कोटा में हाहाकार : अस्पताल से लेकर शमशान तक फुल, सड़कों पर लापरवाहों की भीड़

कोटा. शिक्षा नगरी में कोरोना कोहराम मचा रहा है। संक्रमितों की बढ़ती रफ्तार से सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पताल फुल हो गए हैं। वहीं, मौतों की रफ्तार से शमशान भी पुल हो गए हैं। हालात यह हो गए कि शमशानों में अंतिम संस्कार के लिए वेटिंग चल रही है। जगह नहीं होने से लोग आसपास ही शवों को जला रहे हैं। पिछले 5 दिनों में कोरोना ने जमकर तांडव मचाया। हर दिन संक्रमितों का आंकड़ा 1 हजार से ज्यादा रहा है। इन पांच दिनों में कुल संक्रमितों की संख्या 5975 है। वहीं, एक्टिव केस बढ़कर 23.39 प्रतिशत हो गए हैं। रिकवरी रेट भी घटकर 75.93 प्रतिशत बढ़ गई है। इसके बावजूद लोग कोरोना को लेकर बेपरवाह नजर आ रहे हैं। सरकार ने कफ्र्यू के रूप में जन अनुशासन पखवाड़ा लागू किया हुआ है। इसके बावजूद सड़कों पर लापरवाहों की भीड़ नजर आ रही है। ये लोग बिना किसी वजह से बाजारों में घूम रहे हैं।

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5 दिनों में कोटा में यूं बरपा कहर
कोटा शहर में पिछले 5 दिनों में कोरोना ने जमकर कहर बरपाया। 17 से 21 अप्रेल तक 5975 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इन पांच दिनों में किस दिन कितने लोग संक्रमण की चपेट में आए इसे आंकड़ों के माध्यम से समझ सकते हैं। ये आंकड़े कुछ इस प्रकार है। 17 अप्रेल को 1049 लोग पॉजिटिव मिले। इसी तरह 18 अप्रेल को 1116, 19 अप्रेल को 1307, 20 अप्रेल को 1382, 21 अप्रेल को 1121 लोग संक्रमित मिले हैं।

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19 घंटे में 44 मौत
कोटा में पिछले 19 घंटे में कोरोना से 44 लोगों की मौत हो चुकी है। यह मौत का आंकड़ा हम यूं समझ सकते हैं। 21 अप्रेल सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक यानी (11 घंटे में )19 मौत हुई। वहीं, 22 अप्रेल रात 12 बजे से सुबह 7 बजे तक यानी (8 घंटे में) पॉजिटिव, निगेटिव, सस्पेक्टेड 25 मरीजों की मौत का आंकड़ा सामने आया है। इस तरह से 21 अप्रेल के 11 घंटे और 22 अप्रेल के 8 घंटों को जोड़ा जाए तो 19 घंटे होते हैं और 21 अप्रेल को 19 और 22 अप्रेल को 25 मौतों का कुल योग 44 आता है। इस तरह से दोनों दिनों के 19 घंटे में 44 मौत दर्ज हुई। जबकि, अस्पताल अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील ने बताया कि सरकारी रिपोर्ट में 24 घंटे के आंकड़े रिकॉर्ड में जाते हैं। कोविड अस्पताल में 24 घंटे में (रात 12 से रात 12 बजे) 22 मरीजों को मौत हुई है। इनमें 5 पॉजिटिव मरीज थे।

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मुक्तिधाम में नहीं बची शव जलाने की जगह
कोरोना से बढ़ती मौतों की रफ्तार से शहर के सभी शमशान फुल हो गए हैं। परिजनों को अंंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। किशोरपुरा शमशान घाट में वेटिंग चल रही है। जगह की कमी के चलते लोग पास-पास ही दाह संस्कार कर रहे हैं। वहीं, अस्पतालों में जगह नहीं होने से मरीजों को ऑक्सीजन बेड तक नहीं मिल रहे हैं। उन्हें निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। निजी अस्पतालों में भी कमोबेश यही हाल है। शहर का चिकित्सा तंत्र वेंटिलेटर पर आ गया है।

 

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