एमबीएस में महाघोटाला : गरीबों का इंजेक्शन बाजार में बेच डकारे 27 लाख, 6 साल बाद चढ़े एसीबी के हत्थे
– कोर्ट ने तत्कालीन सेंट्रल स्टोर प्रभारी व बीपीएल दवा वितरण प्रभारी को भेजा जेल
TISMedia@Kota. शहर में वर्ष 2014 में एमबीएस अस्पताल में एल्बुरिल इंजेक्शन बेचान में 27 लाख का घोटाला हुआ था। जिसमें 6 साल बाद आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। लंबी जांच के बाद एसीबी ने तत्कालीन सेंट्रल स्टोर प्रभारी (नर्स ग्रेड प्रथम) व तत्कालीन बीपीएल दवा वितरण प्रभारी नर्स ग्रेड प्रथम हाल सेवानिवृत को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करके एसीबी कोर्ट में पेश किया। जहां से कोर्ट ने दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया।
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ये था मामला
औषधि नियंत्रण विभाग ने जुलाई 2014 में विज्ञान नगर स्थित दुर्गा मेडिकोज पर सरकारी सप्लाई का एल्बुरिल इंजेक्शन पकड़ा था। इस पर नोट फोर सेल यानी बिक्री के लिए नहीं, लिखा था। मामले में सीएमएचओ ने विज्ञान नगर थाने में मामला दर्ज कराया था। इसके बाद एसीबी टीम ने अस्पतालों के रिकॉर्ड खंगाले। जांच में इंजेक्शन गबन होने का मामला सामने आया था।
प्रोटीन मात्रा बढ़ाने में काम आता है यह इंजेक्शन
इस इंजेक्शन की बाजार कीमत लगभग 3500 रुपए है। इस इंजेक्शन का उपयोग लीवर, किडनी एवं अन्य गंभीर बीमारियों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है।
27 लाख का गबन
एसीबी व औषधि नियंत्रण की संयुक्त टीम ने 4 अगस्त 2014 को जिला औषधि भंडार पहुंचकर रिकॉर्ड खंगाला। तत्कालीन इंचार्ज महेंद्र त्रिपाठी से इंजेक्शन की आपूर्ति व सप्लाई का ब्यौरा मांगा। जांच सत्यापन में पाया कि सेंट्रल स्टोर प्रभारी विनोद गुप्ता ने पद का दुरुपयोग कर पैसों के लालच में 1289 एल्बुरिल इंजेक्शन का गबन किया और इन्हें बाजार में बेच दिया। इनमें 1060 एल्बुरिल इंजेक्शन की कालाबाजारी में तत्कालीन बीपीएल दवा वितरण प्रभारी बालचन्द पंवार भी शामिल है। इन एल्बुरिल इंजेक्शन की बाजार में कीमत प्रति इंजेक्शन 3500 रुपए है। आरोपियों ने राज्य सरकार को लगभग 27 लाख का फटका लगाया।
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