कोटा कलादीर्घाः संस्कृति पर हुआ कुठाराघात तो कैनवास भी रो पड़ा… देखिए अनूठा विरोध
TISMedia@Kota. कोटा की कला, संस्कृति और सभ्यता पर हुआ कुठाराघात अब दर्द और वेदना में तब्दील होने लगा है। कलाकारों की गुहार जब बेअसर होती दिखी तो कैनवास तक रो पड़ा। रंग आंसुओं और वेदना में तब्दील हो गए। हालांकि, इतने सब के बाद भी कोटा नगर विकास न्यास के अधिकारी नहीं पसीजे और सोमवार को अनाधिकृत तौर पर कला दीर्घा एवं म्यूजियम के सामने निजी बसों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया।
रंगकर्मी एकता संघ की ओर से विभिन्न सामाजिक और संगीत,कला,नृत्य,नाट्य प्रेमी संस्थाओं ने एक साथ कलादिर्घा के सामने प्रस्तावित प्राइवेट बस स्टैंड के विरोध में प्रदर्शन किया। इस मौके पर युवा कलाकार सिद्धार्थ राहुरे ने कलात्मक तरीके से बस स्टैंड खुलने पर भविष्य में कलादिर्घा की होने वाली बदहाली का जीवंत चित्र प्रस्तुत किया।
कलाकार की कल्पना अभी कैनवास पर उतरी ही थी कि कोटा के फनकारों को नाउम्मीद करने वाले परिणाम भी सामने आने लग गए। कलादीर्घा के सामने बस स्टेंड की घोषणा होने के बाद से ही नयापुरा चौराहे पर खड़ी होने वाली बसें यहां खड़ी होने लगी। हालांकि, जिला प्रशासन से लेकर यूआईटी और विभाग के अधिकारी कलाकारों को बस स्टेंड की योजना वापस लेने का झूठा दिलासा भी देते रहे। अध्यक्ष बिजेंद्र कौशिक ने बताया कि यदि नगर विकास न्यास ने प्रस्तावित बस स्टैंड का निर्णय वापस नहीं लिया तो कोटा के सभी कलाकार बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।
कला को मिले जगह
वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. आनंद बनवारी ने कहा कि आर्ट गैलरी कलाकारों के लिए एकमात्र जगह बची थी। प्राइवेट बस स्टैंड खुलने से यहां का माहोल खराब हो जाएगा। सोसाइटी हैस ईव शी की अध्यक्ष डॉ. निधि प्रजापति, रंगकर्मी मनीष सैन, पैराफिन ग्रुप के राजेश विलायत ने सरकार और विभागीय अधिकारियों से अनुरोध किया कि प्रस्तावित बस स्टैंड को शहर के किसी और हिस्से में हस्तांतरित करें। संदीप राय, डॉ. सलीम राज, अब्दुल सलीम, डॉ. प्रभात, स्पीक मैके के शैलेश महाराजा, महेंद्र शर्मा, हितेश सोलंकी, शरीफ नादान, अशोक नाग्लोत, भूपेंद्र शर्मा, मुकुट सोनी, बिजेंद्र कौशिक, पियूष पारीक आदि ने भी कला दीर्घा के सामने बस स्टेंड के प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की।