वाह सांसद जी! वेतन भत्ता लिया लाखों का, काम किया सिर्फ 21 घंटे 14 मिनट

लोकसभा का मानसून सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित, सिर्फ 22 प्रतिशत कामकाज हुआ

  • 19 जुलाई को शुरु हुई थी 17वीं लोकसभा की छठवीं बैठक, 17 दिनों में सिर्फ 96 घंटे करना था काम  
  • विपक्ष के हंगामे की भेंट चला पूरा मानसून सत्र, कोरोना की तीसरी लहर और बच्चों की पढ़ाई जैसे गंभीर मुद्दे उठे ही नहीं 

TISMedia@NewDelhi हर महीने करीब 1.70 लाख रुपए का वेतन और भत्ता लेने वाले देश के सांसदों ने 17 दिनों में सिर्फ 21 घंटे 14 मिनट ही काम किया। पेगासस जासूसी मामले से लेकर कृषि कानूनों पर बवाल माचने वाले विपक्ष ने कोरोना के कहर से जूझ रहे करोड़ों लोगों को सुरक्षा और राहत देने का रास्ता तलाशना तो दूर तीसरी लहर के कहर से निपटने के लिए जरूरी तैयारियों तक पर चर्चा नहीं की। पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी शिक्षा व्यवस्था तो किसी के एजेंडे में ही शामिल नहीं रही। देश की आवाम को एक बार फिर उसके हालात पर छोड़, 17 वीं लोकसभा का दूसरा मानसून सत्र बिना काम काज के ही खत्म हो गया।

 

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लोकसभा अध्यक्ष ने जताई निराशा 
संसद के मॉनसून सत्र के लिए लोकसभा की बैठक बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। पेगासस जासूसी मामला, तीन केंद्रीय कृषि कानून को वापस लेने की मांग सहित अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों के शोर-शराबे के कारण पूरे सत्र में सदन में कामकाज बाधित रहा और सिर्फ 22 प्रतिशत कार्य निष्पादन हो सका। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सुबह कार्यवाही शुरू होने पर बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई और इस दौरान 17 बैठकों में सिर्फ 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ। उन्होंने निराशा जताते हुए कहा कि सदन में कामकाज अपेक्षा के बिल्कुल भी अनुरूप भी नहीं रहा। बिरला ने बताया कि व्यवधान के कारण 96 घंटे में करीब 74 घंटे कामकाज नहीं हो सका।

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सिर्फ 22 फीसदी काम हुआ 
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विपक्ष के लगातार व्यवधान के कारण महज 22 प्रतिशत कार्य हो सका। सत्र के दौरान चार नये सांसदों को शपथ दिलाई गई। 127वें संविधान संशोधन  विधेयक सहित कुल 20 विधेयक पारित किये गए। मॉनसून सत्र के दौरान 66 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिये गए और सदस्यों ने नियम 377 के तहत 331 मामले उठाए। बिरला ने बताया कि मानसून सत्र में विभिन्न स्थायी समितियों ने 60 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। 22 मंत्रियों ने वक्तव्य दिये और विपक्ष के हंगामे के कारण बड़ी संख्या में जवाबों और पत्रों को बिना पढ़े ही सभा पटल पर रखना पड़ा। उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान अनेक वित्तीय एवं विधायी कार्य निष्पादित किये गए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के वक्तव्य के बाद वंदे मातरम की धुन बजाई गयी और सदन की बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। मानसून सत्र की इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित कई केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं अन्य सदस्य मौजूद रहे।

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