तनाव से मुक्ति, जीवन में तंदरुस्ती
विद्यार्थी ऐसे करे अपने तनाव का प्रबंधन
पहली कक्षा से लेकर 12वीं व कॉलेज के विद्यार्थी कोचिंग का रास्ता चुन रहा है | बच्चा स्कूल कम और कोचिंग संस्थानों के चक्कर ज्यादा कटता नजर आता है जिसमें राजस्थान का कोटा शहर आई.आई.टी., जे.ई.ई., नीट, एम्स की कॉम्पिटिशन परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक लोकप्रिय कोचिंग गंतव्य के रूप में उभरा है जहाँ व्यापक रूप से कोचिंग संस्थानों में पूरे देश और पड़ौसी देशों के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है, वही दिल्ली, बेंगलोर, मुंबई, पुणे, कोलकाता, प्रयागराज, जयपुर, लखनऊ, पटना, इंदौर, हैदराबाद आदि यू.पी.एस.सी. की तैयारी के लिए अपनी पहचान बना चुके है | लेकिन यहाँ की बेस्ट फैकल्टी, बेस्ट कोर्स मटेरियल, बेस्ट रिजल्ट्स, बेस्ट रहने की सुविधाएँ, बेस्ट वातावरण, बेस्ट खाना आदि होने के बावजूद भी बहुत से विद्यार्थी अपने अध्ययन और प्रवेश परीक्षा के समय गंभीर तनाव के शिकार हो जाते है और सही समय पर काउन्सलिंग न मिल पाने व परिणामों के दबाव के चलते उनका तनाव बढता चला जाता जिसके परिणामस्वरुप विद्यार्थियों को अनेकों अनेक मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक नकारात्मक परिवर्तन झेलने पड़ते है | कई पढ़ाई के दौरान अपनी तैयारी छोड़ देते है, तो कई अपने घर वापस चले जाते, कई तो बहुत ही कठोर कदम उठाते हुए अपनी जीवन लीला ही आत्महत्या करके समाप्त कर देते है | वर्तमान में भी कोरोना के संक्रमण के कारण दीर्घकालीन समय से बंद हुई शिक्षण गतिविधियाँ, बार-बार स्थागित होने वाली यूनिवर्सिटी, यू.पी.एस.सी., आई.आई.टी., जे.ई.ई., नीट, एम्स, बोर्ड परीक्षाओं से विद्यार्थियों का तनाव बहुत बढता जा रहा है | ये तनाव एक स्तर पर प्रेरणा का कार्य करता है परन्तु इसकी मात्रा बढ़ने पर यह जानलेवा हो जाता है ऐसे में यह नितांत आवश्यक है की विद्यार्थियों के तनाव को दूर किया जाये जिससे उनके बढ़ते हुए तनाव का हल मिल सके और वे अपनी क्षमताओं का अधिकतम उपयोग कर सकें |
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योग: विद्यार्थियों के तनाव को कम करने के लिए सबसे सरल, सटीक और सीधा रास्ता है योग, शांतिपूर्ण व चिंतारहित जीवन जीने के लिए प्रत्येक विद्यार्थी को योग करना चाहिए । योग अभ्यास सकारात्मक और रचनात्मक विचारों के साथ शरीर और मन को विकसित करने और नियंत्रित करने में मदद करता है | यह विद्यार्थियों की सहज क्षमता को बढ़ाता है साथ ही इसकी समझ भी देता है की क्या सही है और क्या गलत क्या करना चाहिए और क्या नहीं, सकारात्मक परिणाम कैसे प्राप्त किये जा सकते है प्राप्त करने के लिए क्या, कैसे और कब किया जाना चाहिए । यह योग ही है जो सकारात्मक रूप से साथियों, शिक्षकों, अभिभावकों और रिश्तेदारों के साथ जुड़ाव को बढ़ा सकता है | यह मन को प्रफुल्लित और शांत रखने से संबंधित है | यह जीवन से निराशा की चिंता का दूर करते हुए हमारे जीवन और शरीर के साथ हमारा सम्बन्ध स्थापित करता है | विभिन्न प्रकार की योग मुद्राएँ मन और तन दोनों की दुःख तकलीफ समाप्त करती है | डॉक्टरों का सुझाव है कि तनाव से जूझ रहे छात्रों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की भलाई के लिए योग करना चाहिए यह उनके लिए रामबाण के समान कार्य करेगा | यह मन व शरीर उत्कृष्ट शक्ति, संवेदनशीलता, जागरूकता, शांति व लचीलापन प्रदान करता है साथ ही असाधारण व्यक्तित्व का निर्माण करता है |
ध्यान: योग साथ समानांतर स्तर पर तनाव को दूर करने का और अपनी आंतरिक दुनिया में झाँकने का साधन है ध्यान | ध्यान विश्राम, पूर्ण विश्राम और सभी गतिविधियों का पूर्ण विराम है- शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक। ध्यान का अर्थ है अपनी विचार प्रक्रिया से जो शेष, अशांत, शांत, जीवन है जो बीत गया और जो भी बीत रहा है उसे देखना । “छात्रों को ध्यान के बारे में बहुत जागरूक होना चाहिए, उन्हें जीवन का आनंद और आनंद के साथ आनंद लेने के लिए इसे सीखना चाहिए । उन्हें खुद के बारे में पता होना चाहिए कि उनकी आंतरिक आत्मा में क्या चल रहा है | ध्यान, विद्यार्थियों को यह सिखाता कि वे दिमाग से न लड़ें, इसे नियंत्रित करने की कोशिश न करें। जो कुछ भी वे कर रहे हैं वह सिर्फ उसका ध्यान रख सकते है । जीवन जो स्वाभाविक है और उन्हें दुर्घटनाओं के प्रति उदासीन रवैया दिखाना होगा । फिर कुछ भी गलत या अच्छा, बदसूरत या सुंदर, कठोर या नरम नहीं होगा । ध्यान की मदद से, छात्र निर्णय लें सकेंगे । ध्यान रिफ्रेशिंग, कायाकल्प करने वाला होता है और छात्रों को जागरूक करता है कि वे क्या हैं? और क्या कर सकते हैं । ध्यान के बाद छात्रों को मन से मुक्त किया जाएगा । वे किसी भी पूर्वाग्रह से खुद को आंक सकते हैं ।
हॉबी का साथ: छात्रों को अपने जीवन में कम से कम अपना एक शौक रखना चाहिए । हॉबी उनके सर्वांगीण विकास में उनकी मदद कर सकती हैं । यह हर स्वतंत्र विकास में अपने तरीके से मदद करता है । अध्ययन के उबाऊ, तनावपूर्ण जीवन से छुटकारा पाने के लिए यह सबसे अच्छा उपकरण है । छात्र किसी भी स्थिति में खुद को समायोजित कर सकते हैं । वे मानसिक रूप से मजबूत हो जाते हैं । शौक की मदद से विद्यार्थी आत्मविश्वास हासिल कर सकते हैं जो प्रतियोगिताओं और अच्छे परिणाम के लिए सबसे महत्वपूर्ण है । हॉबी व्यक्तियों की छिपी प्रतिभा को भी खोजती हैं और मन को शांति प्रदान करती हैं । हॉबी क्लासेस के जरिए छात्र अपनी भावनाओं को संभाल सकते हैं । यह बच्चों को तनावपूर्ण वातावरण से आज़ादी देता है क्योंकि जिस कम में मन सम्मिलित होता है उसे करने में आनंद की अनुभूति है । विद्यार्थियों का आत्म-सम्मान और महत्वाकांक्षा तब बढ़ सकती है जब उनकी हॉबी का प्रयोग वे नियमित रूप से करे |
उचित आराम करना: विद्यार्थियों को उचित आराम करना चाहिए यह हमारे सीखने और चीजों को याद रखने के लिए आवश्यक है । नींद की कमी हमारी मानसिक स्थिति, शारीरिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और दीर्घायु को प्रभावित करती है । प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. एम. एल. अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा है कि नींद की कमी और आराम न करने के कारण विद्यार्थी जीवन के गलत रास्ते पर मुड़ सकते हैं और वे ड्रग्स, अपराध, धूम्रपान के अंधेरे में घिर सकते है, वे शराबी हो जाते हैं और अंततः आत्महत्या के बारे में सोचते हैं । हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में स्लीप मेडिसिन डिवीजन के अनुसार, हमारे शरीर को सही देखरेख और आराम की आवश्यकता होती है क्योंकि यही आराम हमें खाने, पीने और अन्य गतिविधियाँ करने के लिए आवश्यक निर्देश देता है । पर्याप्त आराम के बिना, निर्णय, मन की स्थिति, सीखने और धारण करने की क्षमता कमजोर होती है, जबकि ये घटक भविष्य की प्रतिस्पर्धी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं । आराम शरीर और मन की मरम्मत करता है यहां तक कि यह याददाश्त को भी बढ़ाता है ।
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सकारात्मक सोचना: छात्रों को हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए क्योंकि शोधों ने साबित किया है कि सकारात्मक सोच से व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, अवसाद कम हो सकता है और निम्न स्तर का तनाव पैदा हो सकता है जो उसकी प्रस्तुति लिए अच्छा है । यदि हम किसी भी बुरी परिस्थिति में सकारात्मक सोचते हैं, तो तनाव नहीं होगा । सकारात्मक सोच वाले विद्यार्थियों के काम की गति, जुनून, धैर्य, आशावाद, नवाचार, खुद पर भरोसा, समय प्रबंधन, बुद्धिमत्ता, पहल, जीत की दृष्टि, अपने समय के मूल्य, जीवंत रचनात्मकता और प्रभावी प्रयासों अन्य से श्रेष्ठ होता है ।
भावनाओं को साझा करे: यह कहा गया है कि “दुःख को साझा करने कम होता है” इसलिए विद्यार्थियों को अपनी भावनाओं को साझा करना चाहिए है । विद्यालयों, कोचिंग संस्थानों, माता-पिता, संरक्षक, परामर्शदाताओं को उनके लिए एक खुला मंच बनाना चाहिए ताकि वे अपनी सहायता स्वयं कर सके, भविष्यवाणी कर खुद का पता लगा सकें की आगे कैसे बढ़ना है । मनोवैज्ञानिकों और परामर्शदाताओं ने सुझाव दिया कि जब भी छात्र तनाव महसूस कर रहे हों, तो उन्हें अपने माता-पिता, दोस्तों, शिक्षकों, काउंसलर, मेंटर्स, अभिभावक आदि के साथ अपनी भावनाओं को साझा करना चाहिए । विद्यार्थियों को तनाव से दूर रखने के लिए अभिभावकों के साथ खुला मन रखना चाहिए । यह और बेहतर करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा देता है । विद्यार्थियों को अपने अध्ययन के अनुभवों, प्रदर्शन, क्षमता, कैलिबर और प्राप्त लक्ष्य पर चर्चा करनी चाहिए ।
अपनी क्षमता के अनुरूप लक्ष्य निर्धारित करना: हर बच्चा अपने कैलिबर को जानता है क्योंकि कोई भी व्यक्ति खुद को दूसरों से ज्यादा जनता है । किसी भी लक्ष्य या लक्ष्य को तय करने से पहले छात्रों को अपनी ओर देखना चाहिए और स्वॉट(SWOT) विश्लेषण के माध्यम से खुद को परख लेना चाहिए । स्वॉट विश्लेषण में अपनी ताकत, कमजोरियों, अवसरों और खतरों से ज्ञान होने के बाद अपने लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए । इसके बाद, उन्हें अपने विषयों को तय करना चाहिए और सीमित समय सीमा में हासिल करने का लक्ष्य रखना चाहिए । अपनी ताकत के अनुसार, छात्रों को अपने भविष्य के बारे में सपने देखना चाहिए । इससे विद्यार्थी के आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प में भी वृद्धि होती है ।
रिवीजन पर ध्यान: विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद उसका रिवीजन करने के लिए अपनी योजना बनानी चाहिए । रिवीजन में ही वे ही यह समझ पाएंगे कि वे किन विषयों में मजबूत या कमजोर हैं, किन विषयों में अधिक प्रयासों की आवश्यकता है, किन विषयों और टॉपिक्स को छोड़ा जा सकता है | इस समय चूँकि सभी के अपार समय है तो अपनी सभी परीक्षाओं के सिलेबस का पुन: रिवीजन करते रहे | रिवीजन हम निम्न रूप में कर सकते है –
- पढ़ें: इस स्तर पर विद्यार्थियों को अधिगम सामग्री का चयन करना चाहिए क्योंकि जो कुछ भी किताबों और संदर्भों में लिखा गया है वह सब कुछ महत्वपूर्ण नहीं है । तो सामग्री का चयन करने के लिए छात्र स्वयं से ये मौलिक प्रश्न पूछें: क्यों पढ़ना है? कैसे पढ़ें ?, क्या पढ़ें ?, कब पढ़ें? कहां पढ़ें? आदि |
- याद करे: सामग्री को चुनने और पढ़ने के बाद रिवीजन का दूसरा चरण शुरू होता है, अर्थात् याद करना । याद करने के दौरान, वातावरण अध्ययन की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । याद करना बहुत से कारकों पर निर्भर होता है जैसे: उचित प्रकाश, ताजी हवा, ताजा-स्वस्थ और पौष्टिक भोजन, बाहरी शोर, परिवार और सामाजिक जीवन के सदस्य, सोशल मीडिया की व्यस्तता, समाजिक कार्य, उत्साह, थकान, चिंता, दबाव, रुचि, समय आदि । याद करने में, विद्यार्थियों को याद करने और रिवीजन की अलग से नोटबुक / रजिस्टर बनानी चाहिए ताकि रोज की अध्ययन सामग्री और रिवीजन में कोई उलझन न हो ।
- खुद का स्वयं टेस्ट लेना: पढ़ने और सीखने के बाद छात्र को अपनी परीक्षा खुद लेनी चाहिए |
- विश्लेषण: स्व-परीक्षण याद करने की प्रगति का वास्तविक स्थिति प्रदान करेगा । बच्चों को अब खुद से अपने अध्ययन का विश्लेषण करना चाहिए । उन्हें किन बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए: वे कहां कमजोर हैं? अधिक जानने की गुंजाइश कहाँ है? वे कौन से बिंदु, तथ्य, आंकड़े, तत्व भूल रहे हैं? पिछली बार की तुलना में प्रदर्शन कम या अच्छा क्यों है? परीक्षा को पूरा करने में कितना समय लगता है? आदि का विश्लेषण करने के बाद, छात्रों को फिर से याद करना चाहिए।
- री-टेस्ट: इस अंतिम चरण में पुनः याद व खुद का विश्लेषण करने के बाद, छात्रों को फिर से एक और परीक्षा देनी चाहिए और फिर उन्हें पिछले प्रदर्शन के साथ अपने प्रदर्शन की तुलना करनी चाहिए ।
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समयावधि: विद्यार्थियों को अध्ययन करने के लिए अपने समय को तय करना चाहिए क्योंकि जीवन में सफलता सही समय प्रबंधन पर ही निर्भर है । यह जीवन का एकमात्र तत्व है जो अगर एक बार चला गया तो कभी नहीं लौटेगा । इसलिए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छात्रों को अपने समय का प्रबंधन करना चाहिए । उन्हें पहले अपना अंतिम लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उसके बाद उसे छोटे-छोटे क्रमबद्ध तरीके से उन्हें विभाजित करना चाहिए | JEE, AIIMS, NEET, IIT, बोर्ड की तैयारी के लिए जहाँ प्रतिदिन 5 से 6 घंटे का अध्ययन आवश्यक है, वही IAS, IPS, UPSC की तैयारी के 8-10 घंटे का पढाई करना जरुरी है जो आपके स्कूल और कोचिंग समय से अलग होना चाहिए । विद्यार्थियों को अपने कीमती समय की बर्बादी नहीं करनी चाहिए जैसे कि मूवी देखना, लंबे समय तक फोन पर बातचीत करना आदि । विद्यार्थियों को एक निश्चित समय सारिणी का पालन करना चाहिए जिसमें जीवन के हर पहलू जैसे- आत्मचिंतन-मंथन, स्वास्थ्य और स्वच्छता, खेल, सामाजिक जीवन, शौक, कोचिंग, अध्ययन, संशोधन, भोजन आदि के लिए पर्याप्त समय हो । अध्ययन का समय व्यक्तिगत क्षमता या आदत पर निर्भर करता है, कोई व्यक्ति सुबह जल्दी रिवीजन की योजना बना सकता है जबकि कोई रात या शाम को कर सकते हैं । पढ़ाई के दौरान, उन्हें छोटे ब्रेक देने चाहिए और हल्के, ऊर्जावान, स्वस्थ स्नैक्स जैसे मूंगफली, चिप्स, जूस आदि लेने चाहिए । रोजाना एक-दो मिनट के लिए, छात्रों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वर्तमान में क्या हो रहा है, थोड़ी देर टहलने जाना चाहिए |
सोशल मीडिया से दूर रहना: जैसा कि हमने देखा है कि इंटरनेट युग में हर कोई क्लाउड कंप्यूटिंग में व्यस्त है । हर कोई दुनिया में एक्सपोजर चाहता है; हर कोई दुनिया से जुड़ना चाहता है, अपडेट रहना चाहता है, पसंद करना चाहता है, तारीफ पाना चाहता है, पॉजिटिव कमेंट करना चाहता है आदि, इसके लिए अब विद्यार्थी सोशल मीडिया से बहुत ज्यादा जुड़ गए हैं । वे वर्तमान सोशल मीडिया पोर्टल जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, हाइक, स्नैप चैट, वाइबर आदि पर अपनी हर घटना को अपडेट करते हैं, लेकिन सफलता की इच्छा रखने वालों को खुद से सोशल मीडिया से दूर रखना चाहिए | छात्रों में नकारात्मकता पैदा करते है । शोधों ने साबित कर दिया है कि सोशल मीडिया लोगों को नकारात्मक बनाता है क्योंकि वहाँ बहुत सारे नकारात्मक सामाजिक तत्व जो सिर्फ खुद की सुनते हैं दूसरों की बात समझना ही नहीं चाहते । यहां तक कि जब भी किसी को कोई प्रतिक्रिया जैसे पसंद, टिप्पणी, शेयर और प्यार नहीं मिलती है, यह अवसाद और चिंता का कारण बन सकता है ।
नियमित ऑनलाइन टेस्ट सीरीज: स्थगित होती परीक्षाओं और परिणाम के तनाव से बचने के लिए अभी सभी को नियमित रूप से ऑनलाइन टेस्ट सीरीज का उपयोग करते हुए अपने ज्ञान की निरंतरता को बनाये रखना चाहिए | छात्रों को नियमित अध्ययन और कक्षाओं को छोड़ना नहीं चाहिए । जब भी उन्हें कोई संदेह हो, तो उन्हें मेंटर्स और टीम के साथियों से सलाह लेनी चाहिए । परीक्षणों की नियमित प्रतिक्रिया वास्तविक समझ और अध्ययन की स्थिति (कागज़ी, 2015) प्रदान करेगी ।
सरकार द्वारा प्रकाशित किताबों से अध्ययन: विभिन्न प्रवेश परीक्षा के टॉपर्स ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा की प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागियों को सरकार व सरकारी संस्थाओं जैसे एन.सी.ई.आर.टी., बोर्ड्स, द्वारा प्रकाशित किताबों से अध्ययन करना चाहिए । जेईई मेन्स के टॉपर मास्टर कल्पित वीरवाल ने कहा कि प्रश्न पत्र की तैयारी के लिए एनसीईआरटी की किताबें सबसे अच्छी हैं, एक भी विषय का प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी के सिलेबस के बाहर से प्रश्नपत्र में नहीं आया ।
नियमित अभ्यास: विद्यार्थियों को जीवन से तनाव से बचने के लिए नियमित रूप से वर्कशीट, दैनिक अभ्यास पत्र, प्रश्न, सूत्र आदि पर अभ्यास करना चाहिए । नियमित अभ्यास लिखित रूप में करना चाहिए बजाये इसके की केवल याद किया जाये | नियमित अभ्यास आत्मविश्वास का निर्माण करेगा और परीक्षा और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण लाएगा ।
शांत रहे: अंतिम परीक्षा हमेशा तनाव के साथ आती है । इसलिए परीक्षा से पहले छात्रों को खुद को शांत रखना चाहिए । उन्हें हाइपर और किसी भी चीज़ पर गुस्सा करना चाहिए क्योंकि यह ऊर्जा और एकाग्रता को कम करता है ।
अंतिम दिन कुछ भी नया प्रारंभ न करे: आम तौर पर, छात्र अंतिम दिनों के लिए कठिन विषयों को याद करने के लिए रखते हैं लेकिन यह तनाव लाता है । अंतिम क्षण में, छात्रों को कुछ भी नया याद नहीं रहता इसके विपरीत जो ज्ञान ग्रहण करने की कोशिश को जाती वो अस्थिर रहता है ।
पौष्टिक भोजन करे: वर्तमान में हर विद्यार्थी के खाने की पसंद में जंक / फास्ट फूड आदि है जो वे कहीं से भी, किसी भी मेस, किसी भी विक्रेता, दुकान या सड़क के किनारे से खाते लेते है, जो उन्हें अस्वस्थ और बीमार बनाता है । इसलिए उन्हें अपने भोजन के बारे में बहुत सचेत होना चाहिए । उन्हें स्वच्छ स्थानों से खाना चाहिए और एक संतुलित आहार चार्ट का पालन करना चाहिए जो उनके अध्ययन के लिए उपयुक्त है क्योंकि अस्वस्थ भोजन भी तनाव का एक कारण है । अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अध्ययन के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की एक बड़ी संख्या (प्रत्येक तीन में से एक) अपने स्वाद के लिए नई नई चीजे अपनाती है, उदाहरण के लिए, जमे हुए दही, ठंडे खाद्य पदार्थों और दबाव को कम करने के लिए व्यवहार करती है । महिलाओं के लिए अपने सबसे पसंदीदा खाने की आदतों से खुद को रोकना बहुत आम है क्योंकि वे अधिक फिट होने का प्रयास हमेशा करती रहती हैं ।
नियमित प्रतिक्रिया: यदि विद्यार्थी फैकल्टी, परामर्शदाता और अपने अध्यापकों से प्रतिदिन प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं, तो यह उनके परिणामों के बारे में चिंता और तनाव को कम करता है । उसके बाद परिणाम के विषय को लेकर विद्यार्थियों के लिए कोई नई बात नहीं होगी । विद्यार्थियों को अपने परिणामों पर कभी आश्चर्य नहीं होगा ।
सकारात्मक संगीत सुने: आर.के. वर्मा निदेशक रेजोनेंस, गोविंद माहेश्वरी एलन कोचिंग संस्थान के निदेशक और कई प्रकार के शोधों से यह साबित हो चूका है की कि तनाव से बचने के लिए संगीत एक अच्छा साधन है । विद्यार्थियों को प्रेरक गीतों को सुनना चाहिए जैसे- “रुक जाना नहीं तू कही हार के…..”, “जो भी हो गया फिर आएगा …”, “डर के आगे जीत हैं”। ! ”,“ बार-बार हो बोलो यार है अपनी जीत हो…। ”,“ जिंदगी की ना टूटे लाडी…। ”,“ जिन्दगी हर कदम एक नई जंग है…। ”, जिंदा है तोह…।”, “अये। साला अभी अभी हुआ यकीन, … “,” कंधो से कांधे मिलते है, कदमों से कदम मिलते है ….. “,” धुन्धला जाये जो मंजिले । “…”, “कुछ करिए कुछ करिए …”, “ये होसला कैसे रुके….। “, “कुछ पाने की हो आस-आस…आशाएं आशाएं …”, “ओ मितवा सुन मितवा तुझे क्या डर है रे…”, “इकतारा वोतारा सबतारा…।” आदि | इस प्रकार के गीत ऊर्जा को बढ़ावा देंगे और अध्ययन और सीखने की नई भावना भरेंगे ।
एकाग्रता: विद्यार्थियों को पूरी एकाग्रता के साथ एक समय में एक काम ही करना चाहिए क्योंकि अगर वे कई काम करेंगे और अपने दिमाग को अन्य दिशाओं में मोड़ेंगे, तो उनके प्रयास प्रभावी नहीं होंगे और जो परिणाम वे चाहते हैं वे कभी नहीं मिलेंगे जिससे तनाव में वृद्धि होगी । तनाव अपरिहार्य है, और विफलता दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षक है । प्रत्येक विद्यार्थी को यह समझना चाहिए कि यदि उन्हें असफलता मिलती है, तो वह जीवन का अंत नहीं है, यह भविष्य की सफलता के लिए एक खुले द्वार की तरह है । स्थिति को संभालने के लिए उन्हें अपने तरीके खोजने चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति दूसरों से अलग होता है और जीवन के प्रति उनकी धारणा होती है । इसलिए एक सामान्य उपाय सभी पर काम नहीं कर सकता है ।
खर्चों पर नियंत्रण: विद्यार्थी धन की कमी के कारण भी तनाव में हैं, इसलिए इस स्थिति से बचने के लिए विद्यार्थी को एटीएम से अपनी नकद निकासी की प्रवृत्ति को सीमित करना चाहिए । यहां तक कि उन्हें अपने खर्च को अपने दोस्तों की तुलना में मोबाइल, कपड़े, फास्ट/जंक फूड, व्यक्तिगत संबंधों, युवाओं की बुरी आदतों (धूम्रपान, बंक करना, शराब पीना) आदि पर सीमित करना चाहिए ।
भूतकाल की उपलब्धियों और सफलताओं को याद करे: निराशा की परिस्थिति में विद्यार्थियों को अपने पिछले सफल, सुखदायी अनुभवों और घटनाओं को याद करना चाहिए साथ ही ध्यान देना चाहिए कि उन्होंने अन्य तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना कैसे किया था- जैसे कि ब्रेक अप, परीक्षा परिणाम, घर या भोजन की आदतों को बदलना, दोस्तों के झगड़े आदि । वाशिंगटन, डीसी के स्वास्थ्य विभाग की सलाह है कि साथियों के साथ बातचीत करना एक बुरी घटना के बाद महीनों एक-एक करके निर्देशन की तुलना में अधिक लाभकारी है ।
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सारांश में हम ये कह सकते है की योग, ध्यान, सकारात्मक सोच, तनाव को दूर करने के लिए अपना स्वयं का पढने का तरीका, उचित आराम और पर्याप्त नींद, हॉबी गतिविधियों में संलग्न रहना, अपनी भावनाएं साझा करना, माता-पिता या अभिभावकों के साथ संपर्क में रहना, स्वस्थ भोजन लेना, योग्यता और रुचि के अनुसार लक्ष्य तय करना, एक व्यवस्थित तरीके से संशोधन पर ध्यान देना, अध्ययन के लिए उचित समय तय करना, समय सारणी का पालन करना, सोशल मीडिया से दूर रहना, नियमित परीक्षण और कक्षाओं में भाग लेना, प्रेरणादायक पुस्तकों का अध्ययन करना, परीक्षा के एक दिन पहले शांत और तनावमुक्त रहना, संकाय सदस्यों द्वारा वर्तमान प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया प्राप्त करना, भविष्य के लिए योजना बनाना, सकारात्मक संगीत सुनना, खर्चों को सीमित करना, सहपाठियों के साथ अवकाश के समय का आनंद लेना और प्रतिकूल समय के दौरान सर्वश्रेष्ठ पिछली सफलताओं को याद करना निश्चित रूप से विद्यार्थियों के तनाव को जीवन की हर परिस्थिति में चाहे कोरोना जैसी विकट स्थिति ही क्यों न हो कम कर सकता है ।
लेखक: डॉ. निधि प्रजापति
वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर
अध्यक्ष-सोसाइटी हैस ईव शी इंटरनेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट