देश तभी आत्मनिर्भर बनेगा जब हम ‘वोकल फॉर लोकल’ अपनाएंगे : स्पीकर बिरला
लोकसभा अध्यक्ष बोले-कार्यपालिका की जवाबदेही हो सुनिश्चित
TISMedia@ शिलांग. आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम वोकल फॉर लोकल का चुनाव करेंगे। हमारी ईस्ट नीति से उत्तर-पूर्व क्षेत्र के विकास की अपार संभावनाओं के द्वार खुले हैं और उत्तर पूर्वी राज्यों को इन अवसरों का अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिए। यह बात शुक्रवार को शिलांग में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहीं। बिरला गुरुवार को ही शिलांग पहुंचे। उन्होंने शुक्रवार को मेघालय और उत्तर-पूर्वी राज्यों के स्थानीय निकायों के लिए आउटरीच और परिचय कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि कार्यपालिका की जवाबदेही केवल संसद और विधानसभाओं में ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। लघु विधायी निकायों के रूप में कार्य करने वाली स्वायत्त जिला परिषदों को चर्चा और संवाद के जरिए कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए।
जनता को केंद्र में रखकर निकाले समस्या का समाधान
स्पीकर बिरला ने स्थानीय निकायों के प्रशासन को पारदर्शी, जवाबदेह और सुगम बनाने के लिए सूचना और संचार तकनीकों व नई प्रौद्योगिकियों के अधिकाधिक उपयोग पर बल दिया। पंचायती राज संस्थाएं समावेशी विकास की अवधारणा के साथ विकास कार्यक्रमों के संबंध में सहयोग और सामूहिकता की भावना से चर्चा करे तथा जनता की समस्याओं का समाधान जनता को केन्द्र में रखकर निकालें। बिरला ने कहा कि हमारे लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए क्षेत्रीय आकांक्षाओं और राष्ट्रीय एकता के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं के भागीदारों से सकारात्मक चर्चा और संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान करने का आग्रह किया । बिरला ने कहा कि हमें अपने विचारों और कार्यों में राष्ट्रीय एकता के मूलभूत आदर्श को प्राथमिकता देनी चाहिए।
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मेघालय के मुख्य मंत्री डॉ. कॉनरेड के संगमा ने जिला परिषदों को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत लाने, ख़ासी, गारो और अन्य भाषाओं को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने, उत्तर-पूर्वी जनजातियों और संस्कृति संबंधी जानकारी को स्कूली बच्चों के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में शामिल करने और उत्तर-पूर्व में राष्ट्रपति आवास स्थापित किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह कार्यक्रम शिलांग में आयोजित करने तथा मेघालय और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों के स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों को अपने अनुभव साझा करने का अवसर प्रदान करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का आभार जताया। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि पंचायतराज संस्थाएं और अन्य स्थानीय निकाय राष्ट्र-निर्माण के शक्तिशाली माध्यम हैं। लोकतान्त्रिक प्रणाली को और सुदृढ़ करने के लिए लोकतन्त्र के परंपरागत मूल्यों का संरक्षण किया जाना चाहिए।
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मेघालय विधानसभा अध्यक्ष मेतबाह लिंगदोह ने स्व-शासन के महत्व पर बल देते हुए कहा कि इससे न केवल आम जनता सशक्त होगी बल्कि शासन को समाज के अंतिम व्यक्ति के द्वार तक पहुंचाने में भी मदद मिलेगी। उन्होने निचले स्तर पर पंचायत राज संस्थाओं और स्वायत्त जिला परिषदों को सशक्त किए जाने पर जोर दिया। मेघालय सरकार के जिला परिषद कार्य विभाग मंत्री लखमन रिम्बुई ने कहा कि शासन की सशक्त लोकतान्त्रिक संस्थाएं विकास का आधार होती हैं । यह आउटरीच कार्यक्रम मेघालय और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
इन विषयों पर हुई चर्चा
-भारत की संसद और जमीनी स्तर की संस्थाएं
– संभावनाएं और चुनौतियाँ
– नेतृत्व का प्रथम सोपान
-उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थानीय निकायों के नेतृत्व में जनजातीय कल्याण और उत्तर-पूर्वी राज्यों के प्राकृतिक संसाधन और इनके संरक्षण में स्थानीय और परंपरागत निकायों की भूमिका। मेघालय सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों के स्थानीय निकायों के लगभग 115 सदस्यों ने कार्यक्रम में भाग लिया। इसके अलावा सभी उत्तर पूर्वी राज्यों से कई प्रतिभागी ऑनलाइन कार्यक्रम मेें शामिल हुए।
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लोकसभा अध्यक्ष की पहल आउटरीच कार्यक्रम
आउटरीच कार्यक्रम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल है। जिसका उद्देश्य देश की स्थानीय निकायों में सुशासन को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम के माध्यम से निचले स्तर से शीर्ष स्तर तक लोकतांत्रिक संस्थाओं द्वारा अपनाई जा रही पद्धतियों और प्रक्रियाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाकर लोकतंत्र में भागीदारी को बढ़ावा देने पर बल दिया जा रहा है। पहले आउटरीच का आयोजन 8 जनवरी को देहरादून में किया गया था। जिसमें 445 पंचायत प्रतिनिधियों ने भाग लिया और 40,000 पंचायत प्रतिनिधि और अधिकारी ऑनलाइन कार्यक्रम का हिस्सा बने।