Tribute to Lata Mangeshkar: जब लता मंगेशकर को मारने के लिए दिया गया था जहर

 तीन महीने तक बिस्तर से उठना हो गया था मुश्किल

TISMedia@Kota लता मंगेशकर की जिस आवाज ने करोड़ों लोगों को अपना दीवाना बनाया था, उसी आवाज से कुछ लोग दुश्मनी भी ठान बैठे थे। यही वजह थी कि महज 33 साल की उम्र में इसी आवाज को हमेशा से खामोश करने के इरादे से स्वर कोकिला को जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। गनीमत यह रही कि लता के डॉक्टरों ने इसे पकड़ लिया और बुरी तरह से तबीयत खराब होने के बावजूद तीन महीने की गंभीर कोशिशों के बाद बचा लिया।

अपनी दमदार आवाज के दम पर इंडस्ट्री में एक अलग पहचान बनाने वालीं लता मंगेशकर आज भी करोड़ों दिलों की धड़कन हैं। ‘भारत रत्न’ से सम्मानित मशहूर गायिका लता मंगेशकर के निधन पर देश में दो दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है। दुनियाभर में स्वर कोकिला के नाम से मशहूर लता मंगेशकर के आज भी लाखों में फैंस हैं। 30,000 से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दे चुकीं लता जी ने करीब 36 क्षेत्रीय भाषाओं में भी गाने गाए, जिसमें मराठी, बंगाली और असमिया भाषा शामिल है।

रिकॉर्डिंग से पहले मारने की हुई कोशिश 
28 सितंबर 1929 को इंदौर के एक मध्यमवर्गीय मराठा परिवार में जन्मीं लता मंगेशकर का नाम पहले हेमा था। हालांकि जन्म के 5 साल बाद माता- पिता ने इनका नाम बदलकर लता रख दिया था। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता मंगेशकर ने सिर्फ 5 साल की उम्र से ही आना सीखना शुरू कर दिया था। उनके पिता दीनदयाल रंगमंच के कलाकार थे, जिसकी वजह से लता जी को संगीत कला विरासत में मिली थी। अपनी मीठी आवाज से लोगों पर जादू करने वालीं लता मंगेशकर के जीवन में एक समय ऐसा भी था जब उन्हें जान से मारने की कोशिश की गई थी। बात साल 1963 की है, जब फिल्म ‘20 साल बाद’ के लिए लता जी को एक गाना रिकॉर्ड करना था। इस गाने के लिए संगीत निर्देशक हेमंत कुमार ने पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन रिकॉर्डिंग से कुछ घंटे पहले ही अचानक लता जी की तबीयत काफी खराब हो गई।

तीन महीने चला इलाज  
उनके पेट में दर्द होने के साथ ही उल्टी हुई। इस दौरान उनके पेट का दर्द इतना बढ़ गया कि वह हिल भी नहीं पा रही थीं। अचानक तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर को बुलाया गया। इस दौरान लता जी 3 दिन तक मौत से जूझती रहीं। हालांकि, बाद में करीब 10 दिन बाद सेहत में सुधार आने पर डॉक्टर ने बताया कि उन्हें खाने में धीमा जहर दिया गया था, जिसकी वजह से वह काफी कमजोर हो गई। इस इस बारे में एक इंटरव्यू में लता जी ने बताया था कि वह हमारी जिंदगी का सबसे भयानक दौर था। इस दौरान में वह इतनी कमजोर हो गई थी कि 3 महीने तक बिस्तर से बहुत मुश्किल से उठ पाती थीं। उन्होंने बताया कि हालात यह हो गए थे कि मैं अपने पैरों से चल भी नहीं सकती थीं। लता मंगेशकर के अनुसार लंबे इलाज के बाद वह ठीक हो गई थीं। उन्होंने बताया कि उनके पारिवारिक डॉक्टर आर पी कपूर और लता जी के दृढ़ संकल्प ने उन्हें ठीक कर दिया। 3 महीने तक बिस्तर पर रहने के बाद वह फिर से रिकॉर्ड करने के लिए तैयार हो गई थीं। इलाज के बाद उन्होंने पहला गाना ‘कहीं दीप जले कहीं दिल’ गाया जिसे हेमंत कुमार ने कंपोज किया था।

खाना चखकर खिलाते थे मजरूह सुल्तानपुरी
लता मंगेशकर के मुताबिक उनकी रिकवरी में मजरूह सुल्तानपुरी की अहम भूमिका थी। वे बताती हैं, “मजरूह साहब हर शाम घर आते और मेरे बगल में बैठकर कविताएं सुनाकर मेरा दिल बहलाया करते थे। वे दिन-रात व्यस्त रहते थे और उन्हें मुश्किल से सोने के लिए कुछ वक्त मिलता था, लेकिन मेरी बीमारी के दौरान वे हर दिन आते थे। यहां तक कि मेरे लिए डिनर में बना सिंपल खाना खाते थे और मुझे कंपनी देते थे। अगर मजरूह साहब न होते तो मैं उस मुश्किल वक्त से उबरने में सक्षम न हो पाती।”

जहर देने वाले का पता चल गया था
जब लता जी से पूछा गया कि कभी इस बात का पता चला कि उन्हें जहर किसने दिया था ดูที่นี่? तो उन्होंने जवाब में कहा, “जी हां, मुझे पता चल गया था, लेकिन हमने कोई एक्शन नहीं लिया क्योंकि हमारे पास उस इंसान के खिलाफ कोई सबूत नहीं था।”

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