कोरोना कालः समाज के ऋण से उऋण होने का यही वक्त है…
यदि आप अपनी जीवन यात्रा में झांक कर देखें तो पाएंगे कि अब तक का सफर बहुत आसान नहीं था। यह किसी राजमार्ग का सरल, सुगम पथ नहीं रहा बल्कि सकड़े, कंकरीले घुमावदार रास्तों से गुजर कर आप यहां तक पहुंचे हैं। कभी-कभी तो रास्ते तक नहीं थे वरन् कंटीली नुकीली झाड़ियों में से पगडंडी भी आपने स्वयं ही बनाई थी। आज कोई कितना भी सफल व साधन संपन्न क्यों न बन चुका हो, लेकिन उसकी राह भी उलझनों से भरी ही रही होगी। क्या आप ईमानदारी से ऐसा मानते हैं कि जिंदगी की मुश्किलों को आपने केवल और केवल अपने बूते पर ही आसान बना लिया? आज के मुकाम को हासिल करने में आपके जीवट, साहस व परिश्रम की बड़ी भूमिका भले ही रही हो लेकिन फिर भी कभी न कभी इस संघर्ष में कोई ऐसा हमदर्द भी आपके साथ रहा होगा जिसकी थपकी व शाबाशी से आपकी टूटते हुए हिम्मत की डोर पुनः मजबूत हुई होगी। उसके इतना कह देने भर से कि “मैं हूं ना” आपके थकते हुए कदम छलांगें लगाने को उतावले हो गए होंगे। ऐसे राजदार व मददगार लोगों के अलावा कभी कोई संस्था, व्यवस्था समाज व सरकार भी अकस्मात, आपकी उम्मीद से परे, आपको मदद करते हुए दिखे होंगे। आपके माता पिता व गुरु का मार्गदर्शन, प्रेरणा व प्रोत्साहन तो हमेशा साथ रहा ही होगा। आप इन सब को भले ही ईश्वर की असीम कृपा मानें या इन लोगों की उदारता, परंतु प्रत्येक परिस्थिति में यह तो निश्चित है कि अपनी नैया के खेवनहार आप अकेले नहीं रहे थे। आज आप अपनी मंजिल के करीब पहुंचने को हैं या पहुंच चुके हैं। आप की गिनती अपने क्षेत्र के सफलतम, अनुकरणीय व्यक्तियों में से होती है। आपके जीवन संघर्ष की व सफलता की कहानियां लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं। पर इस मुकाम पर पहुंचने के बाद भी यदि आप अपने संघर्ष के साथियों को और उनकी मदद, प्रेरणा व प्रोत्साहन को नहीं भूलते हैं, अपने देश और समाज के सहयोग को याद रखते हैं तो यह सोच आपकी सफलता भरी शख्सियत को और भी ऊंचे पायदान पर पहुंचा देती है। आदमी आम आदमी की तो क्या कहें, यदि पृथ्वी पर भगवान भी अवतरित हुए तो उन्हें भी अपनी लीलाओं के लिए किसी ने किसी का सहयोग लेना ही पड़ा। भगवान राम के लिए सीता माता की खोज व लंका विजय में हनुमान जी और वानर सेना का बहुत योगदान रहा। भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाएं मनसुखा व श्रीदामा तथा अन्य गोप मंडली की मदद से संपन्न की। आज के जमाने के बिल गेट्स हों या टिम कुक, धीरूभाई अंबानी हों या अमिताभ बच्चन, सभी ने अपनी संघर्ष यात्रा में किसी ने किसी की मदद ली ही है। पर अपने जमाने के इन सफलतम व्यक्तियों ने उस मदद को खुले दिल से स्वीकारा भी है। और यही नहीं, उसे समाज को लौटाने में भी पहल की है। यह बात उनकी महानता का परचम और भी ऊंचा फहरा देती है। आज विश्व भर में कोरोनावायरस की विस्फोटक स्थिति के रूप में जो संकट मानव मात्र पर गहराया हुआ है, उसे देखते हुए सफलता व संपन्नता की मंजिल पर पहुंच चुके सभी व्यक्तियों का यह दायित्व है कि वे अब अपने समाज व देश को उनके द्वारा दिए गए योगदान का एक बड़ा हिस्सा लौटायें। यही वह समय है जब आप समाज के ऋण से उऋण हो सकते हैं संकटग्रस्त लोगों की सहायता करके। आज अनेक सेवाभावी लोग और संस्थाएं अपने अपने तरीके से इस कार्य में जुटे हुए हैं। कोई सांसों के संकट में आए लोगों को ऑक्सीजन पहुंचा रहा है तो कोई टीकाकरण, दवाइयां व इलाज के लिए मदद का हाथ बढ़ा रहा है। कोई आइसोलेशन में जी रहे परिवारों को खाना- खुराक उपलब्ध करा रहा है तो कोई उनके छोटे-छोटे बच्चों की देखभाल का जिम्मा उठा रहा है। आप भी अपने हिस्से का काम स्वयं तय कीजिए और जुट जाइए उसे पूरा करने में। आपको देखकर अन्य लोगों की भावनाएं भी बलवती होंगी और दीप से दीप जल कर एक जगमगाती प्रकाश श्रंखला तैयार हो जाएगी इस संकट के अंधेरे को खत्म करने के लिए। यकीन मानिए, ऐसा करने से न केवल आपकी धन संपत्ति का सही उपयोग होगा बल्कि आपको जो मानसिक संतुष्टि व खुशी मिलेगी उसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी। अंततः इसमें भी भला आपका ही है। तो इस अवसर को बिल्कुल मत गंवाइये।