VMOU: 12 करोड़ के प्रिंटिंग घोटाले में एमपीडी का पूर्व निदेशक गिरफ्तार

एसीबी ने प्रकाशक को भी किया गिरफ्तार, कोर्ट ने दोनों को भेजा जेल

TISMedia@Kota वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (Vardhman Mahaveer Open University) में हुए 12 करोड़ रुपए के प्रिंटिंग घोटाला में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) ने यूनिवर्सिटी के मटेरियल, प्रोडेक्शन एंड डिस्ट्रीब्यूशन डिपार्टमेंट के तत्कालीन डायरेक्टर और पब्लिकेशन कंपनी के मालिक को धर दबोचा। एसीबी ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर एसीबी कोर्ट में पेश किया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है।

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एकेडमिक सेशन 2016-17 के लिए वीएमओयू ने पाठ्य पुस्तकों की छपाई के लिए टेंडर निकाला था। टेंडर की शर्त थी कि वार्षिक टर्नओवर 12 करोड़ रुपए से ज्यादा वाली फर्म ही इसमें शामिल हो पाएगी। जबकि यूनिवर्सिटी ने न्यूनतम दर के आधार पर 18 पैसे प्रति पेज प्रिंटिंग दर देने वाली मथुरा की फर्म सरस्वती प्रेस को कार्यादेश जारी कर दिया।

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टेंडर नहीं मिला तो की शिकायत 
इस टेंडर के लिए मथुरा के ही प्रज्ञा पब्लिकेशन ने भी टेंडर डाला था, लेकिन उसे टेंडर नहीं मिला। जिसके बाद प्रज्ञा पब्लिकेशन के प्रफुल्ल गोयल ने इस मामले में एसीबी को घोटाले की शिकायत दी। गोयल ने आरोप लगाया कि टेंडर की सबसे प्रमुख शर्त थी कि एनुअल टर्नओवर 12 करोड़ होना चाहिए था, लेकिन यूनिवर्सिटी ने महज 5 करोड़ एनुअल टर्नओवर वाली फर्म को टेंडर दे दिया है। इसके साथ ही टेंडर की शर्त के अनुसार जिस कागज पर प्रिंटिंग होनी थी, उससे घटिया स्तर के कागज पर पाठ्य पुस्तकों की छपाई की जा रही है। इससे वीएमओयू को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।

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एसीबी ने तीन लोगों को माना दोषी
शिकायत के आधार पर एसीबी कोटा ने साल 2017 में वीएमओयू के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही शुरू कर दी। मामले की जांच जांच बारां एसीबी को सौंपी गई। जांच में बारां एसीबी ने वीएमओयू के मटेरियल, प्रोडेक्शन एंड डिस्ट्रीब्यूशन डिपार्टमेंट (एमपीडी) के तत्कालीन निदेशक करण सिंह और तत्कालीन वित्त नियंत्रक सुरेश चंद्र के साथ साथ सरस्वती प्रिंटिंग प्रेस मथुरा के अमित अग्रवाल को दोषी पाया। आरोप साबित होने के बाद अमित अग्रवाल और करण सिंह को एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया और एसीबी कोर्ट कोटा में पेश किया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। मामले में आरोपी बनाए गए वीएमओयू के बाकी सभी कर्मचारियों को एसीबी ने क्लीन चिट दे दी है।

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शर्मा की गिरफ्तारी बाकी 
वहीं दूसरी ओर मामले में वीएमओयू के पूर्व वित्त नियंत्रक एवं घोटाले के तीसरे आरोपी सुरेश चंद्र शर्मा की गिरफ्तारी अभी बाकी है। एसीबी ने पूर्व वित्त नियंत्रक को क्यों गिरफ्तार नहीं किया इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। जबकि इस मामले में सबसे बड़ी जिम्मेदारी उनकी ही बन रही थी। क्योंकि निविदाओं के दस्तावेजों के सत्यापन का काम शर्मा ने ही किया था।

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