राजस्थान में तबाही का खुला राज : कोरोना की दूसरी लहर क्यों है घातक, पढि़ए सनसनीखेज खुलासा
![Corona UK Strain in Rajasthan](https://tismedia.in/wp-content/uploads/2021/05/Corona-UK-Strain-680x470.jpg)
जयपुर. राजस्थान में तबाही मचा रहा कोरोना आखिर इतना घातक क्यों है, इसका खुलासा हो गया है। जीनोम सिक्वेंसिंग ने कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर की अपेक्षा ज्यादा खतरनाक होने की वजह का राज फाश कर दिया है। दरअसल, राजस्थान में कोरोना के UK स्ट्रेन की एंट्री हो चुकी है। यूके स्ट्रेन की पुष्ठि जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए हो चुकी है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि करीब तीन दिन पहले ही रिपोर्ट आई उसमें पता चला कि राजस्थान में यूके का स्ट्रेन है। जिसकी वजह से करोना की दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा पूरे देश में मात्र 10 जगह ही है। यह भारत सरकार के नियंत्रण में हैं। सारे राज्य इन्हीं जगहों पर अपने सैंपल भेजते हैं। हमने सैंपलों की जांच जल्दी करवाने का आग्रह किया था। ताकि, वायरस के स्ट्रेन का पता चल सके। हाल ही में मिली रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में यूके का स्ट्रेन है।
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तेजी से फैलता है यूके स्ट्रेन
रिपोर्ट में करोना के यूके स्ट्रेन मिलने की पुष्ठि के बाद स्वास्थ्य विभाग सजग हो गया है। यूके स्ट्रेन तेजी से फैलता है, इसका सबूत राजस्थान में कोरोना के आंकड़े हैं। राज्य में अप्रेल माह के शुरूआत में ही तेजी से कोरोना के केस बढ़े हैं। 8 अप्रेल को ही प्रदेश में 3526 पॉजिटिव केस आए थे और 21 हजार एक्टिव केस थे। जबकि, 11 मई को एक्टिव केस का आंंकड़ा 2 लाख पार कर चुका था। पिछले 5-8 दिनों की बात करें तो राज्य में प्रतिदिन 16 से 18 हजार के करीब पॉजिटिव केस मिल रहे हैं।
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क्या होता है जीनोम सिक्वेंसिंग
जीनोम सिक्वेंसिंग वायरस की पहचान करता है। एक तरह से यह वायरस का बायोडाटा होता है। जिसमें उसकी पूरी जानकारी होती है। कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, जिसकी जानकारी जीनोम सिक्वेंसिंग से मिलती है। इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है। जीनोम सिक्वेंसिंग को आसान भाषा में वायरस के बारे में जानने की विधि कहते हैं। इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है।
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अब जयपुर में शुरू होगी जीनोम सिक्वेंसिंग
गहलोत सरकार ने अब जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में जीनोम सिक्वेंसिंग शुरू करने का फैसला किया है। अब तक जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए केंद्र सरकार के अधीन 10 लैबों में ही सैंपल भेजे जाते थे। सभी राज्यों से जांच के लिए अधिक सैंपल जाने की वजह से पेंडेंसी ज्यादा रहती थी। इस वजह से रिपोर्ट आने में काफी वक्त लग जाता है। यही वजह से राजस्थान में यूके स्ट्रेन का पता लगने में काफी देरी हो गई। यदि स्थानीय स्तर पर यह सुविधा होती तो वायरस के स्ट्रेन का जल्दी ही पता लगाया जा सकता था। जिससे इलाज के पैटर्न में बदलाव कर मरीजों की जान बचाने के साथ संक्रमण दर रोकने में मदद मिलती। स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि जीनोम सिक्वेंसिंग का काम जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में शुरू करने की तैयारी जोरों पर है। विभाग के अफसर कार्ययोजना में जुट गए हैं।