Mukhtar Ansari Case: गायब हुए बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की अवैध संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज

- योगी सरकार के आदेश के बाद मुख्तार अंसारी के करीबी दोस्तों के खिलाफ हुई कार्रवाई
- कई और अवैध संपत्तियों का ब्योरा भी मिला, जब्ती से पहले ही इनसे जुड़े कागजात हुए गायब
TISMedia@Lucknow उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बाहुबली विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और उनकी पत्नी आफ्शा अंसारी की पुरानी संपत्तियों के दस्तावेज सरकारी विभागों से गायब हो गए। इन संपत्तियों को मुख्तार अंसारी ने कब खरीदा था और किसके नाम ये संपत्तियां ट्रांसफर की गई हैं और फिर मुख्तार और उनकी पत्नी के नाम पर कैसे पहुंची इसकी जानकारी सरकारी विभागों को नहीं मिल रही हैं। जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च स्तरीय जांच बिठा दी है।
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मुख्तार अंसारी और उनकी पत्नी की जमीन शहर हुसैनगंज गांव में आ रही हैं, लेकिन उस जमीन के दस्तावेज सरकारी विभागों के पास नहीं है। दरअसल, इस मामले में एसपी आजमगढ़ ने लखनऊ के जिला प्रशासन को पत्र लिखा है, जिसमें लिखा है कि मुख्तार अंसारी ने अपराध जगत से संपत्ति अर्जित की है। उसकी पत्नी के नाम पर कई जमीनें हैं। इस पत्र में एसपी ने लिखा है कि प्लॉट नंबर 47, जिसका नगर निगम नंबर 47 है और क्षेत्रफल 8312 स्क्वेयर फीट है। इस जमीन का एक चौथाई यानी 2078 स्क्वेयर फीट विधानसभा मार्ग पर है, जो हुसैनगंज क्षेत्र में आता है। इसे सुनील चक नाम के विक्रेता ना मुख्तार अंसारी की पत्नी के नाम पर बेचा था।
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रिकॉर्ड हो गया गायब
पूर्व में इस जमीन को किसके पास थी, इसको लेकर जानकारी मांगी गई तब जाकर पूरे मामले का खुलासा हुआ। एसडीएम सदर ने जब जांच करवाई तो पता चला कि जमीन का पूरा रिकार्ड गायब है। इस मामले में एसडीएम ने लिखा है कि जिन 86 पुराने गांवों में तहसील में दस्तावेज और रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं।यह नजूल भूमि के रूप में दर्ज है। ऐसी स्थिति में इसके दस्तावेज नगर निगम और एलडीए के पास उपलब्ध हो सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम के पास भी इन 86 गांवों के कोई दस्तावेज नहीं हैं और एलडीए को इससे संबंधित कोई दस्तावेज भी नहीं है। जिसके कारण यह बताया जा सका है कि जमीन कब, कब और किसकी थी?
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जमीन की कीमत बताएंगे नगर निगम और एलडीए
असल में मुख्तार की संपत्तियों की कीमत की जानकारी सरकारी विभाग को नहीं है, क्योंकि सर्किल रेट अलग अलग हैं। लिहाजा अब इस जमीन की कीमत कितनी है ये एलडीए और नगर निगम बताएंगे। एसडीएम सदर प्रफुल्ल त्रिपाठी ने 11 अक्टूबर को एलडीए को पत्र लिखा है और जिसमें मुख्तार की जमीन का आंकलन कर उसे उपलब्ध कराने को कहा गया है।
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संपत्तियों को जब्त नहीं कर सकी है पुलिस
राज्य सरकार के आदेश के बाद मुख्तार के करीबी दोस्तों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई तो कई गई और संपत्ति का ब्योरा भी मिला। लेकिन इन संपत्तियों को जब्त नहीं किया जा सका है। छापों के दौरान मुख्तार के कई करीबी साथी भाग गए थे और पुलिस उन्हें गिरफ्तार भी नहीं कर सकी है। लखनऊ के ही मड़ियांव के रहने वाले मुख्तार के करीबी सहयोगी बाबू सिंह पर गैंगस्टर लगाया था और उसकी संपत्तियों का ब्योरा तैयार किया गया है।