान जन्म स्थान के बारे में नया दावा करने वाले शिवमोगा की रामचंद्रपुरा मठ के प्रमुख राघवेश्वरा भारती रामायण का जिक्र करते हुए कहते हैं कि हनुमान ने सीताजी को बताया था कि उनका जन्म समुद्र तटीय गोकर्ण में हुआ था। उन्होंने कहा, “रामायण में साक्ष्यों के आधार पर, हम कह सकते हैं कि गोकर्ण हनुमान की जन्मभूमि है और किष्किन्धा में अंजनद्री उनकी कर्मभूमि थी।” तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा गठित एक विशेषज्ञ पैनल 21 अप्रैल को इस मामले पर अपनी अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करने कर सकता है। इस पैनल में वैदिक विद्वानों, पुरातत्वविदों और एक इसरो वैज्ञानिक शामिल हैं।
नहीं हटेंगे पीछे
TTD ट्रस्ट बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी केएस जवाहर रेड्डी ने कहा कि हमारे पास तिरुपति में हनुमान का जन्म होने का प्रमाण देने के लिए पौराणिक और पुरातात्विक साक्ष्य हैं। कर्नाटक ने किष्किंधा में अंजनद्री को हनुमान की जन्मभूमि घोषित करने के लिए एक परियोजना शुरू की है। हंपी से सटे किष्किंधा की पहाड़ियों का रामायण में एक संदर्भ है जहां यह वर्णन किया गया है कि भगवान राम और लक्ष्मण हनुमान से मिले थे। कोप्पल जिला मंत्री बीसी पाटिल ने कहा कि अब हम हनुमान जन्मस्थली के टैग को भुनाने के साथ एक तीर्थस्थल के रूप में विकसित करेंगे।
नहीं बनी कोई सहमति
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ने कई वैदिक और धार्मिक विद्वानों द्वारा स्वीकार किए गए पौराणिक, साहित्यिक, पुरातात्विक और भौगोलिक साक्ष्य के आधार पर यह दावा किया है। टीटीडी के सीईओ जवाहर रेड्डी ने एक न्यूज चैनल से कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज द्वारा रचित रामचरित्र मानस में इस संबंध में ठोस प्रमाण मिलते हैं। वहीं, राम भक्त हनुमान के जन्म स्थान को लेकर चल रहे इस विवाद को सुलझाने के लिए पिछले साल मई में बातचीत हुई थी, लेकिन दोनों राज्य किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके।