Video राज्यसभाः एक सीसीटीवी फुटेज ने खोल दी पूरे विपक्ष की पोल, सांसदों ने दबाया मार्शल का गला

सुरक्षाधिकारियों ने राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष से की बवाली सांसदों की लिखित शिकायत

  • विपक्षी पार्टियों का आरोप: राज्यसभा में सांसदों की पिटाई हुई, सत्ता पक्ष: विपक्ष ने तोड़फोड़ और बदसलूकी की
  • नायडू और बिरला ने पूरे मामले की विस्तृत जांच कराने का लिया फैसला, बवाली सांसदों के खिलाफ होगी सख्त कार्यवाही 

TISMedia@NewDelhi राज्यसभा में बुधवार को जमकर बवाल काटना और फिर सांसदों के साथ मारपीट का आरोप लगाने वाले पूरे विपक्ष की एक सीसीटीवी फुटेज ने पोल खोलकर रख दी है। राज्यसभा में लगे इस सीसीटीवी ने वो सबकुछ कैद कर लिया, जिसे मीडिया के कैमरों से दूर रखा गया। अब इस सीसीटीवी फुटेज के बाहर आते ही पूरे विपक्ष में हडकंप मच गया है। वहीं संसद के सुरक्षाकर्मियों ने राज्य सभा के सभापति वैंकया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से सांसदों के दुर्व्यवहार की शिकायत की है। जिसके बाद संसद में बवाल काटने वाले सांसदों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।

राज्यसभा में बुधवार को सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 को सदन में हंगामे के बीच पारित किया गया, जबकि विपक्ष विधेयक को एक प्रवर समिति को भेजने की मांग कर रहा था। जब सरकार ने हंगामे के बीच बिल पर चर्चा के लिए दबाव डाला, तो सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने रिपोर्टर की मेज पर चढ़ने की कोशिश की तो सदन को तुरंत स्थगित कर दिया गया। जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया था। जिसका सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। इस फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि कुछ सांसद मार्शलों का रास्ता रोक रहे हैं। इतना ही नहीं सांसद मार्शलों के साथ धक्का-मुक्की तक करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर 
मानसून सत्र खत्म होने के बाद अब संसद में हुए हंगामे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि राज्यसभा में सांसदों की पिटाई हुई तो सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्ष ने तोड़फोड़ और बदसलूकी की। विपक्ष ने महिला सांसदों से धक्कामुक्की का आरोप लगाया है तो सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्षी सांसदों ने मार्शलों से हाथापाई की की। विपक्ष ने आरोप लगाया कि वो संसद में सुरक्षित नहीं थे जिसे सत्ता पक्ष ने झूठ करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने संसद नहीं चलने दी, इस पर सरकार का कहना है कि विपक्ष ने संसद को सड़क बना दिया। विपक्ष ने सरकार पर आवाज दबाने का आरोप लगाया है तो सरकार ने विपक्ष पर चर्चा नहीं होने देने का आरोप लगाया है।

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सांसदों पर गाज गिरना तय 
इसी बीच संसद में विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन तक किया। लेकिन, मामला उस वक्त गंभीर हो गया जब सारे घटनाक्रम को लेकर गुरुवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की बैठक हुई। इस बैठक में दोनों ने मानसून सत्र के दौरान सदन में हुई घटनाओं पर गहनता से विचार विमर्श किया। सूत्रों की मानें तो दोनों सदनों के सभापतियों के बीच संसद की गरिमा को नुकसान पहुंचाने वाले सांसदों के खिलाफ सख्त कदम उठाने पर एक राय बन चुकी है। सूत्रों के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस बात से खासे आहत थे कि दो दिन पहले लोकसभा स्थगित करने के बाद सत्ता और विपक्ष के सभी नेताओं ने उनसे मुलाकात कर सदन की भावी कार्यवाहियों को बिना किसी व्यवधान के संचालित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अगले ही रोज राज्यसभा में विपक्ष ने इस कदर हंगामा किया कि बेकाबू हुए सांसदों को रोकने के लिए मार्शल तक बुलाने पड़े। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद दोनों ही सदनों के सभापतियों के बीच पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जांच कराने की सहमति बन चुकी है और जल्द ही इसका असर भी दिखाई देने लगेगा।

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सुरक्षा कर्मियों ने की शिकायत, कार्यवाही की मांग  
राज्यसभा में हंगामे के बाद विपक्ष ने मार्शलों पर हाथापाई करने के आरोप लगाया। जिसके बाद सदन में तैनात सुरक्षा कर्मियों ने भी बवाल काटने वाले सांसदों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सदन में सुरक्षा सहायक-ग्रेड 2 के पद पर तैनात महिला सुरक्षाकर्मी अक्षिता भट्ट ने राज्यसभा सचिवालय में सांसदों के खिलाफ शिकायत दी है। अक्षिता ने संसद के सुरक्षा निदेशक को दी अपनी इस लिखित शिकायत में कहा है कि महिला सांसदों ने बांह पकड़कर उसे घसीटा। यह दोनों महिला सांसद अपने पुरुष सांसद साथियों की मदद करना चाहती थीं ताकि वो सुरक्षा घेरे को तोड़ कर आसन की ओर जा सकें। प्रदर्शन में शामिल कई पुरुष सांसद सुरक्षा घेरा तोड़ने के लिए उनकी ओर बढ़े। जब उन्हें रोकने की कोशिश की तब सांसद छाया वर्मा और फुलो देवी नेताम आगे आईं और उन्होंने अपने पुरुष सहयोगियों के लिए रास्ता बनाया ताकि वो सुरक्षा घेरे को तोड़ सकें और टेबल तक पहुंच सकें।

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सांसद जी! ये कैसा बर्ताव है 
अकेली अक्षिता भट्ट ही नहीं हंगामे के दौरान सदन में मौजूद सुरक्षा सहायक राकेश नेगी ने भी संसद के सुरक्षा निदेशक को लिखित शिकायत दी है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि “बुधवार को मेरी ड्यूटी राज्यसभा के अंदर बतौर मार्शल लगी हुई थी। सांसद एलमाराम करीम और अनिल देसाई ने मार्शलों के द्वारा बनाए गए सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश की। हंगामे के दौरान एलमारन करीम ने मेरी गर्दन पकड़ी और मुझे घसीटने लगे ताकि वो मुझे सुरक्षा घेरा बनाने से रोक सकें। इस दौरान मेरी गर्दन चौक हो गई और मुझे घुटन होने लगी। मैने जैसे तैसे अपनी गर्दन छुड़ाई तब जाकर लगा कि छोड़ी देर और होती तो आज जान ही चली जाती।”

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