बूंदी: 13 साल बाद बूंदी रियासत को मिला नया राजा, वंशवर्धन सिंह का राजसी ठाठ से हुआ राजतिलक
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अलवर महाराजा जितेंद्र सिंह ने धारण करवाई पाग
- हाड़ा वंश की सबसे पुरानी रियासत है बूंदी, देशभर के कई पूर्व राजपरिवार रहे मौजूद viagra til kvinder uden recept קישור בתוך הבלוג beit-mirkahat.com
TISMedia@Bundi हाड़ा वंश की सबसे पुरानी रियासत बूंदी के 26वें महाराज के तौर पर वंशवर्धन सिंह ने शनिवार को देशभर के कई प्रतिष्ठित राजपरिवारों की मौजूदगी में पाग धारण की। उन्हें बूंदी रियासत के भाणेज और अलवर महाराजा पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह ने पाग धारण करवाई। विक्रमी संवत नव संवत्सर के पावन अवसर पर राजसी परम्पराओं और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच वंशवर्धन सिंह का राजतिलक किया गया। इसके साथ ही 12 वर्ष से रिक्त बूंदी पूर्व राज परिवार के मुखिया तौर पर अब वंशवर्धन सिंह पहचाने जाएंगे। सुबह माताजी का चौकी मोती महल में स्नान—अभिषेक के बाद वंशवर्धन सिंह ने आशापुरा माता मंदिर, रंगनाथजी मंदिर और मोती महल में सतियों की पूजा अर्चना की।
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ढोल नगाड़ों की धुन के बीच वंशवर्धनसिंह मोती महल गार्डन में आए। इसके बाद रंगनाथजी मंदिर से स्वर्गीय महाराव राजा की पाग लाई गई। राजपुरोहित रमेश शर्मा, राजव्यास साक्षी गोपाल और राज आचार्य दयानंद दाधीच द्वारा करवाई जा रही पारम्परिक क्रियाविधि और मंत्रोच्चार के बीच भंवर जितेन्द्र सिंह ने वंशवर्धन सिंह को पाग धारण करवाई। इसके बाद राजपुरोहित रमेश शर्मा ने राजतिलक किया। इसके बाद मौजूद राजपरिवारों की ओर से दस्तूर पेश किया गया। अलवर महाराजा भंवर जितेन्द्रसिंह ने वंशवर्धन सिंह को दस्तूर झिलाया। इसके बाद वंशवर्धन सिंह के ससुराल ठिकाना धनानी के ठाकुर दीपसिंह चम्पावत की ओर से दस्तूर पेश किया। फिर कोटा राजपरिवार की ओर से भेजे गए दस्तूर को भेंट किया गया। इसके बाद वंशवर्धन सिंह के परिवार की ओर से दस्तूर दिया गया। इसके बाद कोटड़ियात और ठिकानेदारों की ओर से दस्तूर, नजर निछरावल पेश की गई। बाद में अलग—अलग समाज के लोगों ने भी नए महाराव राजा वंशवर्धनसिंह को निछरावल पेश की।
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रजवाड़ों और ठिकानेदारों ने की शिरकत
इस आयोजन में बीकानेर के महाराजा रविराज सिंह, पूर्व राज्यपाल एवं बदनौर के महाराज वीपी सिंह, सिरोही के महाराजा पद्मश्री रघुवीर सिंह, अलवर के महाराज कुमार मानवेन्द्र प्रताप सिंह, कापरेन के महाराज बलभद्रसिंह, खिल्चिपुर रियासत के राजा प्रियवृत्त सिंह, राघौगढ़ मध्यप्रदेश के महाराज कुमार जयवर्धन सिंह, कच्छ के युवराज प्रताप सिंह, भीण्डर के रणधीर सिंह समेत बड़ी संख्या में रजवाड़ों, ठिकानेदारों ने आयोजन में शिरकत की। इस मौके पर राजस्थान सरकार के युवा मामलों और खेल के मंत्री अशोक चांदना, बूंदी के विधायक अशोक डोगरा, सैनिक कल्याण बोर्ड के चेयरमैन मानवेन्द्र सिंह जसोल, पीपल्दा के विधायक रामनारायण मीणा, जिला प्रमुख श्रीमती चन्द्रावती कंवर, पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा, महिला आयोग की पूर्व चेयरमैन श्रीमती ममता शर्मा, जिला कलक्टर रेणु जयपाल, पुलिस अधीक्षक जय यादव, पूर्व जिला प्रमुख राकेश बोयत समेत कई गणमान्य नागरिकों ने भी इस आयोजन में शिरकत की।
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इग्लेंड और कनाडा से की है पढ़ाई
बूंदी की रियासत राजपूताने की एक प्राचीन रियासत मानी जाती है। इसकी स्थापना महाराव देवा हाड़ा ने 1242 में की थी। बूंदी राजवंश में कई प्रतापी शासक हुए हैं। राजपूताने के चौहान वंश के हाड़ा कुल की प्रथम रियासत है। नए महाराव राजा वंशवर्धन सिंह का जन्म कापरेन ठिकाने के महाराजधिराज बलभद्र सिंह हाड़ा के घर 8 जनवरी 1987 को हुआ। इनकी प्राथमिक शिक्षा डेली कॉलेज इंदौर मध्यप्रदेश से हुई। कॉलेज शिक्षा इंग्लैण्ड लीस्टर की डी मॉंंटफोर्ट यूनीवर्सिटी से हुई। आपने व्यवसाय प्रबंधन में कनाडा से स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की। दो वर्ष तक आपने अनुभव के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में प्रबंधन का काम संभाला। 2013 में वंशवर्धन सिंह बूंदी लौट आए। इन्हें वंश परम्परा के अनुसार महाराजा रणजीत सिंह का उत्तराधिकारी बनाया गया है। आपका विवाह ठाकुर दीप सिंह धनानी की पुत्री मयूराक्षी कुमारी से वर्ष 2016 में हुआ। वंशवर्धन सिंह और मयूराक्षी के दो वर्षीय पुत्र वज्रनाभ सिंह हैं। आपकी खेलों में विशेष रुचि रही है और आपने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक भी जीते हैं।
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जन्मदिन पर वज्रनाभ बने महाराजकुमार
वंशवर्धनसिंह के दो वर्षीय पुत्र वज्रनाभ सिंह का 2 अप्रैल को जन्मदिन आता है। उनका जन्म 2 अप्रैल 2020 को हुआ था। अपने जन्मदिन दो अप्रैल के दिन ही उनके पिता वंशवर्धन सिंह बूंदी के महाराव राजा और माता मयूराक्षी के महारानी की पदवी धारण करते ही वज्रनाभ अब बूंदी के महाराज कुमार के तौर पर पहचाने जाएंगे।