कोरोना योद्धा की भूमिका में मीडियाकर्मी

ऐसा सोचा ना था की हमें ऐसी स्थिति को भी देखना पड़ेगा जब अपने पास होकर भी अपने नहीं होंगे ना कैसा डर हर किसी के मन में समाया है। वर्ष 2020 ऐसा समय साथ लेकर आयेगा कि ना चाहते हुये भी अपनों से दूर रहना पड़ेगा और जो हमसे कोसो दूर बैठे है वो भी हमारे पास नहीं आ सकेगें। इस भयंकर महामारी के संक्रमण से बचने और इसके उपाय जो हम घर बैठकर कर सकते थे उन सबको हम तक पहुँचाने में इन कोरोना के योद्धा ने जो भूमिका निभाई उसका गुणगान जितना किया जाये उतना ही कम है। ना समय देखा, ना इस महामारी का संक्रमण देखा अपनी जान की परवाह किये बिना आगे ही बढ़ते चले और कुछ सेवा देते-देते ही भगवान के चरणों में अपना जीवन समर्पित कर गये।

हर पल हमारा साथ देने वाले मीडियाकर्मियों का योगदान हमारे जीवन में हमेशा यादगार रहेगा। जब देश हमारा इस कोरोना महामारी से जूझ रहा था उस समय हमारे योद्धा युद्ध के मैदान पर अपनी जान की परवाह किये बिना लगातर लड़ते ही जा रहे थे और जिसका परिणाम हमारे सामने आया कि हम पूर्ण रूप से अपने आप को सुरक्षित महसूस कर पाये, उनका जितना धन्यवाद किया जाये उतना ही कम है।

पल-पल हमारा साथ निभाने वाले और आने वाले खतरे के बारे में हमें पहचान करने वाले यही मीडियाकर्मी थे इनके अलावा पुलिसकर्मी, हमारे डॉक्टर सभी बहुत अधिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुये हर जगह दिखाई दिये और आज भी अपने काम के प्रति सजग दिखाई दे रहे है। हम उनसे नफरत करने की बजाय उन्हें अपना प्रेम दिखाये और उनके इस जिम्मेदारी पूर्ण कार्य में अपनी भागीदारी उनके साथ निभाये तभी हमारा जीवन भी सार्थक हो पायेगा। यह सम्पूर्ण जिम्मेदारी इन सभी लोगों की नहीं बल्कि हम सब की भी है। इससे कभी भी पीछे ना हटे और आगे बढ़ कर साथ निभाये। ना कुछ साथ अपने साथ लाये थे ना ही कुछ साथ लेकर अपने साथ जायेगें फिर किस बात का घमंड अपने ऊपर करना यही सोच हमारा जीवन पूर्ण सार्थक बना पायेगी।

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देश में एक समय ऐसा भी आया जब हमारा देश में पूर्ण रूप से लॉकडाउन हो गया है। हमें सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में हमारे योद्धाओं ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आज भी सभी की मदद के लिये आगे बढ़ कर सामने आ रहे है। जहाँ कोई मदद नहीं पहुँच सकती थी वहां पहुँच कर हमारे मीडियाकर्मियों ने अपनी जान की परवाह किये बिना आगे बढ़ कर मदद की और जरूरत मंद लोगों को उनके घरों तक पहुँचाया है। इस विकट परिस्थिति में उनके लिये भगवान का रूप लेकर आये इसके साथ ही जिन बुजुर्ग लोगों को उनके घर वालों ने कोरोना फैलने के डर से घर से निकाल दिया था उन लोगों को एक सुरक्षित आवास भी उपलब्ध करवाया इन हमारे इस युद्ध के योद्धा मीडियाकर्मी भाई-बहनों ने। इन लोगों का जितना भी आभार व्यक्त किया जाये उतना ही कम है।

जिन देश के धोखेबाज लोगों ने इस संकट के समय में मजबूर लोगों का फायदा उठाया उन लोगों को उजागर करने का भी महत्वपूर्ण कदम उठाया और जो लोग धनवान थे उन लोगों से उन गरीबों की मदद की मांग की और उन्हें उनका पूरा सहयोग भी मिला है। जिन लोगों ने इस कोरोना महा-बीमारी के चपेट में आये या जो लोग अपने काम से बेरोजगार हो गये उन लोगों को उन्होंने रोज़गार दिलाने में भी मदद की और जिन लोगों ने आत्महत्या कर ली उनके परिवार वालों के लिये सहारा बन कर भी आगे आये भगवान निश्चित रूप से उन्हें इस काम का फ़ल अवश्य देगा। वक़्त की मार सह रहे उन लोगों के लिये फरिश्ता बने है।

कोरोना के योद्धाओं का उपकार हमारे जीवन में हमेशा के लिये सदैव यादगार बन जायेगा। जिस प्रकार युद्ध में लड़ रहे योद्धा को ना अपने घर की परवाह होती और ना ही अपना कोई स्वार्थ होता है, बस एक ही लक्ष्य होता है मुझे चाहे कुछ भी हो जाये लेकिन मेरा देश हमेशा सुरक्षित रहना चाहिये, उसी प्रकार का कुछ सपना कोरोना के योद्धाओं का भी था।

जब अचानक से हमारे देश में कोरोना की आपदा आयी तो हमारे देश के योद्धाओं ने देश की कमान अपने हाथों में सभांल ली और ना घर की चिंता और ना ही कुछ और घंटो, दिनों और महीनों तक अपने घरों से बाहर रह कर देश की सेवा में अपने आपको लगा दिया। ना जाने कितने ही अनजाने लोगों को जिनका परिवार होते हुये भी कोरोना से पीड़ित व्यक्ति जिनकी इस कोरोना के युद्ध को लड़ते-लड़ते मौत हो गयी उन्हें कन्धा देकर अपना फर्ज निभाया, भूखे को अपनी भूख भूलकर उसे अपने हाथ से खाना खिलाया। अपनों को अपनों से मिलाने का फर्ज भी बहुत बेखुबी निभाया है। अपनी जमीन से जुड़ा हूँ और अपना ही कर्म मरते दम तक निभाऊंगा।

एक सेतु भगवान राम के समय लंका में जाने के लिए वानरों ने बनाया था ठीक उसी प्रकार का सेतु कोरोना से बचाव के लिये हमारे मीडियाकर्मियों ने बनाया है, उनका मुख्य उदेश्य केवल एक ही था कैसे भी हो मेरा देश सुरक्षित रहे। समय-समय हमें हर प्रकार की सावधानियों से अवगत कराते और हमारी सुरक्षा के लिये ढाल बनकर हमेशा ही खड़े है। आज वो ना होते तो शायद इस कोरोना जैसी बीमारी के बारे में अनजान ही रहते। भारत सरकार के द्वारा किये जा रहे प्रयासों से ही हम आगे बढ़ पाये और आज भी इस संघर्ष के दौर में अपने आपको सम्भालें हुये है वरना इस बीमारी की अज्ञानता के कारण हम भी काल का शिकार हो गये होते।

आज देश में कोरोना के लाखों की संख्या में केस पॉजिटिव हो चुके है तब हम सबकी एक ही प्राथमिकता है कैसे भी अपने परिवारों और अपने स्वजनों को इस महाबीमारी के चुंगल से बचाये यह सोच केवल हम तक ही सीमित है, परन्तु हमारे योद्धाओं की प्राथमिकता देश को बचाने की है। उनकी इस जंग में हमें उनके साथ खड़े होना है जो हमारे लिये ढाल बन कर हमेशा साथ खड़े है। उनका तो वह अपना फर्ज निभा रहे है, क्या हमारी उनके प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? जरा इस प्रश्न पर विचार करिये कि हम उनके लिये क्या कर सकते है? देश के हर कोने से एक ही आवाज़ आनी चाहिये कि हम एक है, और एक ही रहेगें और इस बीमारी को हमारे देश से दूर भगा कर रहेगें।

यह कैसा वक़्त कुदरत ने दिखाया है कि अपने अपने होते हुये भी अपनापन दिखा नहीं पा रहे है। एक गीत की कुछ पंक्तियाँ याद आती है- दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी काहे को यह दुनिया बनायीं और चल अकेला तेरा पीछे छुटा साथी चल अकेला आदि कुछ पंक्तियाँ आज इस कोरोना के दौर में पूर्ण रूप से सार्थक सिद्ध होती नज़र आती है। मन  में एक अनजाना सा डर हमेशा सताता रहता है।

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शिक्षा का क्षेत्र हो या प्राइवेट क्षेत्र पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है। फिर भी शिक्षा के क्षेत्र में मीडिया सक्रिय हो रहा है, ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम में शिक्षा को जारी रखा जा रहा परन्तु इससे शिक्षा का दूसरा पहलू भी हमारे सामने आ रहा है। लगातार पढाई को मोबाइल पर जारी रख पाना संभव नहीं हो पा रहा है। सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है, फिर भी कई लोगों का सहयोग ना मिल पाने के कारण अनेक प्रकार की समस्याओं का हमें सामना करना पड़ रहा है। प्राइवेट क्षेत्र में बहुत से लोगों को अपनी नौकरी को खोना पड़ रहा है। नई नौकरी का मिल पाना बहुत ही ज्यादा कठिन या यह कहे की नामुकिन हो रहा है। ऐसे में मीडिया बार-बार लोगों से अपील कर रही है कि कोरोना से घबराने की नहीं बल्कि सतर्कता से काम लेने की आवश्यकता है।

आज अगर मीडिया इतना सक्रिय ना होता तो हम इस कोरोना से अपने आप को बचाने में सफल ना हो पाते बार-बार लोगों को सावधानियों के बारे में बताना बहुत ही ज्यादा जरुरी था और इस प्रकार की सफलता का पूर्ण श्रेय हमारे सजग मीडियाकर्मियों को ही जाता है। जिन्होंने ना रात देखी और ना दिन देखा लगातर 24 घंटो तक अपनी सेवा प्रदान की है। उनकी सजगता ही हमें इस कोरोना महाबीमारी से लड़ने में कारगार साबित हो रही है।

कुछ प्राइवेट चैनल पर फेक न्यूज़ प्रसारित होने से लोगों का ध्यान भी भंग हुआ है। जिसके कारण सरकार ने इस पर मजबूरन एक कानून बनाया ताकि इस प्रकार की न्यूज़ के प्रसार को रोका जा सके और इसमें काफी हद तक सफलता प्राप्त हुई है। लोगों के मन से भय दूर करने के स्थान पर उनके मन में कोरोना के प्रति डर पैदा कर दिया, जिसके कारण कई लोगों की जान भी गई है। ऐसा दु:खद समय भी लोगों ने महसूस किया जब एक ही परिवार के सभी सदस्य कोरोना की चपेट में आ गये और उनमें से कुछ मौत का शिकार हो गये है। किसी के परिवार का सहारा ही छोड़ गया और किसी का पालनहार ही चला गया। एक बम की दहशत की तरह कोरोना की दहशत लोगों के मन में घर कर गयी है। उसे हमें बाहर निकालना ही होगा और यह कार्य हमें पूर्ण जिम्मेदारी के साथ करना होगा।

इस कोरोना के दौर में जिन-जिन लोगों ने हमारा साथ दिया है वे सभी सम्मान के पात्र है। उनके उपकार को भी अपने जीवन में कभी ना भूले जो इस कठिन समय में हमारे हर काम में आगे बढे और अपना सहयोग प्रदान किया हमारी आवश्यकताओं को पूरा किया है। कुछ अनजाने चेहरे भी सामने आये जो कभी भी सुर्खियों में ना थे वो मीडिया ही थी जिसने उन्हें एक अलग ही पहचान दी है। उन लोगों का भी हमें तहेदिल से शुक्रिया अदा करना कभी नहीं भुलना चाहिये। हमें एक नया जीवन देने वाले इन सभी लोगों को अपने जीवन में कभी ना भूले। समय-समय पर समाचार पत्रों में प्रकाशित लेखों व आकंड़ो के आधार पर हमारी सोच कोरोना के प्रति नकारात्मक बनी लेकिन फिर भी इन्होंने हिम्मत ना हारी और इस जंग की जीतने का प्रयास किया और लगातार जारी है। हम होंगे कामयाब एक दिन मन में है विश्वास एक दिन। यही अलख सबके मन में ही जगाना इस मीडिया का काम बन गया है।

आज के दौर जितना अधिक मीडिया सक्रिय हुआ उतना अधिक और कोई क्षेत्र नहीं उनका जितना सहयोग आज तक हमें मिला है और किसी का नहीं मिला हर पल का साथ उनका और हमारा है, इसलिये मीडियाकर्मियों का सम्मान करे उनकी उपेक्षा ना करे उनकी हर बात को समझे और अपनी समझ की सकरात्मकता की पहचान दे नकरात्मकता को अपने अन्दर पनपने ना दे वरना आपकी जरा सी लापरवाही आप की जान भी ले सकती है।

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आप की अपनी जागरूकता ही कोरोना से आपका बचाव हो सकता है। रोज़गार को पूरा करने के लिये आपको घर से बाहर जाना भी होगा और उसके साथ आपको अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी अपने आप से एक प्रतिज्ञा कर ही हम अपने आप को इस कोरोना से सुरक्षित रख पायेगें, एक मजबूत इच्छा-शक्ति ही हमें आगे बढ़ने और हमारे अन्दर एक नया जोश पैदा कर पायेगी।

लेखक: डॉ. धीरज वर्मा सोनी

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