बस मालिकों ने किया आरटीओ कार्यालय पर प्रदर्शन, टैक्स माफ करने और किराया बढ़ाने की मांग

आरटीओ को सौंपी बसों की चाभियां, मांगें पूरी न होने पर 26 जुलाई से हड़ताल पर जाने की दी चेतावनी

  • निजी बस मालिकों पर टूटा कोरोना का कहर, कर्जा चुकाना तो दूर तेल का खर्चा तक नहीं निकाल पा रही बसें 
  • बस मालिक संघ ने सरकार को दी चेतावनी, मांगें न मानी तो प्रदेश भर में कर देंगे सामूहिक हड़ताल 

TISMedia@Kota कोरोना कहर के बाद तेल की बढ़ती कीमतों और टैक्स की मार से जूझ रहे राजस्थान के निजी बस मालिकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बस मालिकों ने कोरोना काल का टैक्स माफ करने और निजी बसों का किराया बढ़ाने की मांग को लेकर कोटा के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO Kota) कार्यालय पर गुरुवार को प्रदर्शन किया। बस मालिकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि 26 जुलाई तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह पूरे प्रदेश में सामूहिक हड़ताल कर देंगे।

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कोरोना का कहर बढ़ते ही सरकार ने निजी बसों के संचालन पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। डेढ़ साल में करीब डेढ़ महीने तक ही निजी बसें सड़क पर दिखाई पड़ी। केंद्र से लेकर राज्य सरकार ने कोरोना से प्रभावित उद्योगों और कारोबारियों के लिए सहायता की घोषणा की, लेकिन इन घोषणाओं में निजी बसों मालिकों एवं संचालकों को राहत देना तो दूर उनका जिक्र तक नहीं किया गया।

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तेल की कीमतों ने तोड़ी कमर 
निजी बस मालिकों का आरोप है कि कोरोना काल में बसों के खड़े रहने के बावजूद परिवहन विभाग ने उन्हें करों में कोई रियायत नहीं दी। ऊपर से आए दिन बढ़ रही तेल की कीमतों के कारण परिवहन मंहगा हो गया, लेकिन सरकार ने किराए में सालों से कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है। तिहरी मार के चलते निजी बस मालिकों की कमर ही टूट गई है।

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प्रताड़ित करने का लगाया आरोप 
आरटीओ दफ्तर पर प्रदर्शन कर रहे निजी बस मालिकों ने सरकार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। धरने में शामिल बस मालिकों को संबोधित करते हुए निजी बस मालिक संघ के प्रदेश महासचिव सत्यनारायण साहू ने कहा कि कोरोना काल में बस मालिकों की आर्थिक हालात बेहद खराब हो चुकी है। टैक्स चुकाना तो दूर लोन की किश्त चुकाने तक के लिए पैसे नहीं है। ऐसे में सरकार की ओर से कोई रियायत मिलने के बजाय ऑनलाइन चालान की मार मारी जा रही है। सरकार निजी बस मालिकों को 80-80 हजार रुपए के चालान बनाकर उनके घरों पर भेज रही है। समय से चालान न भरने पर परिवहन विभाग के अफसर बसों को सीज कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार से लेकर परिवहन विभाग तक उन्हें प्रताड़ित कर रहा है।

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मांगें न मानी तो हड़ताल
प्रदर्शनकारी निजी बस मालिकों ने ऐसे हालात में बसों का संचालन करने से साफ मना करते हुए बसों की चाभियां क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कुसुम राठौड़ को सौंप दी। बस मालिकों ने उनसे कहा कि निजी बसों का किराया तब तय किया गया था जब डीजल 42 रुपए लीटर था। इसके बाद दोबारा किराया नहीं बढ़ाया गया। ऐसे में जब डीजल 100 रुपए लीटर हो गया है तो परिवहन विभाग को निजी बसों का किराया भी बढ़ाना चाहिए। निजी बस मालिकों ने टैक्स माफ करने, किराया बढ़ाने, बसे सरेंडर करने और आर्थिक पैकेज देने की मांग की। निजी बस मालिकों ने कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगें न मानी तो 26 जुलाई से पूरे प्रदेश में हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे।

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