मरने नहीं देंगे तुम्हें : चंबल में कूद रहे लोग, पुलिस दांव पर लगा रही अपनी जान

कोटा. इन दिनों शहर में कोटा पुलिस की बहादुरी के चर्चें हो रहे हैं। कोई जवानों की तारीफों में फूल बांध रहे हैं तो कोई सम्मान कर हौसला बढ़ा रहे हैं। लोगों के लिए रियल हीरों बने इन जवानों ने मौत के शिकंजे में फंसी 5 जिंदगियां बचा ली। गुरुवार को भी पुलिस ने एक परिवार की खुशियां उजडऩे से बचा ली।
इस बार शहरवासियों के लिए सिंघम कुन्हाड़ी थाने के हैड कांस्टेबल राधेश्याम सांखला थे। उन्होंने 100 फीट ऊंची पुलिया से चंबल नदी में गिरे युवक की न केवल जान बचाई बल्कि कंधे पर उठा अस्पताल पहुंचाकर इलाज भी करवाया। उनकी इस बहादुरी के लिए कोटा ग्रामीण पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने प्रशस्ति पत्र देकर उनका सम्मान भी किया।

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100 फीट ऊंचाई से चंबल में गिरा युवक

झालावाड़ जिले के असनावर निवासी राम लखन (23) नयापुरा पुलिया पर खड़ा था। नदी से पुल की ऊंचाई करीब 100 फीट थी। वह नदी में कुछ देख रहा था तभी उसका बैलेंस बिगड़ा और वह नदी में जा गिरा। वह नीचे कीचड़ और कोई में फंस गया। लोगों की सूचना पर कुन्हाड़ी पुलिस मौके पर पहुंची। युवक दलदल में फंसा हुआ था। उसकी गर्दन ही नजर आ रही थी। उसके पास पहुंचने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। युवक की जान बचाने के लिए हैड कांस्टेबल राधेश्याम सांखला ने छोटी पुलिया से नदी में छलांग लगा दी और गिरते-पड़ते युवक के पास पहुंचे और उसे कंधों पर उठाकर जीप तक लाए। इसके बाद एमबीएस अस्पताल पहुंचाकर इलाज करवाया।

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युवक की जान बचाने दलदल में कूदा जवान
हैड कांस्टेबल राधेश्याम सांखला ने बताया कि दोपहर को वे कुन्हाड़ी पेट्रोल पम्प के पास चालानी कार्रवाई कर रहे थे। तभी कंट्रोल रूम से युवक के चंबल नदी में कूदने की सूचना मिली। इस पर वे तुरंत जाब्ते के साथ मौके पर पहुंचे। युवक दलदल में फंसा हुआ था। उस तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं था। ऐसे में उसकी जान बचाने के लिए मैं नदी में कूद गया और उसे निकाल अस्पताल पहुंचाया। जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई थी। गौरतलब है कि शहर में चंबल नदी व नहर में गिरने की यह चौथी घटना है। पुलिस जवानों ने अपनी जान दांव पर लगाकर 5 लोगों की जान बचाई है। जिनमें दो युवक, एक बालक और दो महिलाएं शामिल हैं।

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…जुबैर की ‘जबर’ एडवाइज

चंबल ओवर ब्रिज से लगातार लोगों के कूदने की घटनाओं के बाद भी प्रशासन चेत नहीं रहा। आलम यह है कि इन चम्बल ही नहीं शहर के किसी भी ओवर ब्रिज पर रात में न तो लाइट जलती है और ना ही सुरक्षा का कोई इंतजाम है। जबकि दिल्ली और जयपुर जैसे शहरों में ओवरब्रिज बनते ही उनके दोनों ओर लोहे की मजबूत जालियों के साथ फाइबर शीट भी लगाई जाती है। ताकि, लोग इन पुलों से छलांग न लगा सकें। ऐसे में चम्बल नदी पर बने ओवर ब्रिज तो सामरिक दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील है। द इनसाइड स्टोरी के डेस्क प्रभारी जुबैर खान सलाह देते हैं कि शहर के विकास पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही सरकार और प्रशासन ओवर ब्रिजों के सुरक्षा इंतजामों पर भी थोड़ा ध्यान दें और पैसा खर्च करेंं तो न सिर्फ तमाम लोगों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि रोज-रोज लोगों की जान बचाने के लिए होने वाले रेसक्यू ऑपरेशन की सिरदर्दी भी खत्म होगी।

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