VMOU: 30 लाख छात्रों का पर्सनल डाटा बेचने की साजिश, फोन, आधार और बैंक डिटेल भी शामिल

एलुमनाई एसोसिएशन के नाम पर हुआ खेल, कुलपति ने दिए थे छात्रों का डाटा निजी हाथों में सौंपने के निर्देश

  • जयपुर तक मचा हड़कंप, राजभवन ने छात्रों का डाटा निजी हाथों में सौंपने पर लगाई रोक
  • हाड़ौती संयुक्त छात्र मोर्चा के संयोजक नागेंद्र सिंह राणावत ने की राज्यपाल से शिकायत  

TISMedia@Kota वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (VMOU) के 30 लाख से ज्यादा छात्रों की निजी जानकारियां (डाटा) लीक हो सकती हैं। इस डाटा में छात्रों के नाम और पते ही नहीं, उनके फोन नंबर, आधार कार्ड और बैंक खातों के साथ ही पढ़ाई से जुड़ी तमाम अति संवेदनशील जानकारियां शामिल हैं। वीएमओयू के छात्रों का डाटा लीक होने की भनक लगते ही राजभवन तक हड़कंप मच गया। राजभवन की फटकार के बाद रजिस्ट्रार ने छात्रों से जुड़ी कोई भी जानकारी अगले आदेश तक निजी हाथों में सौंपने पर रोक लगा दी है। हालांकि अभी तक कितने छात्रों का डाटा निजी हाथों में सौंपा गया है, इस बाबत विवि के अधिकारी स्पष्ट जानकारी देने से बच रहे हैं।

कौशल विकास के नाम पर 8 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले के आरोपी वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (VMOU) के कुलपति प्रो. रतन लाल गोदारा और ईएमपीसी (EDUCATIONAL MEDIA PRODUCTION CENTRE) निदेशक प्रो. बी अरुण कुमार के एक और कारनामे से पूरे राजस्थान में हड़कंप मच गया है। सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय के दोनों आला अधिकारियों ने प्लेसमेंट एजेंसी, स्किल डवलपमेंट सेंटर और निजी शिक्षण संस्थान के संचालकों और अनएथिकल डाटा माइनिंग करने वालों के साथ मिलकर विश्वविद्यालय के करीब 30 लाख विद्यार्थियों का डेटा बेचने की साजिश रच डाली। पूरी साजिश को इतनी सफाई से अंजाम दिया गया कि विश्वविद्यालय में किसी को भनक तक नहीं लगी। लेकिन, जब डाटा वैरिफिकेशन का काम शुरू हुआ तो पूरे मामले की कलई खुल गई।

ऐसे रची गई साजिश 
ईएमपीसी के निदेशक एवं परीक्षा नियंत्रक प्रो. बी अरुण कुमार ने 8 जून 2022 को एक कार्यालय आदेश निकाला। जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक पढ़ाई पूरी करने वाले सभी विद्यार्थियों का संपूर्ण डाटा (जिसमें उनके नाम, पते और फोन नंबर ही नहीं बैंक एकाउंट, पुराने विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों की जानकारी, आधार कार्ड आदि की जानकारी भी शामिल होती है) एलुमनाई एसोसिएशन को सौंपने के आदेश दिए थे। इस कार्यालय आदेश में उन्होंने आगे भी छात्रों का डाटा एलुमनाई एसोसिएशन को देने के निर्देश दिए हैं। मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए पहले तो विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया, लेकिन प्रो. बी अरुण कुमार ने 14 जून को फिर से कार्यालय आदेश निकाल संबंधित अधिकारियों को जल्द से जल्द डाटा सौंपने के मौखिक निर्देश दिए। जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया।

गोदारा ने दिए थे निर्देश 
वीएमओयू की स्थापना साल 1987 में हुई थी। जिसके बाद बीते 35 साल में करीब 30 लाख विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। राजस्थान ही नहीं देश भर में फैले छात्रों का डाटा निजी हाथों में सौंपने की वजह स्पष्ट न होने पर जब विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने सवाल उठाने शुरू किए तो प्रो. बी. अरुण कुमार ने एक और कार्यालय आदेश निकाल कर उसमें कुलपति प्रो. रतन लाल गोदारा का हवाला देते हुए लिखा कि यह सारा काम उनकी स्वीकृति से किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारियों ने डाटा तैयार करना भी शुरू कर दिया, लेकिन एलुमनाई एसोसिएशन के नाम पर डाटा ले रहे अरुण त्यागी नाम के शख्स ने इसकी वैधता पर सवाल खड़ा करते हुए कुछ छात्रों को रैंडमली फोन कर डाटा वैरिफाई करने का दवाब डाला। विवि के कर्मचारियों ने जब उन्हें फोन किया तो छात्रों को गड़बड़ी की आशंका हुई और कुछ ने जब विवि आकर जानकारी जुटाई तो पूरे खेल का पर्दाफाश हो गया।

राजभवन ने लगाई फटकार 
वीएमओयू के लाखों विद्यार्थियों की निजी जानकारी (डाटा) लीक होने की भनक लगते ही हाड़ौती संयुक्त छात्र मोर्चा के संयोजक नागेंद्र सिंह राणावत ने कुलाधिपति कलराज मिश्रा को शिकायत मेल कर दी। राजभवन भेजी शिकायत में राणावत ने लिखा है कि कुलपति प्रो. रतन लाल गोदारा लगातार का सिर्फ 65 दिन का कार्यकाल बाकी बचा है, लेकिन वह नित नए घोटालों को अंजाम देने में लगे हैं। सीखो और कमाओ योजना में 8 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप में राजभवन, मुख्यमंत्री और एसीबी जांच कर रहे हैं। इसके बावजूद अब वह खुले बाजार में डाटा बेचने और डेटा माइनिंग करने वाले लोगों के साथ मिलकर वीएमओयू के लाखों छात्रों की अति संवेदनशील गोपनीय जानकारियां बेचने की कोशिश कर रहे हैं। किसी भी विद्यार्थी के बैंक खाते, आधारकार्ड और फोननंबर जैसी जानकारियां साइबर अपराधियों के हाथों में लग गई तो उन छात्रों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा। इसलिए स्टूडेंट्स का डाटा निजी हाथों में दिए जाने पर रोक लगाई जाए। इसके साथ ही बाहरी व्यक्ति अरुण त्यागी को यह डाटा क्यों दिया जा रहा है इसकी उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए। शिकायत मिलने के बाद राजभवन ने वीएमओयू के अफसरों की कड़ी फटकार लगाते हुए छात्रों का डाटा किसी को भी न दिए जाने के सख्त निर्देश दिए हैं। इसके बाद रजिस्ट्रार महेश मीणा ने 15 जून 2022 को आदेश जारी कर वीएमओयू के विद्यार्थियों का डाटा किसी भी व्यक्ति या संस्था को दिए जाने पर रोक लगा दी।

छात्र खुद भरते हैं एलुमनाई फार्म 
नागेंद्र राणावत ने कुलाधिपति को जानकारी दी कि किसी भी छात्र का डाटा एलुमनाई एसोसिएशन से जुड़ने के नाम पर किसी भी निजी व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता। विवि के पोर्टल पर https://online.vmou.ac.in/Alumni.aspx लिंक दिया गया है। वीएमओयू के जिन छात्रों को एलुमनाई से जुड़ना होता है वह इस लिंक के जरिए अपना फार्म भर देते हैं। इस फार्म में सिर्फ जन्म तिथि और फोन नंबर मांगा जाता है न कि कोई निजी जानकारी। इतना ही नहीं स्वेच्छा से पंजीकरण कराने वाले छात्र ही यूनिवर्सिटी की एलुमनाई का हिस्सा हो सकते हैं। ऐसे में 30 लाख से ज्यादा छात्रों का डाटा बेचने की साजिश जान पड़ती है। इसलिए पूरे मामले की रिपोर्ट दर्ज करा उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।

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