Tribute to Lata Mangeshkar: सिर्फ एक दिन स्कूल गई थीं, लेकिन मिली थीं 6 डॉक्टरेट उपाधियां

TISMedia@Kota स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की सफलताओं का सफर हमेशा ही सुहाना नहीं था, सुरज सा चमकने के लिए उन्हें मुफलिसी की आग में जलना पड़ा था। स्वर कोकिला की जिंदगी के शुरुआती दिन इतनी मुश्किलों भरे थे कि वह अपनी जिंदगी में सिर्फ एक दिन के लिए ही स्कूल जा सकी थीं। लेकिन, हैरत यह जानकर होती है कि इक दिन ऐसा भी आया कि उनकी प्रतिभा को न्यूयार्क यूनिवर्सिटी समेत देश और दुनिया के 6 विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की उपाधि दी।
इंदौरी गलियारों में बहने वाली खबरों के मुताबिक लता मंगेशकर का जीवन शुरू से इतना आसान नहीं रहा था। हैरत यह जानकर होती है कि वह केवल एक दिन के लिए ही स्कूल गईं थी। दरअसल, जब वह स्कूल में अपनी छोटी बहन आशा भोसलें के साथ पहुंचीं तो स्कूल के हेडमास्टर ने आशा भोसलें को यह कहकर निकाल दिया, कि उन्हें भी स्कूल की फीस जमा करनी होगी। नतीजन, पढ़ाई शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई और इस दिन के बाद लता मंगेशकर ने कभी स्कूल न जाने का फैसला किया। हालांकि, एक समय ऐसा भी आया जब प्रतिभा के दम पर न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय समेत 6 विश्वविद्यालयों ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी।
36 भाषाओं में गाए गाने
भारत रत्न से सम्मानित और स्वर कोकिला कही जाने वाली विश्व प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर अब नहीं रहीं। रविवार, 6 फरवरी, 2022 को 92 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांसें ली। लता मंगेशकर बीते दिनों कोरोना संक्रमित हुई थीं, इसके बाद से ही उनका इलाज चल रहा था। हालांकि, कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी उनकी हालत में सुधार न हो सका और वह दुनिया को अलविदा कह गईं। उनके जाने से देश पूरे देश में शोक की लहर सी आ गई है। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में जन्म लेने वाली लता मंगेशकर का पूरा जीवन उपलब्धियों से भरा रहा। बचपन से गाने के शौक और कड़ी मेहनत से उन्होंने जो मुकाम हासिल किए उन्हें एक वाक्य में समेटा नहीं जा सकता। उनकी उपलब्धि को सिर्फ इसी बात से समझा जा सकता है कि सिर्फ एक दिन स्कूल जाने वाली इस महान कलाकार ने एक या दो नहीं, बल्कि छत्तीस भाषाओं में हजारों गाने गाने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था। यही वजह थी कि उन्हें भारत सरकार ने “डॉक्टर ऑफ नेशन” की उपाधि से सम्मानित किया था।
प्रमुख पुरस्कार और सम्मानों की सूची
फिल्मफेयर अवॉर्ड (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994)
नेशनल अवॉर्ड (1972, 1975 और 1990)
1969 में पद्मभूषण से सम्मानित।
1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करने वाली फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला।
वर्ष 1974 में लंदन के सुप्रसिद्ध रॉयल अल्बर्ट हॉल में गाने वाली पहली भारतीय गायिका।
सन 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड।
1999 में विभूषण से सम्मानित।
2001 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित।
2001 में महाराष्ट्र रत्न से सम्मानित।
36 भाषाओं में 30,000 से अधिक गाने गाएं।
1984 में मध्य प्रदेश सरकार ने उनके नाम पर संगीत का पुरस्कार रखा। इन पुरस्कारों के अलावा उन्हें फिल्म जगत और दुनियाभर के संस्थानों से कई अन्य बड़े पुरस्कार भी प्राप्त हुए थे।
बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर इन फिल्मों के लिए
1964 – वो कौन थी
1967 – मिलन
1968 – राजा और रंक
1969 – सरस्वतीचंद्र
1970 – दो रास्ते
1971 – तेरे मेरे सपने
1972 – पाकीज़ा
1973 – बॉन पलाशिर पदबाली (बंगाली फिल्म)
1973 – अभिमान
1975 – कोरा कागज़
1981 – एक दूजे के लिए
1983 – अ पोर्ट्रेट ऑफ लता जी
1985 – राम तेरी गंगा मैली
1987 – अमरसंगी (बंगाली फिल्म)
1991 – लेकिन
शुरुआती दिनों में रिजेक्ट भी हुईं
देश की स्वर कोकिला कही जाने वालीं लता मंगेशकर को शुरूआती दिनों में रिजेक्ट भी होना पड़ा था। कई बार उनकी आवाज को पतला बताकर नापसंद कर दिया गया था। हालांकि, उन्होंने हिम्मत न हारते हुए अपनी मेहनत के दम पर कई मुकाम हासिल किए।