बड़ा सवाल: आखिर कहां गई आजाद हिंद फौज की बेहिसाब संपत्ति?

  • सरकार इस संपत्ति का हिसाब देने को तैयार नहीं, सैनिकों की गिरफ्तारी के बाद की थी जब्त
  • आजाद हिंद फौज के सैनिकों को भारत सरकार अब भी मानती है युद्ध अपराधी 

TISMedia@नेशनल डेस्क.  देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले आजाद हिंद फौज के सैनिकों को भारत सरकार अब भी स्वतंत्रता सेनानी नहीं मानती। इससे बड़ी विडंम्बना और क्या होगी कि देश की आजादी के लिए यह लोग लड़े उसी देश की आजाद सरकार इन्हें युद्ध अपराधी घोषित कर दिया। यह सनसनीखेज खुलासा सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री राजश्री चौधरी ने किया।

इतिहास की सबसे बड़ी गलती

राजश्री ने The Inside Stories से विशेष बातचीत करते हुए बताया कि भारत सरकार ने आज भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी आजाद हिन्द फौज को युद्ध अपराधियों की श्रेणी में शामिल कर रखा है। हद तो तब हो गई जब 1971 में तत्कालीन इंन्दिरा गांधी ने ब्रिटिश सरकार को पत्र लिख कर आश्वासन दे दिया था कि जितने भी युद्ध अपराधी होंगे उन्हें ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया जाएगा, लेकिन जब जनता को इस फैसले की भनक लगी तो पुरजोर विरोध शुरू हो गया। जिसके बाद इंदिरा को अपने हाथ पीछे खींचने पड़े, लेकिन दस्तावेजों में इस गलती को अब तक सुधारा नहीं गया है।

किसी सरकार ने नहीं ली सुध

राजश्री चौधरी ने कहा कि इंदिरा के जनविरोधी फैसले का जनता ने तो विरोध किया, लेकिन  राजनीतिक दलों ने इस पर खामोशी ओढ़ ली है। इसी का नतीजा है कि आज भी आजाद हिंद फौज के सेनानियों को स्वतंत्रता सेनानी मानने की बजाय युद्ध अपराधी माना जाता है। उन्होंने कहा कि जब तक आईएनए के सेनिकों को युद्ध अपराधियों की श्रेणी से बाहर नहीं निकाला जाएगा और राष्ट्रभक्त घोषित नहीं किया जाएगा। वह इसके लिए संघर्ष करती रहेंगी।

सरकार दे संपत्ति का हिसाब

राजश्री ने भारत सरकार पर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि आजादी हिंद फौज ने देश को आजाद कराने के लिए संचालित होने वाली सैन्य गतिविधियों के लिए दुनिया भर से चंदा इकट्ठा किया था। लोगों ने दिल खोलकर करोड़ों रुपए और जेवरात दिए, लेकिन आजाद हिंद फौज की हार और सभी प्रमुख सैन्य अधिकारियों के गिरफ्तार होने बाद सरकार ने इस पैसे का क्या किया किसी को पता नहीं। उन्होंने बताया कि कई बार लिखा पढ़ी करने के बावजूद सरकार चंदे में मिली इस संपत्ति का हिसाब देने को तैयार नहीं है। जिससे आशंका होती है कि कहीं सत्ता में बैठे लोगों ने इस पैसे को डकार तो नहीं लिया।

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