भाग केईडीएल भागः आंदोलन जनता के नाम पर और मांगें “खास” लोगों के फायदे की
केईडीएल के स्क्रैप पर जमी कांग्रेसियों की नजर, पूछा खराब ट्रांसफार्मर और बिजली के तारों का हिसाब
- महावीर नगर के एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को बनाया निशाना, छत पर लगे ट्रांसफार्म को हटाने के लिए डाला दवाब
TISMedia@Kota कोटा में बिजली सप्लाई कर रही जेवीवीएनएल की फ्रेंचाइजी कंपनी कोटा इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (KEDL) के खिलाफ बीते एक पखवाड़े से माहौल बना रहे कांग्रेसियों की मंगलवार को पोल खुल गई। जनता के नाम पर कोटा से केईडीएल को भगाने का स्वांग करने वाले कांग्रेसियों ने अपने ज्ञापन में आम लोगों की मुश्किलों को शामिल ही नहीं किया। बल्कि, उनकी नजर जेवीवीएनएल के स्क्रैप, मीटर लगाने के ठेके और शॉपिंग कॉम्पलेक्स की छत पर लगे ट्रांसफॉर्मर पर ही टिक कर रह गई। बाकी कसर झमाझम बारिश ने पूरी कर दी। जिसके चलते गिनती के कांग्रेसी ही इस “महा आंदोलन” में शामिल हुए।
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कोटा शहर जिला कांग्रेस करीब एक पखवाड़े से केईडीएल के खिलाफ जमकर माहौल बना रही थी। कोटा के लोगों को केईडीएल से मुक्ति दिलाने के लिए “भाग केईडीएल भाग” नाम से महा आंदोलन चलाने का ऐलान कर दिया। बड़ी-बड़ी विज्ञप्तियां छपवाने से लेकर सोशल मीडिया तक पर प्रचार कर केईडीएल के अनाप-शनाप बिलों और बिजली चोरी रोकने के लिए मनमानी वीसीआर काटने से मुक्ति दिलाने का दावा किया गया। लेकिन, जब कांग्रेसियों ने “आम सूचनार्थ पत्र” यानि आंदोलन का मांग पत्र जारी किया तो उसमें इन मांगों को ही निकाल दिया गया।
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सीएम से लेकर ऊर्जा मंत्री ने निकाली हवा
कोटा के कांग्रेसियों ने जैसे ही आंदोलन की घोषणा की, पहला पलीता खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लगा दिया। सीएम ने किसान बिजली योजना की वर्चुअल लॉचिंग में बिजली चोरी रोकने में नाकाम रहे विद्युत वितरण निगमों के एमडी और सीएमडी की फटकार लगा दी। इतना ही नहीं सीएम गहलोत ने उन्हें छीजत रोकने के लिए बिजली चोरों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करने के आदेश दे डाले। इसके बाद कांग्रेसियों को दूसरा झटका ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने दिया। कोटा से केईडीएल को भगाने का दावा करने वाले कांग्रेसियों को तब झटका लगा जब ऊर्जा मंत्री ने कोटा से केईडीएल को हटाने की बजाय, उल्टा राजस्थान के छह शहरों की बिजली सप्लाई निजी कंपनियों को सौंपने की घोषणा कर दी। ऐसे में भाजपा के सिर निजीकरण का ठीकरा फोड़ने वाले कांग्रेसियों को जवाब तक नहीं सूझ रहा।
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घोषणा पत्र से गायब हुए जनता के मुद्दे
कोटा से केईडीएल को भगाने के लिए “भाग केईडीएल भाग” आंदोलन की घोषणा करने वाले कोटा जिला कांग्रेस के महासचिव बिपिन बरथूनिया और साजिद खान लाला भाई ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट अपलोड कर अपने आंदोलन के उद्देश्य गिनाए हैं।कोटा जिला कांग्रेस के लैटर हैड पर जारी इस मांग पत्र में जनता से जुड़ी किसी भी मांग को शामिल तक नहीं किया है। केईडीएल को लुटेरी कंपनी और भाजपा को इसे ठेका देने के लिए जिम्मेदार बताते हुए दोनों को कोसने में जरूर कोई कमी नहीं छोड़ी गई।
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स्क्रैप पर फोकस, कॉम्प्लेक्स निशाने पर
कोटा शहर जिला कांग्रेस कमेटी के लैटर हैड पर जारी इस मांग पत्र में छह मांगे शामिल हैं। इनमें से तीन मांगों का केईडीएल से कोई संबंध ही नहीं है। जबकि बाकी की बची तीन मांगों में से एक में जेवीवीएनएल के खराब ट्रांसफार्मर और बिजली के तारों के स्क्रैप की जानकारी मांगी गई है। दूसरी में महावीर नगर इलाके के एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की छत पर लगे ट्रांसफार्मर को हटाने की मांग की गई है। दोनों ही मांगों से किसे फायदा होगा, यह जनता बखूबी जानती है। कांग्रेसियों ने केईडीएल के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए एक समिति बनाने की भी मांग की है। जिसमें एक जनप्रतिनिधि एवं दो जनता के लोगों को शामिल करने को कहा गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस तरह की जांच समितियां सरकार ने पहले से ही बनाई हुई हैं, अब ऐसे में नई समिति बनाकर कांग्रेस किन तीन लोगों को उसका हिस्सा बनाना चाहती है?
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कांग्रेसियों ने घेरी कांग्रेस
कोटा जिला कांग्रेस के ज्ञापन में बाकी बची चार मांगों में से पहली बिजली बिलों से फ्यूल चार्ज हटाने की है। गौरतलब है कि सरकार के निर्देश पर बिजली बिलों में फ्यूल चार्ज जोड़ा जाता है। फ्यूल चार्ज कितना होगा यह केईडीएल नहीं राजस्थान विद्युत नियामक आयोग तय करता है। दूसरी मांग सरकार और केईडीएल के बीच हुए करार को सार्वजनिक करने की है। इसकी जिम्मेदारी भी प्रदेश सरकार की है। क्योंकि इस तरह के सभी करार विभागीय पोर्टल पर सार्वजनिक किए जाते हैं। ऐसे में यदि ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला या उनके विभाग ने केईडीएल के करार को सार्वजनिक नहीं किए तो वही सवालों के घेरे में आते हैं। तीसरी मांग स्मार्ट और नॉन स्मार्ट मीटर लगाने के ठेके की है। कांग्रेसियों ने केईडीएल की लैब से जांच किए हुए मीटर न लगाने की मांग की है। जबकि ऊर्जा विभाग के मुताबिक केईडीएल किसी भी मीटर की जांच नहीं करती। मीटर लगाने से पहले उसकी जांच का एनएबीएल अधिस्वीकृत प्रयोगशाला में की जाती है। जिसे प्रदेश सरकार और जेवीवीएनएल ही तय करते हैं।