भाजपा में भगदड़ के बाद आया पहला सर्वे, जानें उत्तर प्रदेश में किसे मिली जोरदार बढ़त

भाजपा में शामिल होंगे रामवीर उपाध्याय, सपा चुनाव को दलित-पिछड़ा बनाम सवर्ण बनाने में जुटी

  • चुनाव पूर्व सर्वे में भाजपा सत्ता के करीब, डिजिटल प्रचार में पिछड़े विपक्षी “फिजिकल” लड़ाई की तैयारी में जुटे

TISMedia@Lucknow चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए पाले बदलने का खेल चरम पर जा पहुंचा है। भारतीय जनता पार्टी में 60 से 70 नकारा विधायकों का टिकट कटने की सुगबुगाहट शुरू होते ही, ऐसी भगदड़ मची कि पूरा सूबा नेताओं की सियासी कुलाचें देख हैरत में पड़ गया। फिलहाल तीन मंत्रियों सहित अब तक एक दर्जन से अधिक विधायकों ने सत्ताधारी दल भाजपा से इस्तीफा दे दिया है।

अगड़े और पिछड़ों की लड़ाई 
दशकों तक हिंदू-मुस्लिम वोट बैंक के बीच घूमती रही उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर मंडल-कमंडल के दौर में जाती दिखाई दे रही है। समाजवादी पार्टी इस लड़ाई को पिछड़ों ओबीसी की पॉलिटिक्स में बदलने की जीतोड़ कोशिश कर रही है। उसकी नजर गैर यादव ओबीसी वोट बैंक पर है। इतना ही नहीं, मायावती की मौजूदगी के बावजूद उनकी निष्क्रीयता का फायदा उठाने में की भी कोशिश की जा रही है। इसीलिए पिछड़ों को ही नहीं समाजवादी पार्टी दलितों की भी सिरमौर बनने की कोशिश में जुटी है। इसके लिए उसने दलित राजनेताओं को साधने की हर संभव कोशिश शुरू कर दी है। वहीं, योगी आदित्यनाथ पहले ही कह चुके हैं इस चुनाव में लड़ाई 80 बनाम 20 फीसदी के बीच की है। हालांकि इसके मायने हिंदू और मुसलमान ही लगाए जा रहे हैं।

सरकार पिछड़े बनाएं और मलाई खाएं 5 फीसदी लोग
योगी के इस बयान के जवाब में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि लड़ाई 80 बनाम 20 की नहीं है बल्कि 85 बनाम 15 की है। हम तो कहते हैं कि 85 तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है। यदि आप हिंदुओं के हमदर्द हैं तो फिर पिछड़ों, अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण पर क्यों डाका डालते हो। अभी-अभी 69 हजार शिक्षकों की भर्ती हुई। इनमें से 19 हजार ओबीसी और दलित सीटों पर सामान्य वर्ग के लोगों को ही नियुक्ति पत्र दे दिया। यह भाजपा केशव प्रसाद मौर्य और स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम उछालकर पिछड़ों के बूते सत्ता में आई थी। भाजपा ने चर्चा की थी कि स्वामी प्रसाद मौर्या या केशव प्रसाद सीएम होंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, गोरखपुर से नेता को लाकर सीएम बना दिया और पिछड़ों की आंखों में धूल झोंक दी। आज सरकार बनाएं अल्पसंख्यक और पिछड़े और मलाई खाएं, वे 5 फीसदी अगड़े।

खराब रिपोर्ट कार्ड वालों का टिकट काटेगी भाजपा
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी उन मौजूदा विधायकों के टिकट के काट रही है, जिनके खिलाफ लोगों की नाराजगी है। स्थानीय स्तर पर लोगों का गुस्सा सरकार से ज्यादा विधायकों और मंत्रियों को लेकर है। ऐसे में भाजपा पूरी तरह सतर्क है और उन लोगों के टिकट काटने की प्लानिंग है, जिनका रिपोर्ट कार्ड खराब है। अभी तक ऐसे विधायकों की सूची में 60 से 70 नाम शामिल हो चुके हैं। यही वजह है जिसके चलते उत्तर प्रदेश के विधायकों में भगदड़ मची हुई है।

रामवीर उपाध्याय हो सकते हैं भाजपा में शामिल
बसपा से इस्तीफा देने वाले पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय भाजपा में शामिल हो सकता हैं। वह फिलहाल सादाबाद सीट से विधायक हैं। यहीं से वह अब भाजपा के टिकट पर उतर सकते हैं। उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय हाथरस जिले से भाजपा की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। वह फतेहपुर सीकरी से बसपा सांसद रही हैं। रामवीर उपाध्याय की लंबे समय से भाजपा में जाने की चर्चाएं रही हैं। रामवीर उपाध्याय बसपा सरकार में ऊर्जा, परिवहन और चिकित्सा शिक्षा मंत्री थे। रामवीर ही नहीं उनकी पत्नी और भाई सहित पूरे परिवार को मायावती का बेहद करीबी माना जाता था, लेकिन सूबे के बदलते  सियासी समीकरणों ने इस रिश्ते में खटास भर दी। जिसके चलते बसपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

स्वामी का गुट हुआ सपाई 
पहले बहुजन समाज पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व कबीना मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य कई भाजपा विधायकों और मंत्रियों के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी भी समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। भाजपा के विधायक रहे ब्रजेश प्रजापति, मुकेश वर्मा, दिनेश शाक्य, रोशन लाल वर्मा ने भी सपा का दामन थाम लिया है। इसके साथ ही करीब करीब 20 पूर्व विधायक भी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं। इस मौके पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि वर्चुअल रैली की बातें हो रही हैं, लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं में जो बात फिजिकल है। उसका कोई मुकाबला नहीं है। कोई सोचता था कि पाबंदी लग जाएगी। हम चुनाव आयोग के सारे नियमों का पालन करेंगे, लेकिन इस भाजपा का हम फिजिकल मुकाबला करेंगे।

जानें सर्वे में किसे मिल रही बढ़त
इस बीच स्वामी प्रसाद समेत कई नेताओं के भाजपा छोड़ने के बाद पहला ओपिनियन पोल आया है। इसमें भाजपा को नुकसान की बजाय फायदे की ही बात कही गई है। एबीपी न्यूज-सीवोटर सर्वे में 13 जनवरी को लोगों से राय ली गई है, जिसमें 50 फीसदी लोगों ने भाजपा की वापसी की बात कही है। इसके अलावा 28 फीसदी लोग ही ऐसे हैं, जो मानते हैं कि समाजवादी पार्टी सत्ता में आएगी। यह 13 जनवरी को किए गए सर्वे में सामने आई है।

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